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    बंगाल के मुर्शिदाबाद से उठती चीख: क्या भारत में अब हिन्दू होना गुनाह है?

    बंगाल के मुर्शिदाबाद से उठती चीख: क्या भारत में अब हिन्दू होना गुनाह है?


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    📝 विशेष रिपोर्ट: दीपक कुमार

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    🔥 हिंसा, हत्या और हिन्दू विरोध – मुर्शिदाबाद का खौफनाक सच 12 अप्रैल, 2025 – पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद जिला एक बार फिर सांप्रदायिक जहर का शिकार बना। वक्फ (संशोधन) कानून के विरोध की आड़ में शुरू हुए तथाकथित प्रदर्शन देखते ही देखते भीषण हिंसा में बदल गए। लेकिन यह प्रदर्शन वाकई किसी कानून के खिलाफ था, या फिर उसकी आड़ में हिन्दू समाज पर योजनाबद्ध हमला?


    💥 हिन्दू घरों को बनाया गया निशाना,घरों में जबरन घुसकर पैसे और गहनों की लूट,मंदिरों की मूर्तियाँ तोड़ी गईं, धार्मिक प्रतीकों का अपमान,हिन्दू परिवारों को जान से मारने की धमकियाँ,हरगोबिंदो दास (72) और उनके बेटे चंदन दास (40) की निर्मम हत्या ,क्या ये सब अचानक हुआ? नहीं! यह एक सुनियोजित हमला था — एक समुदाय विशेष को डराने, दबाने और भगाने का प्रयास।



    ये भी पढ़े-मुर्शिदाबाद हिंसा: पिता-पुत्र हत्याकांड में चौथा आरोपी जियाउल शेख गिरफ्तार — क्या अब मिलेगा न्याय?



    📉 हिन्दू बहुल देश में हिन्दू ही असहाय क्यों?

    भारत जिसे हम हिन्दुस्तान कहते हैं, उस देश में हिन्दू होना आज असुरक्षित होने जैसा बन गया है।


    पहले कश्मीर में हुआ हिन्दुओं का पलायन


    फिर नागालैंड, मणिपुर, अब बंगाल


    क्या अब भारत का कोई हिस्सा हिन्दुओं के लिए सुरक्षित नहीं बचा?


    जब मुस्लिम देशों से लोग भारत में शरण लेते हैं,

    तो भारत के हिन्दू कहां जाएं जब उन्हीं की जमीन पर वो असुरक्षित हों?



    ये भी पढ़े-क्या सुप्रीम कोर्ट सुपर संसद बन रहा है? उपराष्ट्रपति धनखड़ ने खोली न्यायपालिका की पोल



    🧑‍⚖️ सरकार, न्यायपालिका और संविधान – सब खामोश क्यों?

    क्या ममता बनर्जी सरकार जवाब देगी कि हिन्दू परिवारों की हत्या का जिम्मेदार कौन है?


    अगर बंगाल पुलिस पहले सक्रिय होती, तो क्या चंदन दास जिंदा होते?


    जब संविधान हर नागरिक को सुरक्षा का अधिकार देता है, तो हिन्दुओं की सुरक्षा क्यों नहीं होती?


    क्यों हर बार हिन्दू समाज ही कानून की सबसे बड़ी परीक्षा बनता है?



    ये भी पढ़े-"‘हर घर जल’ से ‘हर घर टैंकर’ तक – दिल्ली की जल-त्रासदी पर एक पत्रकार की बेबाक कविता"



    ❓ क्या भारत इस्लामिक राष्ट्र की ओर बढ़ रहा है?

    वक्फ एक्ट के जरिए देश की लाखों एकड़ जमीन मुस्लिम संस्थाओं को सौंप दी गई


    आरक्षण की राजनीति, पर्सनल लॉ बोर्ड, मदरसे, शरीयत कोर्ट – सब कुछ उन्हें मिला


    हिन्दू पर्सनल लॉ बोर्ड क्यों नहीं बना?


    क्या वोट बैंक की राजनीति के चलते सरकारें एकतरफा फैसले नहीं ले रहीं?



