लोनार झील का रहस्य: अचानक बढ़ता जलस्तर, प्राचीन मंदिर डूबे, IIT मुंबई जांच में जुटी
We News 24 : डिजिटल डेस्क »✍️रिपोर्ट: समीर देशमुख
वी न्यूज 24, बुलढाणा (महाराष्ट्र)
दिनांक: 21 दिसंबर 2025
नागपुर/बुलढाणा: महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध लोनार क्रेटर झील इन दिनों एक नए रहस्य ने घेर लिया है। पिछले कुछ सालों में झील का जलस्तर अचानक और तेजी से बढ़ा है, जिसकी वजह से झील के किनारे बने कई प्राचीन मंदिर पानी में डूब गए हैं। इस चिंताजनक स्थिति की वजह जानने के लिए अब IIT मुंबई के विशेषज्ञों ने जांच शुरू की है।
लोनार झील, जो करीब 50,000 साल पहले एक उल्कापिंड के टकराने से बनी थी, हमेशा से ही वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के आकर्षण का केंद्र रही है। लेकिन पिछले 4-5 साल में यहां का पानी का स्तर लगातार बढ़ रहा है। स्थानीय लोग बताते हैं कि कभी जहां खेत थे और मंदिरों के साफ दर्शन होते थे, वहां अब पानी ही पानी नजर आता है।
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"पानी ने लील लिए पुराने मंदिर"
झील के पास रहने वाले एक वरिष्ठ नागरिक और इतिहासप्रेमी, सुरेश पाटील कहते हैं, "ये झील हमेशा से रहस्यमयी रही है। लेकिन अब तो हालात डरावने हो गए हैं। कमरा, शिव और विष्णु के जो प्राचीन मंदिर झील के किनारे थे, वो अब आधे से ज्यादा पानी में समा चुके हैं। पुरातत्व विभाग की लाख कोशिशों के बावजूद बचा नहीं पा रहे। ऐसा लगता है जैसे झील अपना विस्तार कर रही हो।"
IIT मुंबई की टीम ने शुरू की वैज्ञानिक जांच
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने IIT मुंबई के भूवैज्ञानिक और जल विशेषज्ञों की एक टीम को इस मामले की गहन जांच करने को कहा है। टीम पिछले एक हफ्ते से यहां जल स्तर की माप, भूजल का अध्ययन और क्रेटर की संरचना का विश्लेषण कर रही है। प्रारंभिक अनुमान है कि जलस्तर बढ़ने की वजह भौगोलिक बदलाव, जलवायु परिवर्तन के असर या फिर भूजल में हुए किसी बदलाव से जुड़ी हो सकती है।
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पर्यटन और पारिस्थितिकी पर खतरा
लोनार झील न सिर्फ एक प्राकृतिक आश्चर्य है, बल्कि यहां के खारे और मीठे पानी के स्रोत, और अनोखे सूक्ष्मजीव दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय हैं। जलस्तर बढ़ने से इस नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र के बिगड़ने का भी डर है। साथ ही, प्राचीन मंदिरों के डूबने से पर्यटन पर भी असर पड़ रहा है।
स्थानीय प्रशासन ने झील के आसपास सुरक्षा चेतावनी के बोर्ड लगा दिए हैं और लोगों को अंदर न जाने की सलाह दी है। IIT की रिपोर्ट आने के बाद ही साफ होगा कि आखिर इस प्राकृतिक चमत्कार को बचाने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
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