दक्षिणी दिल्ली के मेहरौली-किशनगढ़ इलाके में अवैध शराब का खुला कारोबार, पुलिस पर मिलीभगत का आरोप
We News 24 : डिजिटल डेस्क »✍️रिपोर्ट: दीपक कुमार
वी न्यूज 24, दक्षिणी दिल्ली, दिनांक: 19 दिसंबर 2025
नई दिल्ली: भाई साहब, दक्षिण दिल्ली के मेहरौली और किशन गढ़ इलाके में क्या हो रहा है, ये तो हद ही हो गई! अवैध शराब की दुकानें धड़ल्ले से चल रही हैं, और वो भी खुलेआम। स्थानीय लोग त्राहि-त्राहि कर रहे हैं, लेकिन न पुलिस सुन रही है, न ही जनप्रतिनिधि। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां दर्जनों अवैध शराब की दुकानें खुलेआम चल रही हैं, और इन्हें चलाने वाले ज्यादातर मणिपुर समुदाय के लोग हैं। लोगों का आरोप है कि ये सब स्थानीय पुलिस और कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की सांठगांठ से हो रहा है। जनता परेशान होकर सड़कों पर है, लेकिन न तो जनप्रतिनिधि – चाहे काउंसलर हों या विधायक – और न ही पुलिस इस पर कोई ठोस कार्रवाई कर रही है।
स्थानीय निवासी अनुपम ने वी न्यूज 24 को बताया, "साहब, यहां तो हालात बिल्कुल बेकाबू हैं। खासकर मणिपुर साइड के लोगों ने दुकानें खोल रखी हैं। ये लोग थोड़े से किराये के लालच में अपनी दुकानें इन्हें किराए पर दे रहे हैं, जिससे पूरे इलाके का माहौल खराब हो गया है। शाम ढलते ही नशे में धुत्त लोगों का उपद्रव शुरू हो जाता है।"
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जनता के दबाव में बंद हुईं दुकानें, फिर नए ठिकाने पर शुरू
कुछ समय पहले जब स्थानीय लोगों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया, तो महज दो-तीन दुकानें अस्थायी तौर पर बंद हुईं। लेकिन आरोप है कि वही दुकानें स्थान बदलकर दूसरी जगहों पर फिर से खुल गईं। एक अन्य निवासी सुनीता देवी ने कहा, "हमने कई बार शिकायत की, थाने में चक्कर लगाए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। लगता है सब मिले हुए हैं। अब तो माताएं-बहनें शाम के बाद अकेले निकलने से भी डरती हैं। इस भ्रष्ट तंत्र और शराब माफिया ने तो जीना हराम कर दिया है।"
महरौली जनप्रतिनिधि-विहीन हो चुका है'
मेहरौली के कई निवासियों ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें ऐसा लगता है कि उनका इलाका जनप्रतिनिधि-विहीन हो चक़ा है। उनका कहना है कि नेता चुनाव के वक्त तो वोट मांगने आते हैं, लेकिन जनता की इतनी बड़ी समस्या पर उनकी कोई पहल नजर नहीं आती।
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सवाल जनप्रतिनिधियों और पुलिस पर,अब स्थानीय लोग सीधे सवाल पूछ रहे हैं:
पुलिस प्रशासन पर: क्या स्थानीय थाने की मिलीभगत के बिना इतने बड़े पैमाने पर अवैध कारोबार चल सकता है? क्यों नहीं कोई स्थायी रेड या कार्रवाई होती?
जनप्रतिनिधियों पर: क्षेत्र के विधायक और स्थानीय काउंसलर इस मुद्दे पर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं? क्या वोट बैंक की राजनीति इतनी मजबूत है कि जनता की सुरक्षा और सुविधा दांव पर लग जाए?
प्रशासनिक अधिकारियों पर: नगर निगम और जिला प्रशासन की जिम्मेदारी क्या खत्म हो गई है? लाइसेंस के बिना चल रही इन दुकानों पर कार्रवाई का कोई तंत्र है या नहीं?
वी न्यूज 24 की कोशिश
इस मामले पर वी न्यूज 24 ने मेहरौली इलाके के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से बात करने की कोशिश की। हालांकि, उन्होंने आधिकारिक रूप से कोई टिप्पणी करने से इनकार करते हुए सिर्फ इतना कहा कि "शिकायत मिलने पर कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाती है।" वहीं, क्षेत्र के लोगो का कहना है विधायक की और से नही कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है।
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आखिर कब मिलेगा इन बाशिंदों को इंसाफ?
लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। उनका एक ही सवाल है – "कब होगी सख्त कार्रवाई? कब मिलेगा जनता को न्याय?" दिल्ली सरकार और पुलिस प्रमुख का ध्यान इस गंभीर मुद्दे की ओर जाना चाहिए, नहीं तो स्थिति और बिगड़ सकती है। क्या दिल्ली पुलिस और प्रशासन इस अवैध कारोबार की जड़ तक जाकर कार्रवाई करने का साहस दिखाएगा?
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