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    बिहार पुलिस की धांधली और धमकी: रिश्वतखोरी रुपये छीनने के मामले में 8 सस्पेंड, 4 भेजे गए जेल

    बिहार पुलिस की धांधली और धमकी: रिश्वतखोरी रुपये छीनने के मामले में 8 सस्पेंड, 4 भेजे गए जेल








    We News 24 Hindi / रिपोर्टिंग सूत्र / अमिताभ मिश्रा 


    पटना:-  बिहार में पुलिसकर्मियों द्वारा झूठे मामलों में फंसाने की धमकी देकर पैसे ऐंठने के बढ़ते मामले चिंता का विषय बन गए हैं। इससे न केवल पुलिस विभाग की साख प्रभावित हो रही है, बल्कि आम जनता में भय और अविश्वास का माहौल भी पैदा हो रहा है। हालिया घटनाएं दर्शाती हैं कि इस तरह के मामलों में दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं, जिससे यह संदेश जाए कि भ्रष्टाचार और जनता के शोषण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।



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    पूर्णिया में पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई

    • पूर्णिया में चार पुलिसकर्मियों (इंस्पेक्टर सुमन कांत झा, अवर निरीक्षक चंदन कुमार, सहायक अवर निरीक्षक दिनेश कुमार दास, और सिपाही प्रदीप कुमार) को निलंबित किया गया।
    • कारण: शिकायतकर्ता सोनू कुमार पोद्दार ने ऑडियो रिकॉर्डिंग के जरिए आरोप लगाए कि ये पुलिसकर्मी झूठे मामलों में फंसाने की धमकी देकर पैसे की मांग कर रहे थे।
    • जांच का नतीजा: ऑडियो रिकॉर्डिंग की सत्यता की पुष्टि होने के बाद कार्रवाई की गई।

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    पटना में रिश्वतखोरी का मामला

    • पटना के गौरीचक थाना गश्ती दल के चार पुलिसकर्मियों (प्रशिक्षु दारोगा विवेक कुमार, सिपाही अरुण कुमार, सिपाही चंदन कुमार, और पुलिस जीप चालक प्रेम कुमार) को निलंबित कर जेल भेजा गया।
    • घटना: कार सवार लोगों से 25,000 रुपये छीनने और झूठे केस में फंसाने की धमकी देने का आरोप।
    • कार्रवाई: जांच में दोष साबित होने पर न केवल निलंबित किया गया, बल्कि कोर्ट के आदेश से जेल भेजा गया।

    बढ़ती घटनाओं का प्रभाव

    1. पुलिस विभाग की साख पर असर: ये घटनाएं पुलिस विभाग की छवि को बुरी तरह प्रभावित करती हैं और लोगों का विश्वास घटाती हैं।
    2. आंतरिक जांच और पारदर्शिता की मांग: ऐसे मामलों को रोकने के लिए पुलिस विभाग के भीतर कठोर जांच प्रक्रिया और निगरानी बढ़ाने की आवश्यकता है।


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    समाधान के लिए कदम

    1. कड़ी सजा: दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई और उनकी नौकरी समाप्त करने जैसे कठोर कदम उठाए जाएं।
    2. सुधारात्मक उपाय: भ्रष्टाचार रोकने के लिए जागरूकता कार्यक्रम और पुलिसकर्मियों के लिए नियमित प्रशिक्षण।
    3. जनता की भागीदारी: जनता को यह सुविधा दी जाए कि वे भ्रष्टाचार और दुर्व्यवहार की शिकायतें आसानी से दर्ज करा सकें, जिन पर त्वरित कार्रवाई हो।

    निष्कर्ष

    इन घटनाओं से यह साफ है कि बिहार सरकार और पुलिस प्रशासन अब इन मुद्दों को गंभीरता से ले रहा है। दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई से अन्य पुलिसकर्मियों को भी एक कड़ा संदेश जाएगा।

    अगर आप ऐसे मामलों के बारे में रिपोर्ट या शिकायत करना चाहते हैं, तो विभागीय हेल्पलाइन या शिकायत पोर्टल का इस्तेमाल करें। 

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