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    "पानी नहीं अब पलटवार": पहलगाम हमले के बाद भारत ने रोका चिनाब नदी का पानी, पाकिस्तान में मची खलबली



    "पानी नहीं अब पलटवार": पहलगाम हमले के बाद भारत ने रोका चिनाब नदी का पानी, पाकिस्तान में मची खलबली




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    नई दिल्ली | 2025: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने कूटनीति का सबसे कठोर कार्ड खेलते हुए 1960 के सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया है। यह फैसला सिर्फ जल प्रबंधन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और जवाबदेही की नीति का हिस्सा है। भारत ने अब चिनाब नदी पर बने बगलिहार बांध से पाकिस्तान को जाने वाले पानी का प्रवाह रोक दिया है और झेलम नदी पर किशनगंगा परियोजना के तहत भी इसी तरह की योजना बनाई जा रही है।


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    क्या है सिंधु जल समझौता?

    1. 1960 में भारत-पाकिस्तान के बीच वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में हुआ समझौता, जिसमें सिंधु प्रणाली की नदियों का बंटवारा तय हुआ।
    2. समझौते के अनुसार:
    3. भारत को पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) पर पूर्ण अधिकार
    4. पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों (सिंधु, चिनाब, झेलम) से अधिकतम लाभ की अनुमति

    5. पाकिस्तान अपनी 80% कृषि ज़रूरतें और बिजली उत्पादन इन नदियों पर निर्भर करता है।



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      बदलती नीति: अब पानी भी रणनीति का हिस्सा

      भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद स्पष्ट कर दिया है कि अब सिर्फ कूटनीतिक निंदा और कड़ी चेतावनी से आगे जाकर ठोस कदम उठाए जाएंगे

      1. बगलिहार डैम से चिनाब नदी का प्रवाह रोका गया
      2. किशनगंगा डैम पर भी पानी के फ्लो को नियंत्रित करने की योजना
      3. यह भारत का संदेश है: “अब आतंक का जवाब कूटनीति से नहीं, रणनीति से होगा।”


      पाकिस्तान में पानी का संकट, युद्ध की धमकी

      संधि के स्थगन से पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है।

      1. पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने खुलेआम धमकी दी:
      2. “या तो सिंधु नदी में हमारा पानी बहेगा, या उनका खून।”
      3. इस बयान पर भारत ने कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए स्पष्ट किया कि “भारत अपने हिस्से के पानी को रोकेगा, यह उसका हक है, न कि कोई युद्ध का उकसावा।”


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      विश्लेषण: क्या अब पानी कूटनीति का नया हथियार बन गया है?

      विशेषज्ञ मानते हैं कि सिंधु जल समझौता जैसे पुराने ढांचों की अब समीक्षा होनी चाहिए।

      1. क्या आतंकी घटनाओं के बावजूद समझौते को निभाना भारत की कमजोरी मानी जाती रही?
      2. क्या पानी जैसे संसाधनों का इस्तेमाल भारत को अपनी सुरक्षा नीति का हिस्सा बनाना चाहिए?


      भारत का कानूनी पक्ष मजबूत क्यों?

      1. भारत ने सिर्फ अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर पानी को नियंत्रित किया है, न कि पूरी तरह रोक दिया।
      2. अंतरराष्ट्रीय जल संधियों में "Fair Use & Control" की नीति को भारत ने नहीं तोड़ा है।
      3. वर्ल्ड बैंक द्वारा पूर्व में भी भारत की परियोजनाओं को वैध माना गया है।




      📣 जनता क्या सोचती है?

      सोशल मीडिया पर #WaterForIndia और #IndusDealReview जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
      लोगों का कहना है:

      "जब हमारे सैनिक शहीद हो रहे हैं, तो हम अपने संसाधनों को क्यों मुफ्त बहने दें?"
      "ये पानी नहीं, सुरक्षा का सवाल है।"


      समाधान क्या है? – नीति में स्पष्टता और कठोरता

      1. सिंधु जल समझौते की पूर्ण समीक्षा होनी चाहिए।
      2. हर आतंकी हमले के बाद कूटनीतिक और आर्थिक स्तर पर प्रतिक्रिया अनिवार्य होनी चाहिए।
      3. पानी, व्यापार और आवाजाही — तीनों को रणनीति का हिस्सा बनाना समय की मांग है।


      🇮🇳 अब सवाल आपका:

      क्या आपको लगता है कि भारत का सिंधु जल संधि को निलंबित करना सही फैसला है?
      क्या यह कदम पाकिस्तान के आतंकी रवैये को बदल सकेगा?

      👉 अपनी राय हमें कमेंट में बताएं या #WaterAsWeapon हैशटैग के साथ साझा करें। 

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