छत्तरपुर में जनाक्रोश का विस्फोट! 🔥 नरेश त्यागी के नेतृत्व में AAP का उग्र मार्च — विधायक तंवर और CM गुप्ता पर मोहल्ला क्लीनिक बंदी के आरोप
We News 24 :डिजिटल डेस्क » वरिष्ठ संवाददाता: रियासत अली समीर | अपडेटेड: 5 नवंबर 2025, शाम 7:45 बजे (IST)
नई दिल्ली | दक्षिण दिल्ली के छत्तरपुर में आज एक ऐसी लहर उठी, जो गरीबों की थाली से दवा छीनने के खिलाफ थी। आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ कार्यकर्ता और समाजसेवी नरेश त्यागी के नेतृत्व में सैकड़ों महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों ने मोहल्ला क्लीनिक बंदी के खिलाफ जोरदार विरोध मार्च निकाला। यह मार्च अम्बेडकर कॉलोनी से शुरू होकर बी-ब्लॉक स्थित क्लीनिक तक पहुंचा, जहां नारे गूंजे—'क्लीनिक बचाओ, जीवन बचाओ!' और 'गरीब की सेहत पर ताले नहीं चलेंगे!'। 12 नवंबर से प्रभावी होने वाली इस बंदी को 'तुगलकी फरमान' बताते हुए प्रदर्शनकारियों ने विधायक करतार सिंह तंवर और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर राजनीतिक द्वेष का आरोप लगाया।
छत्तरपुर, जो पहाड़ियों और बस्तियों का मिश्रण है, यहां के मेहनतकश परिवारों के लिए मोहल्ला क्लीनिक संजीवनी बूटी थे। AAP सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा 2015 में शुरू की गई यह योजना—जिसने दिल्ली में 500+ क्लीनिकों के जरिए 2 करोड़ से अधिक मरीजों को मुफ्त इलाज दिया—अब BJP सरकार के निशाने पर है। स्वास्थ्य विभाग के एक आदेश के मुताबिक, 121 क्लीनिक बंद हो रहे हैं, जिसमें अम्बेडकर कॉलोनी का भी शामिल है। स्थानीय स्टाफ को सूचना दे दी गई, लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था का नामोनिशान नहीं।
यह मार्च न केवल एक विरोध था, बल्कि उन हजारों परिवारों की पीड़ा का आईना भी। एक बुजुर्ग महिला संजीदा बेगम, जिनकी आंखों में आंसू थे, ने कहा, "मेरा शुगर और BP यहीं कंट्रोल होता था। अब 12 नवंबर के बाद डिस्पेंसरी तक कैसे जाऊंगी? यह क्लीनिक हमारा सहारा था।" प्रेमलता शर्मा, दो बच्चों की मां, ने जोड़ा, "बच्चों की जुकाम-खांसी का इलाज 15 मिनट में हो जाता था। अब घंटों लाइनें? यह तो मौत को न्योता देना है।" राशिद खान ने गुस्से में कहा, "गरीबों का इलाज बंद कर सरकार 'अयुष्मान' का ढोल पीट रही है, जो कागजों में है।"
नरेश त्यागी का ऐतिहासिक आंदोलन: 'क्लीनिक गरीबों की उम्मीद, बंदी अमानवीय'
नरेश त्यागी, जो अम्बेडकर कॉलोनी में सामाजिक कार्यों से वंचितों की आवाज बने हैं, ने मार्च को एकजुटता का प्रतीक बना दिया। सरोवर गेट से शुरू होकर मंदिर के पीछे से गुजरते हुए मार्च बी-ब्लॉक पहुंचा, जहां लोगों की संख्या दोगुनी हो गई। त्यागी ने मंच से गरजते हुए कहा, "मोहल्ला क्लीनिक सिर्फ दवा नहीं, गरीबों की उम्मीद हैं। यह तुगलकी और अमानवीय फैसला है। CM रेखा गुप्ता और विधायक तंवर को जनता से माफी मांगनी चाहिए। तुरंत क्लीनिक बहाल करें, वरना आंदोलन जारी रहेगा।"
