पाकिस्तान पर IMF की बड़ी शर्तें: कर्ज के बाद अब कंट्रोल की तैयारी, जानिए क्यों डरा हुआ है अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष?
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🆆🅴🅽🅴🆆🆂 24 रिपोर्टिंग ,एजेंसी
इस्लामाबाद/नई दिल्ली:-भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को आर्थिक रूप से सहारा देने के लिए कर्ज तो दे दिया, लेकिन अब वह खुद इस फैसले को लेकर सतर्क हो गया है। IMF को डर है कि पाकिस्तान की डगमगाती अर्थव्यवस्था और राजनीतिक अस्थिरता में उसका पैसा डूब सकता है। इसी डर के चलते IMF ने पाकिस्तान पर 11 नई सख्त शर्तें लागू कर दी हैं, जो देश की आंतरिक नीतियों और जनता की जेब दोनों पर भारी पड़ने वाली हैं।
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IMF की 11 कड़ी शर्तें, जो पाकिस्तान को बनाएं 'बंधक'
1. बजट पास कराना अनिवार्य
पाकिस्तान को अगले वित्त वर्ष के लिए 17,600 अरब रुपये का संघीय बजट संसद से हर हाल में पारित कराना होगा।
2. बिजली पर अतिरिक्त भार
बिजली बिलों में अधिभार और ऋण पुनर्भुगतान शुल्क बढ़ाना अनिवार्य होगा — जिससे आम उपभोक्ता की जेब पर सीधा असर पड़ेगा।
3. आयात पर छूट और कृषि आयकर लागू
पुरानी कारों के आयात पर लगे प्रतिबंध हटाना होगा। साथ ही चार प्रांतीय इकाइयों को नया कृषि आयकर कानून लागू करना होगा।
4. नए टैक्स सिस्टम की समयसीमा तय
नई कर प्रणाली और सुधारों को जून 2025 तक लागू करना अनिवार्य होगा।
5. प्रशासनिक सुधारों की कार्य योजना सार्वजनिक करना
IMF की सिफारिशों के आधार पर पाकिस्तान को संचालन सुधारों की योजना जारी करनी होगी।
6. 2027 तक की वित्तीय रणनीति बनानी होगी
वित्तीय क्षेत्र के लिए 2027 के बाद की रणनीति तैयार कर उसे सार्वजनिक करना जरूरी है।
7. ऊर्जा सेक्टर में पारदर्शिता
टैरिफ निर्धारण, वितरण सुधार और वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करनी होगी।
8. भारत-पाक तनाव को बताया जोखिम
IMF ने चेतावनी दी है कि भारत के साथ जारी तनाव पाकिस्तान के आर्थिक सुधारों पर गंभीर असर डाल सकता है।
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9. बढ़ा हुआ रक्षा बजट चिंता का विषय
पाकिस्तान का आगामी रक्षा बजट 2,414 अरब रुपये अनुमानित है — जो पिछले वर्ष से 12% अधिक है।
10. कुल शर्तें हुईं 50
अब तक IMF पाकिस्तान पर कुल 50 शर्तें लगा चुका है — यह सीधे तौर पर पाकिस्तान की नीति-निर्माण प्रक्रिया में गहरे हस्तक्षेप की ओर इशारा करता है।
IMF को क्यों है डर?
पाकिस्तान की बिगड़ती आर्थिक स्थिति, विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट, आतंरिक राजनीतिक संकट और सैन्य व्यय में बढ़ोतरी ने IMF की चिंताओं को गहरा कर दिया है। IMF को डर है कि अगर पाकिस्तान इन शर्तों को नहीं मानता या भारत-पाक सीमा पर तनाव और बढ़ता है, तो उसका कर्ज डूब सकता है।
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क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय करेगा हस्तक्षेप?
IMF की शर्तों से पाकिस्तान की जनता पर आर्थिक बोझ और बढ़ेगा। इससे पहले भी जनता महंगाई, बेरोजगारी और वित्तीय अस्थिरता से जूझ रही है। ऐसे में सवाल उठता है — क्या यह शर्तें देश को सुधारेंगी या और गहराएंगी आर्थिक संकट?
IMF का कर्ज अब पाकिस्तान के लिए राहत से ज्यादा नियंत्रण का जरिया बनता जा रहा है। एक ओर शर्तें हैं, दूसरी ओर भारत के साथ सीमा पर तनाव — इस बीच पाकिस्तान को अपनी अर्थव्यवस्था, कूटनीति और जनता तीनों को संतुलित रखना होगा।
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