अमेरिका का 'Golden Dome' डिफेंस सिस्टम: दुनिया की पहली अंतरिक्ष आधारित मिसाइल रक्षा प्रणाली
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🆆🅴🅽🅴🆆🆂 24 डिजिटल डेस्क
✍️ By Anjali Kamari | WeNews24 | Updated: 21 May 2025
नई दिल्ली/ न्यू यॉर्क —अमेरिका ने अपने सुरक्षा तंत्र को और मजबूत बनाने के लिए 'Golden Dome' नामक अत्याधुनिक मिसाइल रक्षा प्रणाली का विकास शुरू किया है। यह एक नेक्स्ट जेनरेशन हाइब्रिड सिस्टम है, जो हवा, जमीन और अंतरिक्ष से होने वाले किसी भी प्रकार के हमले का तुरंत पता लगाने, ट्रैक करने और नष्ट करने में सक्षम है। इस तकनीक का उद्देश्य क्रूज, बैलिस्टिक, हाइपरसोनिक मिसाइलें, ड्रोन और परमाणु हथियार जैसे खतरों से देश की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
Golden Dome क्यों खास है?
- यह प्रणाली पहली बार अमेरिका के सुरक्षा तंत्र में अंतरिक्ष से हमले की क्षमता को शामिल करती है।
- यह मिसाइल इंटरसेप्शन की प्रक्रिया को स्वचालित और अधिक प्रभावी बनाती है।
- इजरायल की प्रसिद्ध 'Iron Dome' प्रणाली से प्रेरित, लेकिन इससे कई गुना अधिक उन्नत और शक्तिशाली।
- यह प्रणाली अमेरिका को दुश्मनों द्वारा लॉन्च की जाने वाली किसी भी प्रकार की मिसाइल का सामना करने में सक्षम बनाती है।
प्रोजेक्ट की शुरुआत और योजना
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जनवरी 2021 में इस प्रणाली का उल्लेख किया था। Lockheed Martin जैसी प्रतिष्ठित सुरक्षा कंपनियों द्वारा विकसित इस प्रणाली पर करीब 175 बिलियन डॉलर (लगभग 14.52 लाख करोड़ रुपये) का खर्च आने का अनुमान है।
प्रोजेक्ट का नेतृत्व अमेरिकी स्पेस फोर्स के जनरल माइकल गुटलीन कर रहे हैं, जिनके पास मिसाइल डिफेंस और स्पेस ऑपरेशंस का 30 वर्षों का अनुभव है।
किस खतरे से रक्षा करेगा 'Golden Dome'?
यह प्रणाली रूस और चीन जैसे देशों की नई-नई मिसाइल तकनीकों से उत्पन्न खतरों को रोकने के लिए तैयार की गई है। खासतौर पर हाइपरसोनिक मिसाइलें और परमाणु हथियारों से होने वाले खतरों को नाकाम करने की क्षमता रखती है।
लागत और समयरेखा
शुरुआती तौर पर ट्रंप ने इस प्रोजेक्ट के लिए 25 बिलियन डॉलर का बजट मंजूर किया था। उम्मीद है कि यह प्रणाली 2029 तक पूरी तरह से कार्यान्वित हो जाएगी।
अंत में, 'Golden Dome' एक व्यापक और बहुस्तरीय रक्षा प्रणाली है, जो अमेरिका को और अधिक सुरक्षित बनाने के साथ-साथ अंतरिक्ष में भी सुरक्षा की नई परिभाषा स्थापित करेगी। यह प्रणाली न केवल देश की वायु और जमीन की रक्षा करेगी, बल्कि अंतरिक्ष से होने वाले खतरों का भी मुकाबला करने में सक्षम होगी।
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