त्यागी ने खुलासा किया कि अम्बेडकर कॉलोनी का क्लीनिक 12 नवंबर से 'काला दिन' बनेगा। "सूचना स्टाफ को मिल चुकी, लेकिन विधायक तंवर को बताने पर चुप्पी। जब AAP में थे, तो इन्होंने ही उद्घाटन किया था। अब BJP में आकर भूल गए?" RWA अध्यक्ष भसीन ने सुझाव दिया, "सभी RWA मिलकर CM को ज्ञापन दें।" हाजी अल्लाह मेहर ने तंज कसा, "डिस्पेंसरी 1 किमी दूर है, लेकिन पहाड़ी इलाके में बुजुर्ग-महिलाएं कैसे पहुंचेंगी? यह फैसला जमीनी हकीकत से कटा है।"
प्रदर्शन में हाजी अनवर, हाजी मुन्तियाज, अब्दुल खालिक, नजाकत हसन, वीर भद्र सिंह (बब्लू भाई), शिवा, खुर्शीद खान, अनीस, कमल सिंह भंडारी (कम्मू), वसीम खान जैसे सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए। महिलाओं और बच्चों की भागीदारी ने इसे जन आंदोलन का रंग दिया।
मोहल्ला क्लीनिक vs अयुष्मान: राजनीतिक द्वेष या सुधार?
AAP का आरोप: BJP सरकार केजरीवाल की विरासत मिटाने पर तुली है। स्वास्थ्यकर्मियों की यूनियन के मुताबिक, 121 क्लीनिक बंद से 600-2,000 स्टाफ बेरोजगार हो रहे। CM रेखा गुप्ता का दावा: 'अयुष्मान आरोग्य मंदिर' (AAM) योजना से क्लीनिक अपग्रेड होंगे, स्टाफ अब्जॉर्ब होगा। लेकिन प्रदर्शनकारी कहते हैं, "AAM कागजी है, ग्रामीण इलाकों में पहुंच नहीं।"
आंकड़े बताते हैं: मोहल्ला क्लीनिकों ने 2020-25 में छत्तरपुर में 50,000+ मरीजों को मुफ्त सेवा दी—जांच, दवाएं, काउंसलिंग। अब्दुल समद (नन्नू भाई) ने कहा, "विधायक तंवर AAP के समय क्लीनिक का फीता काटे, अब BJP में चुप। यह विश्वासघात है।"
| मुद्दा | प्रभावित लोग/आंकड़े | सरकार का दावा/विपक्ष का आरोप |
|---|---|---|
| क्लीनिक बंदी | 121क्लीनिक,600-2,000स्टाफ प्रभावित | अपग्रेडेशन/AAM में अब्जॉर्ब |
| स्थानीय प्रभाव | अम्बेडकर कॉलोनी A/B/D ब्लॉक | डिस्पेंसरी पर्याप्त (AAP: दूर, कठिन) |
| मरीज संख्या | 50,000+ मरीज/वर्ष (मुफ्त सेवा) | राजनीतिक द्वेष (AAP का आरोप) |
| आंदोलन का रूप | महिलाएं/बुजुर्ग/बच्चे शामिल | जनहित में सुधार (सरकार) |
मामला हाईकोर्ट में: आंदोलन तेज होगा?
यह विवाद दिल्ली हाईकोर्ट में विचाराधीन है, जहां AAP ने बंदी पर स्टे की मांग की। त्यागी ने चेतावनी दी, "12 नवंबर 'काला दिन' होगा। अगर फैसला न बदला, तो व्यापक आंदोलन।" RWA पारे के अध्यक्ष मोहम्मद अली ने कहा, "यह संजीवनी था। बंदी हर घर को प्रभावित करेगी।"
यह मार्च दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है। क्या CM गुप्ता सुनेंगी, या आंदोलन सड़कों पर फैलेगा? गरीबों की आवाज दबेगी नहीं—यह तो बस शुरुआत है।
कोई टिप्पणी नहीं
कोमेंट करनेके लिए धन्यवाद