दिल्ली सरकार का नया नियम: अब वॉट्सएप-ईमेल पर मिलेगा कोर्ट का समन और वारंट
फटाफट पढ़े-
खबर की सार :-दिल्ली सरकार ने दिल्ली बीएनएसएस (समन और वारंट की तामील) नियम, 2025 लागू किया, जिसके तहत कोर्ट समन और वारंट अब वॉट्सएप-ईमेल से भेजे जाएंगे। उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की मंजूरी के बाद यह नियम लागू हुआ, जो समय बचाएगा और पुलिस की कार्यप्रणाली को मजबूत करेगा। हालांकि, आप और वकीलों ने इसका विरोध किया है।
📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » प्रकाशित: 24 अगस्त 2025, 02:50 IST
रिपोर्टिंग : अंजली कुमारी
नई दिल्ली, दिल्ली सरकार ने अदालती प्रक्रिया को डिजिटल बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अब दिल्ली में कोर्ट के समन और गिरफ्तारी वारंट वॉट्सएप और ईमेल के जरिए भेजे जा सकेंगे। यह नया नियम, जिसे दिल्ली बीएनएसएस (समन और वारंट की तामील) नियम, 2025 के तहत अधिसूचित किया गया है, उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की मंजूरी के बाद लागू हुआ है। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि पुलिस की कार्यप्रणाली में भी सुधार आएगा।
नियम की खासियतें
ई-डिलीवरी: कोर्ट का समन और वारंट अब वॉट्सएप और ईमेल के माध्यम से भेजे जाएंगे, जिसमें जज की डिजिटल मुहर और हस्ताक्षर होंगे।
पुलिस की जिम्मेदारी: पुलिस संबंधित व्यक्ति को ऑनलाइन सूचना भेजेगी, और थानों में इलेक्ट्रॉनिक समन वितरण केंद्र बनाए जाएंगे।
बैकअप व्यवस्था: यदि ऑनलाइन डिलीवरी विफल होती है, तो कोर्ट हार्ड कॉपी जारी करने का निर्देश दे सकती है।
लाभ: यह कागजी कार्रवाई को कम करेगा और जांच प्रक्रिया को तेज करेगा।
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समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, यह कदम दिल्ली में न्यायिक प्रक्रिया को सरल और तेज बनाने की दिशा में उठाया गया है। इससे पहले, दिल्ली के एलजी ने पुलिस अधिकारियों को थाने से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में गवाही देने की अनुमति दी थी, लेकिन यह निर्णय आम आदमी पार्टी (आप) और कुछ वकीलों के विरोध के बीच आया है।
स्थानीय प्रतिक्रिया
दिल्ली के निवासी इस बदलाव को लेकर उत्साहित हैं। स्थानीय निवासी राहुल शर्मा ने कहा, “यह कदम बहुत अच्छा है। पहले समन की डिलीवरी में देरी होती थी, लेकिन अब यह तुरंत मिलेगा, जो समय और मेहनत बचाएगा।” वहीं, कुछ लोग डिजिटल प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं।
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प्रशासनिक प्रभाव
नए नियम से पुलिस को कागजी कार्यभार से राहत मिलेगी और कोर्ट प्रक्रियाएं तेज होंगी। दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “यह कदम तकनीक के उपयोग से पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाएगा। हालांकि, रिकॉर्ड रखने के लिए इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को मजबूत करना जरूरी होगा।” इस कदम से दिल्ली देश में डिजिटल न्यायिक प्रणाली को बढ़ावा देने वाला पहला राज्य बन गया है।
राजनीतिक और कानूनी विवाद
आम आदमी पार्टी (आप) ने इस नियम पर सवाल उठाए हैं, उनका कहना है कि यह वकीलों और अदालतों के लिए अतिरिक्त जटिलता पैदा कर सकता है। वकील संघ ने भी चिंता जताई कि डिजिटल सिस्टम में तकनीकी खामियां कानूनी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती हैं। दूसरी ओर, सरकार इसे जन-हितैषी कदम बता रही है।
भविष्य के संकेत
यह कदम दिल्ली को डिजिटल गवर्नेंस में अग्रणी बना सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह प्रणाली सफल रही, तो अन्य राज्य भी इसे अपनाने पर विचार कर सकते हैं। दिल्ली सरकार का लक्ष्य 2025 तक सभी न्यायिक प्रक्रियाओं को पूरी तरह डिजिटल करना है।
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