दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा-आप की झुग्गी सियासी जंग में कौन बनेगा विनर?
We News 24 Hindi / रिपोर्टिंग सूत्र / अमित मेहलावत
नई दिल्ली :- दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में बढ़ती जनसंख्या और बुनियादी सुविधाओं की कमी केवल सामाजिक-आर्थिक समस्या नहीं है, बल्कि यह सियासी जंग का भी केंद्र बन चुकी है। झुग्गी बस्तियां जहां लाखों गरीब परिवारों का आश्रय हैं, वहीं ये चुनावों में अहम वोट बैंक की भूमिका निभाती हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच का संघर्ष इन क्षेत्रों में राजनीतिक समीकरण को बदलने की कोशिश का हिस्सा है।
झुग्गी बस्तियों का वर्तमान परिदृश्य
संख्या और जनसंख्या:
- दिल्ली में 750 से अधिक झुग्गी बस्तियों में लगभग 20 लाख लोग रहते हैं, जो राजधानी की कुल जनसंख्या का करीब 28% हैं।
- इन बस्तियों में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है:
- 55% घरों में जल निकासी की सुविधा नहीं है।
- 43% घरों में पीने का साफ पानी उपलब्ध नहीं है।
राजनीतिक महत्व:
- झुग्गी बस्तियों में रहने वाले मतदाता चुनावों में एक निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
- 2020 में 61% गरीब मतदाताओं ने AAP को वोट दिया था, हालांकि यह संख्या 2015 के 66% से कम है।
ये भी पढ़े-एक नाथ शिंदे का मुख्यमंत्री पद का मोहभंग, बीजेपी ने बदल दिया पूरा खेल
AAP का समर्थन और BJP की चुनौती
AAP का वर्चस्व:
- AAP ने झुग्गी बस्तियों में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए मुफ्त बिजली, पानी, और शिक्षा जैसी योजनाएं शुरू कीं।
- हालांकि, हाल के वर्षों में झुग्गी क्षेत्रों में AAP का समर्थन घटा है, खासतौर पर 2022 के एमसीडी चुनावों और आगामी लोकसभा चुनावों में।
BJP की रणनीति:
- ‘रात्रि प्रवास संवाद योजना’: भाजपा ने झुग्गी बस्तियों में अपने नेता भेजे, जो रातभर वहां रहकर निवासियों की समस्याओं को समझने और उनसे जुड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
- भाजपा ने झुग्गी निवासियों को यह संदेश देने की कोशिश की कि AAP ने सिर्फ वादे किए हैं, जबकि वे असली समस्याओं को हल करेंगे।
आप का आरोप:
- अरविंद केजरीवाल ने भाजपा के इस अभियान को “झुग्गी पर्यटन” करार दिया और आरोप लगाया कि भाजपा ने झुग्गियों को तोड़ा है। उन्होंने यह भी दावा किया कि भाजपा का अभियान केवल चुनावी दिखावा है।
हमारे twitter Page को Like करे
हमारे WhatsApp Chenal को Join करे
हमारे Facebook Page को Likeकरे
झुग्गी बस्तियों में असल मुद्दे
आवास और पुनर्वास:
- झुग्गी बस्तियों में रहने वाले अधिकतर लोग अवैध आवासों में रहते हैं और पुनर्वास योजनाएं अक्सर राजनीति की भेंट चढ़ जाती हैं।
- भाजपा ने झुग्गी क्षेत्रों में फ्लैट्स देने की बात की है, जबकि AAP ने पहले से ऐसी योजनाओं को लागू करने का दावा किया है।
बुनियादी सुविधाएं:
- साफ पानी, स्वच्छता और बिजली जैसी जरूरतें अब भी एक बड़ी समस्या हैं।
- दोनों पार्टियां इन मुद्दों को हल करने का दावा करती हैं, लेकिन झुग्गी बस्तियों में स्थितियां जस की तस बनी हुई हैं।
ये भी पढ़े-आज आएगा तबाही मचाने फेंगल तूफान ,इस राज्य में भारी बारिश का अलर्ट, NDRF ने संभाला मोर्चा
आगामी चुनावों पर प्रभाव
- झुग्गी बस्तियों में भाजपा और AAP की इस प्रतिस्पर्धा से स्पष्ट है कि ये क्षेत्र दिल्ली की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
- भाजपा को अपने वादों को जमीनी स्तर पर सिद्ध करना होगा, जबकि AAP को अपने घटते समर्थन को रोकने के लिए नई योजनाएं लानी होंगी।
- झुग्गी बस्तियों के निवासियों का भरोसा जीतने वाली पार्टी को न केवल चुनावी लाभ मिलेगा, बल्कि यह उनके जीवन में सुधार लाने का मौका भी होगा।
निष्कर्ष
दिल्ली की झुग्गी बस्तियां सिर्फ चुनावी वोट बैंक नहीं हैं; यह लाखों लोगों की बुनियादी जरूरतों और मानवाधिकारों से जुड़ी एक जटिल समस्या है। राजनीतिक दलों को केवल चुनावी फायदे की बजाय दीर्घकालिक समाधान की दिशा में काम करना चाहिए।
कोई टिप्पणी नहीं
कोमेंट करनेके लिए धन्यवाद