अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने का भारत और दुनिया पर असर: क्या ये दादागिरी है? अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा बोझ
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खबर का सार :ट्रंप के 2025 टैरिफ से भारत की जीडीपी 0.2-0.4% गिर सकती है, निर्यात प्रभावित; अन्य देशों पर असमान असर। अमेरिका में जीडीपी 1-6% कम, मुद्रास्फीति 2.7% बढ़ी, अर्थव्यवस्था Q1 में 0.5% घटी। क्या ये दादागिरी है? हां, लेकिन अमेरिका को भी नुकसान।
📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » प्रकाशित: 13 अगस्त 2025, 19:215 IST
सम्पादकीय, दीपक कुमार, वरिष्ठ पत्रकार
नई दिल्ली | ट्रंप प्रशासन के नए टैरिफ से भारत की निर्यात अर्थव्यवस्था पर खतरा, जीडीपी में 0.2-0.4% की गिरावट संभव; अमेरिका में मुद्रास्फीति बढ़ी, जीडीपी घटा
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2025 में सत्ता संभालते ही टैरिफ की बौछार कर दी है। अप्रैल से शुरू हुए इन टैरिफ बढ़ोतरी ने भारत सहित कई देशों को निशाना बनाया है। भारत पर रूसी तेल खरीदने के कारण 50% तक टैरिफ लगाया गया है, जो पहले से 25% था। क्या ये अमेरिका की 'दादागिरी' है या आर्थिक राष्ट्रवाद? और क्या इससे अमेरिका की अपनी अर्थव्यवस्था पर उलटा असर नहीं पड़ रहा? आइए, आंकड़ों और तथ्यों के साथ इस मुद्दे की गहराई में उतरें।
भारत पर असर: निर्यात में गिरावट, जीडीपी को झटका
भारत अमेरिका का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है, जहां हमारा 18% निर्यात जाता है, जो जीडीपी का 2.2% है। ट्रंप के 50% टैरिफ से भारतीय निर्यात पर भारी मार पड़ेगी। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे भारत की जीडीपी में 0.2-0.4% की कमी आ सकती है। प्रभावित सेक्टरों में हीरा उद्योग (दुनिया का सबसे बड़ा कट डायमंड सप्लायर), फार्मा, आईटी और टेक्सटाइल शामिल हैं। अल जजीरा के अनुसार, सूरत का हीरा उद्योग खतरे में है, जहां लाखों नौकरियां दांव पर लगी हैं।
भारत के लिए ये टैरिफ एक 'आशीर्वाद' भी साबित हो सकता है, अगर हम अन्य बाजारों की ओर रुख करें। लेकिन फिलहाल, ये हमारे विकास दर को 7% से नीचे खींच सकता है, खासकर जब वैश्विक मंदी के संकेत हैं।
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अन्य देशों पर प्रभाव: चीन, यूरोप और मैक्सिको की चुनौतियां
ट्रंप के टैरिफ सिर्फ भारत तक सीमित नहीं। चीन पर 60% तक, मैक्सिको पर 30%, ब्राजील पर 15% और स्विट्जरलैंड जैसी अर्थव्यवस्थाओं पर भी बढ़ोतरी हुई है। रॉयटर्स के अनुसार, ये टैरिफ वैश्विक सप्लाई चेन को प्रभावित कर रहे हैं, जिससे मुद्रास्फीति बढ़ रही है। यूरोपीय संघ ने जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है, जबकि ब्राजील और भारत जैसे देश नए व्यापार समझौतों की तलाश में हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि ब्राजील और भारत के बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं, ट्रंप टैरिफ के कारण।
पीआईआईई (पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स) के अनुसार, ये टैरिफ असमान रूप से प्रभाव डाल रहे हैं, विकासशील देशों को ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं। कुल मिलाकर, वैश्विक व्यापार में $3 ट्रिलियन से ज्यादा का असर पड़ सकता है।
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क्या ये अमेरिका की दादागिरी है?
ट्रंप इसे 'पारस्परिक टैरिफ' कहकर अमेरिकी हितों की रक्षा बता रहे हैं, लेकिन कई विशेषज्ञ इसे आर्थिक दादागिरी मानते हैं। व्हाइट हाउस के जुलाई 2025 के आदेश से टैरिफ दरों में बदलाव किया गया, जो व्यापार असंतुलन को सुधारने का दावा करता है। लेकिन क्या ये WTO नियमों का उल्लंघन नहीं? कई देशों ने इसे चुनौती दी है। मेरी राय में, ये अमेरिका की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति की चरम सीमा है, जो वैश्विक सहयोग को कमजोर कर रही है। ट्रंप का कहना है कि इससे अमेरिकी नौकरियां बढ़ेंगी, लेकिन इतिहास बताता है कि 2018-2020 के ट्रेड वॉर से अमेरिका को ही $200 बिलियन का नुकसान हुआ था।
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अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर उलटा असर: गिरावट के संकेत
ट्रंप के आने के बाद अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार की बजाय गिरावट दिख रही है। यूएस ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक एनालिसिस के अनुसार, 2025 की पहली तिमाही में जीडीपी 0.3-0.5% घटी, जो तीन साल में पहली बार है। दूसरी तिमाही में 3% वृद्धि हुई, लेकिन उपभोक्ता खर्च चार साल के न्यूनतम स्तर पर है। डेलॉइट की रिपोर्ट कहती है कि 2025 में जीडीपी वृद्धि 1.5% रह सकती है, 2024 के 2.8% से कम।
टैरिफ से राजस्व बढ़ा है – 2025 में $165.6 बिलियन (जीडीपी का 0.54%) – लेकिन टैक्स फाउंडेशन के मुताबिक, ये जीडीपी को 1% घटा रहे हैं। व्हार्टन बजट मॉडल अनुमानित करता है कि लंबे समय में जीडीपी 6% कम हो सकता है, मजदूरी 5% गिर सकती है, और औसत परिवार को $22,000 का नुकसान। मुद्रास्फीति जुलाई 2025 में 2.7% बढ़ी, जो टैरिफ के कारण है। सीएनएन और द गार्जियन की रिपोर्ट्स बताती हैं कि टैरिफ से अमेरिकी उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ रहा है, नौकरियां कम हो रही हैं।
ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी ट्रेड वॉर से अमेरिकी किसान और मैन्युफैक्चरिंग प्रभावित हुए थे। अब, 2025 में अर्थव्यवस्था पहले से कमजोर है, और टैरिफ इसे और खराब कर रहे हैं।
अंतिम विचार: संतुलित नीति की जरूरत
ट्रंप के टैरिफ वैश्विक व्यापार को बदल रहे हैं, लेकिन क्या ये सतत हैं? भारत जैसे देशों को विविधीकरण की जरूरत है, जबकि अमेरिका को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करना चाहिए। ये दादागिरी जैसा लगता है, लेकिन आर्थिक युद्ध में कोई विजेता नहीं होता। उम्मीद है कि बातचीत से समाधान निकलेगा।
💬 आपको क्या लगता है — अमेरिका का ये कदम सही है या गलत ? अपनी राय कमेंट्स में ज़रूर बताइए!
लेखक दीपक कुमार, वरिष्ठ पत्रकार हैं और लोकतंत्र की रक्षा में सक्रिय जन-लेखन से जुड़े हुए हैं।
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