दिल्ली बुलडोजर एक्शन: इस कॉलोनी के 100 से अधिक घरों तोड़ा जायेगा , DDA की नोटिस से लोगों में चिंता
✍️ संवाददाता : विवेक श्रीवास्तव ,वी न्यूज 24
नई दिल्ली :- दिल्ली के बाहरी इलाके कादीपुर गांव की श्रीश्याम कॉलोनी के सैकड़ों परिवार इन दिनों भारी तनाव में हैं। वजह है दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) की ओर से जारी किया गया नोटिस, जिसमें 100 से अधिक मकान मालिकों को 15 दिन के भीतर अपने मकान खाली करने का आदेश दिया गया है। डीडीए का कहना है कि यह निर्माण अवैध है, लेकिन स्थानीय लोगों का सवाल है—जब कॉलोनी बस रही थी, तब डीडीए कहां था?
6-7 साल से रह रहे हैं लोग, अब तोड़ने की तैयारी!
श्रीश्याम कॉलोनी में ज्यादातर लोग पिछले 6 से 7 वर्षों से पक्के मकानों में रह रहे हैं। प्लॉट का साइज 35 से 100 गज तक का है। डीडीए के मुताबिक यह इलाका जोन P-2 के तहत आता है और यहां बिना मंजूरी के अवैध निर्माण हुआ है। 3 जून को जारी नोटिस में साफ लिखा गया है कि 15 दिन के भीतर घर खाली नहीं किए गए तो भवनों को तोड़ दिया जाएगा, चाहे ताला तोड़ना पड़े।
"जब प्लॉट बिक रहे थे, तब DDA कहां था?"
स्थानीय निवासी सुधीर श्रीवास्तव का कहना है, "मैं पिछले छह साल से यहां रह रहा हूं। अगर यह अवैध था तो डीडीए ने पहले कदम क्यों नहीं उठाया? तब क्यों नहीं रोका गया जब जमीन की प्लॉटिंग हो रही थी?"
ऐसे ही कई परिवार हैं जिन्होंने जीवनभर की पूंजी लगाकर यहां घर बनाया है। कोई मजदूर है, कोई ड्राइवर। सोनू नाम के एक निवासी ने बताया कि उन्होंने साढ़े तीन साल पहले डीलर से सौ गज का प्लॉट खरीदकर घर बनाया था। अब अचानक बुलडोजर की तलवार लटक रही है।
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जिम्मेदार कौन? अधिकारी चुप क्यों हैं?
यह सवाल बड़ा है और जरूरी भी: जब कॉलोनी की नींव रखी जा रही थी, तब डीडीए के अधिकारी क्या कर रहे थे? अगर समय रहते अवैध निर्माण रोका गया होता तो आज हजारों लोग अपने सिर से छत जाते देखने की कगार पर न होते।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर यह जमीन सरकारी थी तो डीडीए को बोर्ड लगाकर बताना चाहिए था। "जब प्लॉटिंग हो रही थी, तब आंखें क्यों मूंदी थीं?"
अब उम्मीद किससे?
श्रीश्याम कॉलोनी के लोग डीडीए से नहीं, अब कानून और प्रशासनिक पारदर्शिता से उम्मीद लगाए बैठे हैं। अगर जिम्मेदारी निभाने में चूक हुई है तो केवल आम आदमी पर कार्रवाई क्यों? जिन अधिकारियों ने अवैध निर्माण को आंखों के सामने होते देखा, उनके खिलाफ कोई कदम क्यों नहीं?
निष्कर्ष:
श्रीश्याम कॉलोनी की यह कहानी सिर्फ एक मोहल्ले की नहीं, बल्कि उस सिस्टम की असफलता का प्रतीक है जहां आम आदमी हमेशा सबसे आसान निशाना बनता है। ज़रूरत इस बात की है कि दोषियों को बराबरी से जवाबदेह ठहराया जाए, चाहे वे आम नागरिक हों या अधिकारी।
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