राहुल गांधी का कर्नाटक चुनाव में फर्जी वोटिंग का आरोप, EC ने मांगा शपथ पत्र
खबर का सार
राहुल गांधी ने कर्नाटक चुनाव में फर्जी वोटिंग का आरोप लगाते हुए वोटर लिस्ट में गड़बड़ियों के सबूत दिखाए। चुनाव आयोग ने उन्हें शपथ पत्र मांगा और 8 अगस्त को दोपहर 1 से 3 बजे मिलने का समय दिया। राहुल ने इसे अपना वचन बताते हुए कहा कि यह EC का डेटा है, और आयोग ने उनकी बातों को गलत साबित नहीं किया। कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने इस मामले में कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल से भी जवाब मांगा है
प्रकाशित: 07 अगस्त 2025, 14:10 IST
📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » रिपोर्टिंग सूत्र / काजल कुमारी
खबर विस्तार से
नई दिल्ली, 07 अगस्त 2025, शाम 5:35 बजे IST – कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर फर्जी वोटिंग का सनसनीखेज आरोप लगाया। मीडिया से बातचीत के दौरान राहुल ने कथित तौर पर कुछ सबूत भी पेश किए, जिसमें वोटर लिस्ट में हाउस नंबर 0 और फर्जी पिता के नाम जैसे अनियमितताओं का जिक्र था। इस दावे पर पलटवार करते हुए चुनाव आयोग (EC) ने राहुल से शपथ पत्र (Declaration/Oath) पर हस्ताक्षर करने और सबूत पेश करने को कहा है, वरना अपने बयान वापस लेने और जनता को गुमराह न करने की चेतावनी दी है।
विवाद की शुरुआत और EC का जवाब
राहुल गांधी ने दावा किया कि वोटर लिस्ट में कई जगह हाउस नंबर 0 और फर्जी पिता के नाम दर्ज हैं, जो चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हैं। उन्होंने कहा कि यह डेटा चुनाव आयोग का है, जिसे कांग्रेस ने विश्लेषण के बाद पेश किया। इस पर कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) ने एक पत्र लिखकर राहुल और कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल को 8 अगस्त, शुक्रवार को दोपहर 1 से 3 बजे तक मिलने का निमंत्रण दिया है। CEO ने अपात्र मतदाताओं को जोड़ने और पात्र मतदाताओं के नाम हटाने के आरोपों पर शपथ पत्र मांगा है।
चुनाव आयोग ने साफ कहा कि अगर राहुल अपने दावों को साबित नहीं कर सकते, तो उन्हें बयान वापस लेना चाहिए और जनता को गुमराह करने से बचना चाहिए। आयोग का यह कदम राहुल के आरोपों को गंभीरता से लेते हुए उनकी विश्वसनीयता की जांच का संकेत देता है।
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राहुल गांधी का जवाब
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग की चुनौती का करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा, “मैं लोगों से जो कहता हूं, वही मेरा वचन है। इसे शपथ के रूप में लीजिए। यह उनका (चुनाव आयोग का) डेटा है, और हम उनका डेटा दिखा रहे हैं।” आगे उन्होंने जोड़ा, “मैं एक राजनेता हूं। मैं सार्वजनिक रूप से यह कह रहा हूं। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने जानकारी से इनकार नहीं किया। उन्होंने यह नहीं कहा कि राहुल गांधी जिस मतदाता सूची की बात कर रहे हैं, वह गलत है। आप उन्हें गलत क्यों नहीं कहते? क्योंकि आप सच्चाई जानते हैं।”
राहुल का यह बयान दर्शाता है कि वे अपने आरोपों पर अडिग हैं और इसे देशभर में चुनावों में धांधली का सबूत मान रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर आयोग उनके दावों को गलत मानता, तो स्पष्ट खंडन क्यों नहीं करता।
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राजनीतिक और जनता की प्रतिक्रिया
इस विवाद ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। कांग्रेस इसे लोकतंत्र पर हमला बता रही है, जबकि बीजेपी ने राहुल के दावों को “बेबुनियाद” करार दिया है। सोशल मीडिया पर लोग बंटे हुए हैं। कुछ राहुल की हिम्मत की तारीफ कर रहे हैं, तो कुछ इसे राजनीतिक स्टंट मान रहे हैं। एक X यूजर ने लिखा, “राहुल गांधी सही कह रहे हैं, EC को जवाब देना चाहिए।” वहीं, दूसरे ने कहा, “बिना सबूत के आरोप लगाना गंभीर बात है, शपथ पत्र लाना चाहिए।”
हमारी राय
राहुल गांधी का फर्जी वोटिंग का आरोप गंभीर है और लोकतंत्र की जड़ों को हिलाने वाला हो सकता है, लेकिन इसके लिए ठोस सबूत जरूरी हैं। चुनाव आयोग का शपथ पत्र मांगना सही कदम है, क्योंकि बिना प्रमाण के ऐसे दावे जनता के विश्वास को कमजोर कर सकते हैं। वहीं, राहुल का कहना कि यह आयोग का डेटा है, सोचने पर मजबूर करता है—क्या आयोग पारदर्शिता में कमी छिपा रहा है? दोनों पक्षों को तथ्यों के आधार पर खुलकर सामने आना चाहिए। अगर राहुल के दावे सही हैं, तो यह देश के चुनावी सिस्टम के लिए खतरे की घंटी है। अगर गलत, तो उन्हें जवाबदेही लेनी होगी। पारदर्शिता और विश्वास ही लोकतंत्र को मजबूत करेगा।
संपर्क जानकारी:
चुनाव आयोग हेल्पलाइन
ईमेल: helpdesk@eci.gov.in
वेबसाइट: www.eci.gov.in
हेल्पलाइन: 1950
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