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    सीतामढ़ी में जानकी जन्मोत्सव: भक्ति, उल्लास और जनसैलाब का संगम

    सीतामढ़ी में जानकी जन्मोत्सव: भक्ति, उल्लास और जनसैलाब का संगम


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    📍 रिपोर्ट : असफाक खान 
    🗓️ प्रकाशन तिथि: 6 मई 2025
    📌 स्थान: नई दिल्ली


    सीतामढ़ी :- पावन नगरी सीतामढ़ी आज भक्ति और उल्लास के सागर में गोते लगा रही थी। अवसर था जगत जननी मां जानकी के जन्मोत्सव का। इस पावन अवसर पर शहर में निकाली गई भव्य निशान शोभायात्रा ने पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया। लाखों की संख्या में श्रद्धालु हाथों में रंग-बिरंगे निशान लिए "जय सियाराम" के जयघोष के साथ आगे बढ़ रहे थे। ऐसा लग रहा था मानो पूरा शहर ही एक विशाल भक्ति समूह में बदल गया हो।





    भक्ति की लहरों पर सवार जनसैलाब:


    सुबह से ही शहर के कोने-कोने से श्रद्धालु निशान शोभायात्रा में शामिल होने के लिए उमड़ने लगे थे। क्या बच्चे, क्या बूढ़े, क्या जवान - हर कोई इस भक्ति यात्रा का हिस्सा बनने को आतुर था। हाथों में लहराते निशान, मुख पर "जय सियाराम" का जाप और हृदय में मां जानकी के प्रति अगाध श्रद्धा - यह दृश्य मनमोहक था। शोभायात्रा जिस भी रास्ते से गुजर रही थी, वहां का वातावरण भक्ति रस से सराबोर हो रहा था। सड़कों के दोनों ओर खड़े लोग फूलों की वर्षा कर रहे थे और यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं का अभिनंदन कर रहे थे।



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    सीता राम धुन से गूंजता शहर:


    शोभायात्रा के दौरान बज रहे भक्ति गीतों और श्रद्धालुओं के जयघोष से पूरा शहर सीता राम धुन से गूंज रहा था। ऐसा लग रहा था मानो कण-कण में प्रभु श्रीराम और मां जानकी का वास हो। यह ध्वनि केवल कानों तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि सीधे हृदय को स्पर्श कर रही थी और एक अलौकिक शांति का अनुभव करा रही थी।


    श्रद्धालुओं के लिए सेवा भाव:


    इस विशाल जनसैलाब को देखते हुए शहरवासियों ने भी सेवा भाव का अद्भुत परिचय दिया। जगह-जगह श्रद्धालुओं के लिए पानी, शरबत और जूस की व्यवस्था की गई थी। तपती धूप में मीठे पेय पदार्थ पाकर श्रद्धालुओं के चेहरे पर संतोष और कृतज्ञता का भाव साफ झलक रहा था। यह दृश्य भारतीय संस्कृति की अतिथि देवो भवः की भावना को चरितार्थ कर रहा था।


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    सजे-धजे जानकी मंदिर और पुनौरा धाम:


    जानकी नवमी के अवसर पर जानकी मंदिर और पुनौरा धाम को भी भव्य रूप से सजाया गया था। रंग-बिरंगी रोशनी, फूल-मालाओं और आकर्षक सजावट से ये दोनों धार्मिक स्थल किसी स्वर्ग से कम नहीं लग रहे थे। मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ था। श्रद्धालु मां जानकी का आशीर्वाद लेने और उनकी पूजा-अर्चना करने के लिए लंबी कतारों में खड़े थे।


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    एक अविस्मरणीय अनुभव:


    कुल मिलाकर, सीतामढ़ी में जानकी जन्मोत्सव का यह आयोजन एक अविस्मरणीय अनुभव था। भक्ति, उल्लास, जनसैलाब और सेवा भाव का यह संगम भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपरा और धार्मिक आस्था की गहराई को दर्शाता है। यह आयोजन न केवल मां जानकी के प्रति श्रद्धा का प्रतीक था, बल्कि एकता, भाईचारे और सामुदायिक सद्भाव का भी संदेश देता था। सीतामढ़ी के लोगों ने इस आयोजन को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और यह साबित कर दिया कि भक्ति और सेवा भाव से बढ़कर कुछ नहीं है। 

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