राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा से पहले CM योगी ने की पूजा, अयोध्या फिर हुआ दिव्य
✍️ रिपोर्ट: दिनेश जयसवाल | We News 24
अयोध्या 5 जून 2025। एक बार फिर अयोध्या नगरी भक्ति, श्रद्धा और दिव्यता के रंग में रंग गई। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल पर स्थित भव्य राम दरबार में गुरुवार को प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इस शुभ अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं उपस्थित रहे और राम दरबार की पूजा-अर्चना कर आरती उतारी। यह दिन विशेष इसलिए भी रहा क्योंकि आज मुख्यमंत्री योगी का जन्मदिन भी है।
🌅 सुबह 11 बजे शुरू हुआ वैदिक समारोह
राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम सुबह 11 बजे वैदिक मंत्रोच्चार और हवन के साथ प्रारंभ हुआ। 101 वैदिक आचार्यों द्वारा अभिजीत मुहूर्त में पूजा संपन्न करवाई गई। इस दौरान मंदिर परिसर में दिव्यता और आस्था की अद्वितीय छटा देखने को मिली।
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🙏 प्राण प्रतिष्ठा क्यों है खास?
यह कार्यक्रम धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण था। प्राण प्रतिष्ठा को 'अभिजीत मुहूर्त' और 'स्थिर लग्न' में संपन्न किया गया, जो दिन के 11:45 बजे से 12:45 बजे तक का विशेष आध्यात्मिक कालखंड है। माना जाता है कि इसी समय में देव विग्रहों में आत्मा का आह्वान किया जाता है, जिससे वह सजीव और पूजनीय बनते हैं।
🔱 राम दरबार के अलावा सात अन्य मंदिरों में भी प्राण प्रतिष्ठा
राम मंदिर के गर्भगृह के चारों कोनों में बने सात अन्य मंदिरों में भी आज प्राण प्रतिष्ठा की गई। ये सभी मंदिर श्रीराम दरबार के आध्यात्मिक केंद्र के रूप में स्थापित किए गए हैं।
🕉️ हनुमानगढ़ी में भी की पूजा
अयोध्या पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले हनुमानगढ़ी में दर्शन और पूजा-अर्चना की। वहां से सीधे राम मंदिर पहुंचे, जहां उन्होंने भगवान श्रीराम की आरती उतारी और राम दरबार की प्रतिष्ठा से पहले पूजा संपन्न की।
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🎂 सीएम योगी के लिए भी खास दिन
आज का दिन केवल धार्मिक ही नहीं, राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के व्यक्तिगत जीवन के लिए भी विशेष रहा। आज उनके जन्मदिन के पावन अवसर पर उन्होंने श्रीराम के चरणों में सेवा और भक्ति समर्पित कर इसे आध्यात्मिक रूप से अत्यंत शुभ बना दिया।
📸 समर्पण, सेवा और सनातन की झलक
आज का दृश्य केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भारतीय सनातन संस्कृति की जीवंत प्रस्तुति था। मंदिर परिसर में घंटों तक गूंजते मंत्र, आरती की ध्वनि, पुष्पवर्षा और श्रद्धालुओं की आँखों में उमड़ता भाव – यह सब मिलकर एक ऐसा वातावरण बना रहे थे, जिसे शब्दों में बाँधना कठिन है।
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