बिहार के 4.96 करोड़ वोटरों को बड़ी राहत, अब नहीं देना होगा कोई दस्तावेज—2003 की मतदाता सूची से होगा सत्यापन
✍️ We News 24 डेस्क | रिपोर्ट: अमिताभ मिश्रा
📅 दिनांक: 30 जून 2025 | स्थान: पटना, बिहार
जब भी बात वोटर आईडी अपडेट या नए नाम जुड़वाने की होती है, तो सबसे पहले दस्तावेजों की लंबी लिस्ट याद आती है। खासकर गरीब, ग्रामीण और बुजुर्ग मतदाताओं के लिए ये प्रक्रिया बेहद बोझिल होती थी। लेकिन अब बिहार के करीब 4.96 करोड़ मतदाताओं के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है।
चुनाव आयोग ने 2003 की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) सूची को सार्वजनिक कर दिया है, और इसे अपनी आधिकारिक वेबसाइट https://voters.eci.gov.in पर अपलोड किया है। इस पहल से अब हजारों लोग बिना दस्तावेजों की जद्दोजहद के ही अपने वोटर पहचान को प्रमाणित कर सकेंगे।
📌 क्या बदला है?
अगर किसी व्यक्ति के माता या पिता का नाम 2003 की SIR लिस्ट में मौजूद है,
तो उसे नए नाम जुड़वाने या सुधार के लिए कोई अन्य दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी।
मतदाता को बस लिस्ट से संबंधित पेज निकालकर, गणना फॉर्म (Enumeration Form) के साथ जमा करना होगा।
यह सुविधा सिर्फ दिल्ली या शहरी इलाकों तक सीमित नहीं है—गांवों के लाखों मतदाताओं को भी इसका सीधा लाभ मिलेगा।
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🧾 चुनाव आयोग का आधिकारिक आदेश क्या कहता है?
24 जून 2025 को जारी आयोग के निर्देश (पैरा 5) में स्पष्ट किया गया है कि:
"मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (CEO), जिला निर्वाचन पदाधिकारी (DEO) और निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी (ERO) यह सुनिश्चित करें कि 1 जनवरी 2003 की अर्हता तिथि वाली SIR लिस्ट सभी बीएलओ को हार्ड कॉपी में उपलब्ध हो, और मतदाता आयोग की वेबसाइट से स्वयं भी डाउनलोड कर सकें।"
एक बुजुर्ग की ज़ुबानी
महेश प्रसाद यादव (68), नवादा ज़िले के एक किसान, कहते हैं:
“हर बार वोटर कार्ड बनवाने के लिए पंचायत भवन के चक्कर लगते थे। जन्म प्रमाणपत्र, आधार और न जाने क्या-क्या मांगते थे। अब बेटे के लिए सिर्फ मेरा नाम दिखाना है... ये राहत की बात है।”
उनकी बात उन लाखों लोगों की कहानी है, जो दस्तावेज़ों के अभाव में अपने लोकतांत्रिक अधिकार से वंचित रह जाते थे।
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📥 2003 की लिस्ट कहाँ देखें?
👉 voters.eci.gov.in
इस लिंक पर जाकर आप:
अपना जिला और विधानसभा क्षेत्र चुनकर
2003 की सूची से माता-पिता या अभिभावक का नाम खोज सकते हैं
उसे प्रिंट या स्क्रीनशॉट करके बीएलओ को दिखा सकते हैं
🧠 ये जानना जरूरी है:
दस्तावेज़ों से रहित प्रक्रिया सिर्फ तभी लागू होगी जब माता/पिता का नाम 2003 की SIR लिस्ट में हो
लिस्ट में नाम मिलना ही दस्तावेजी प्रमाण माना जाएगा
गणना फॉर्म हर हाल में भरकर देना होगा
🧾 इससे होगा क्या फायदा?
✅ 4.96 करोड़ लोग दस्तावेज़ों की जरूरत से बाहर
✅ बीएलओ और अधिकारियों के कार्य में पारदर्शिता
✅ वृद्ध, ग्रामीण, गरीब मतदाताओं को राहत
✅ मतदाता पंजीकरण में तेजी और विश्वास
📢 We News 24 की राय:
यह कदम भारतीय चुनाव प्रणाली में एक बड़ा सुधार है, खासकर बिहार जैसे राज्य में, जहां लाखों मतदाता अभी भी दस्तावेजों के अभाव में उपेक्षित रह जाते हैं। आयोग की यह डिजिटल पहल भरोसे को बहाल करती है और प्रक्रिया को आमजन के लिए सरल बनाती है।
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