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    ईरान-इजरायल युद्ध विराम, दोनों देशों को भारी आर्थिक नुकसान का सामना

    ईरान-इजरायल युद्ध विराम, दोनों देशों को भारी आर्थिक नुकसान का सामना




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    नई दिल्ली | 12 दिनों की हिंसक लड़ाई के बाद, आखिरकार ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष विराम हो गया है, लेकिन इस युद्ध ने दोनों देशों को गहरे आर्थिक जख्म दिए हैं। इस लड़ाई ने न केवल दोनों देशों की बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि उनकी अर्थव्यवस्थाओं पर भी भारी असर डाला है। 


    ईरान का GDP 6-9% तक का नुकसान, अरबों डॉलर का नुकसान


    विश्लेषकों के मुताबिक, ईरान ने इस संघर्ष में अपने कुल GDP का लगभग 6 से 9 प्रतिशत तक गंवा दिया है। रक्षा विशेषज्ञ क्रेग के अनुसार, ईरान का कुल प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नुकसान 24 से 35 अरब डॉलर के बीच हो सकता है। अमेरिका और इजराइल पर हुए हमलों ने ईरान के ऊर्जा और बुनियादी ढांचे को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया है, जिससे देश का तेल निर्यात भी प्रभावित हुआ है। 


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    इजरायल को भी भारी आर्थिक झटका, 12 अरब डॉलर तक का नुकसान


    इजरायल के वित्त मंत्री बेजलेल स्मोट्रिच ने पहले अनुमान लगाया था कि इस संघर्ष की कुल लागत 12 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है। हालांकि, केंद्रीय बैंक के गवर्नर अमीर यारोन का मानना है कि यह आंकड़ा आधे से भी कम हो सकता है। इस युद्ध के कारण, इजरायल को अपने पुनर्निर्माण और नुकसान की भरपाई में भारी खर्च उठाना पड़ रहा है। 


    अमेरिका को भी झटका, 1-2 अरब डॉलर का नुकसान


    राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर हुए ऑपरेशन मिडनाइट हैमर में अमेरिका का भी बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है, जिसका अनुमान लगभग 1 से 2 अरब डॉलर है। यह युद्ध अभी भी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है, और इसकी लागत धीरे-धीरे स्पष्ट हो रही है। 




    भविष्य का संकट: ईरान और इजरायल दोनों आर्थिक संकट से जूझ रहे


    ईरान, जो पहले से ही आर्थिक प्रतिबंधों का सामना कर रहा है, अब परमाणु झटकों और तेल निर्यात में बाधाओं के कारण और भी अधिक संकट में फंस गया है। वहीं, इजरायल अपने सबसे महंगे पुनर्निर्माण प्रयासों का सामना कर रहा है, जो देश की आर्थिक स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।  



    यह संघर्ष दोनों देशों के लिए एक बड़ी आर्थिक परीक्षा है, जिसमें लंबी अवधि की चुनौतियां और पुनर्निर्माण की जरूरतें शामिल हैं। विश्व की नजरें इस क्षेत्र पर टिकी हैं, क्योंकि स्थिरता और शांति के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।  

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