    ये भी पढ़े-कोलेजियम या कनेक्शन? जानिए कैसे कुछ परिवारों ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को ‘अपना’ बना लिया"



    जब हिन्दू के लिए लड़ने वाला कोई नहीं, तब खड़े होते हैं अश्विनी उपाध्याय और विष्णु जैन जैसे योद्धा

    इन वकीलों ने वक्फ एक्ट और मुस्लिम तुष्टीकरण के खिलाफ मोर्चा खोला, लेकिन सवाल है:

    कितने हिन्दू आज इनके साथ खड़े हैं?

    कितने लोग सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं डालते हैं अपने हक के लिए?


    📣 अब समय आ गया है: जागो नहीं तो अस्तित्व मिट जाएगा

    हिन्दू समाज को अब तय करना होगा:


    क्या हम यूं ही डरते, सहते और पलायन करते रहेंगे?


    या फिर एकजुट होकर अपनी संस्कृति, अपने हक और अपने धर्म की रक्षा करेंगे?


    ये भी पढ़े-बिहटा में आर.के. इंडस्ट्रीज की नई गारमेंट यूनिट का उद्घाटन, 250 अत्याधुनिक मशीनों से होगा उत्पादन



    📌 निष्कर्ष: जियाउल शेख की गिरफ्तारी एक शुरुआत है, लेकिन...

    जियाउल शेख जैसे गुनहगार तो मोहरे हैं, असली खेल बहुत गहरा है। जब तक हिन्दू समाज चुप है, तब तक ये साजिशें चलती रहेंगी — और हम एक-एक कर मिटा दिए जाएंगे।"अगर हिन्दू समाज अब भी मौन रहा, तो अगली बारी किसी और चंदन दास की होगी — और तब पछताने का वक्त नहीं मिलेगा।" ये तो सिर्फ बर्फ की ऊपरी परत है। असली साजिश भीतर पल रही है — और तब तक फलती-फूलती रहेगी जब तक हिन्दू समाज खामोश तमाशबीन बना रहेगा।"


    🙏 पाठकों से अपील

    ➡️ क्या आप मानते हैं कि भारत में हिन्दुओं के साथ अन्याय हो रहा है?

    ➡️ क्या हिन्दू समाज को अब कानूनी, सामाजिक और राजनीतिक लड़ाई के लिए संगठित होना चाहिए?

    ➡️ क्या हिन्दू पर्सनल लॉ बोर्ड की ज़रूरत नहीं है?


    "कमेंट करें, अपनी राय दें और इस रिपोर्ट को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँचाएं ,"अब भी नहीं जागे, तो इतिहास हमें कायर कहकर याद करेगा — और हमारे बच्चों को हमारी चुप्पी की कीमत चुकानी पड़ेगी।"


    🛑 डिस्क्लेमर | स्पष्टीकरण

    यह रिपोर्ट एक पत्रकारिता आधारित विशेष विश्लेषण है, जिसका उद्देश्य तथ्यों के आधार पर घटनाओं को उजागर करना और सामाजिक बहस को जन्म देना है।
    यह लेख किसी धर्म, जाति या समुदाय के प्रति घृणा फैलाने का प्रयास नहीं करता, बल्कि हिंसा के शिकार नागरिकों की पीड़ा और हक की बात करता है। हम भारतीय संविधान की मूल भावना — "सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः" — का पूरी तरह समर्थन करते हैं।

    यह रिपोर्ट अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Article 19) के अंतर्गत तैयार की गई है, और किसी व्यक्ति, समुदाय या संस्था को लक्ष्य कर अपमानित करने का उद्देश्य नहीं रखती।
    हम केवल उन मुद्दों को उठा रहे हैं जिन पर खुली चर्चा लोकतंत्र के हित में आवश्यक है।




    📣 पाठकों से अनुरोध

    कृपया इस रिपोर्ट को भावनात्मक नहीं, तथ्यात्मक दृष्टिकोण से पढ़ें। समाज में सद्भाव, सुरक्षा और न्याय के लिए संवाद आवश्यक है — न कि चुप्पी।

    #मुर्शिदाबादहिंसा #हिन्दूविरोध #WaqfAct #जियाउलशेख #बंगालदंगे #HinduRights #वोटबैंक_राजनीति #DeepakReports 

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