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    बीजापुर में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान नक्सलियों पर हमला, ऑपरेशन का 16वां दिन, 18 की मौत

     

    बीजापुर में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान नक्सलियों पर हमला, ऑपरेशन का 16वां दिन, 18 की मौत

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    🗓️ प्रकाशन तिथि: 7 मई 2025

    ✍️ मनोज चन्द्रवंशी 
    संवाददाता, We News 24 


    बीजापुर/नई दिल्ली: 6-7 मई की दरमियानी रात भारत की सुरक्षा रणनीति ने दो मोर्चों पर जवाब दिया—एक तरफ पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर सटीक और घातक एयरस्ट्राइक, तो दूसरी तरफ देश के अंदर छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों पर सीधा प्रहार। यह भारत की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा के लिए एक निर्णायक और साहसी रात थी, जिसे इतिहास ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम से याद रखेगा।


    बीजापुर में नक्सलियों का अंत: ऑपरेशन का 16वां दिन, 18 ढेर

    छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा की दुर्गम पहाड़ियों में पिछले 15 दिनों से चल रहे नक्सल-विरोधी अभियान को बड़ी सफलता मंगलवार देर रात मिली, जब 18 से ज्यादा नक्सलियों को सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया। बरामद हथियार और विस्फोटक सामग्री इस बात की पुष्टि करते हैं कि मारे गए उग्रवादी किसी बड़ी वारदात की फिराक में थे। ऑपरेशन की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बटालियन नंबर एक के कुछ बड़े नेताओं की मौजूदगी की सूचना भी मिली थी।



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    बीजापुर के इस ऑपरेशन में अब तक की सबसे बड़ी मुठभेड़ देखी गई, जिसमें गोलीबारी देर रात तक जारी रही। सूत्रों के अनुसार तलाशी अभियान अब भी चल रहा है और मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। कर्रेगुट्टा इलाका पहले भी नक्सली गतिविधियों के लिए कुख्यात रहा है। सुरक्षाबलों की इस सफलता ने पूरे क्षेत्र में नक्सल नेटवर्क को एक निर्णायक झटका दिया है।

    'ऑपरेशन सिंदूर'—पाकिस्तान की धरती पर आतंक के खिलाफ सर्जिकल संदेश

    15 दिन पहले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने देश को दहला दिया था। आतंकियों ने 26 निर्दोष नागरिकों को मौत के घाट उतारा, जिनमें कई महिलाएं भी थीं। उनके सिंदूर से सने चेहरे, उनके रुदन ने पूरे देश के ज़मीर को झकझोर दिया। यही वो क्षण था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवाबी कार्रवाई का फैसला लिया और इसे नाम दिया—‘ऑपरेशन सिंदूर’।


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    6-7 मई की रात को भारतीय वायुसेना, थलसेना और नौसेना के समन्वय से पाकिस्तान और POK में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए गए। बहावलपुर, मुरीदके, सियालकोट, गुलपुर, कोटली और मुजफ्फराबाद जैसे आतंकी अड्डों को सटीक निशाना बनाकर नष्ट किया गया। यह सैन्य कार्रवाई सिर्फ एक सामरिक जवाब नहीं, बल्कि उन मासूम चेहरों का प्रतिशोध था जिनका सिंदूर उजड़ गया था।


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    भारत का दोतरफा संदेश: आतंकी हों या नक्सली, अब बख्शा नहीं जाएगा

    भारत की सैन्य और कूटनीतिक रणनीति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चाहे खतरा देश की सीमाओं के बाहर से आए या भीतर से—हर चुनौती का जवाब कठोर और निर्णायक होगा। 'ऑपरेशन सिंदूर' अब केवल एक सैन्य ऑपरेशन नहीं, बल्कि भारत के आत्मसम्मान, सुरक्षा और मानवीय संवेदनाओं की रक्षा का प्रतीक बन गया है।

    इस ऑपरेशन ने यह भी दिखा दिया कि भारत अब प्रतीक्षा नहीं करता, प्रतिक्रिया करता है—वह भी इतनी ताकत और संवेदना से कि दुनिया देखे और समझे: हम सहनशील हैं, लेकिन कमजोर नहीं। जय हिन्द। 

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