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    नेपाल में जन-आक्रोश का दूसरा दिन : जेन-जेड का गुस्सा, ओली सरकार को "आतंकी" करार, इस्तीफे की मांग तेज

    नेपाल में जन-आक्रोश का दूसरा दिन : जेन-जेड का गुस्सा, ओली सरकार को "आतंकी" करार, इस्तीफे की मांग तेज



    फटाफट पढ़े- नेपाल में 9 सितंबर 2025 को दूसरे दिन भी जेन-जेड और छात्रों का प्रदर्शन जारी है, जो पीएम केपी शर्मा ओली के इस्तीफे और भ्रष्टाचार खत्म करने की मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया बैन को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना जा रहा है। प्रदर्शनकारी सरकार को "आतंकी" बता रहे हैं, क्योंकि सोमवार को 21 लोग मारे गए। काठमांडू, बुटवल और भैरहवा में कर्फ्यू लागू है, और संसद भवन के आसपास सेना तैनात है। प्रदर्शनकारी इसे बांग्लादेश (2024) जैसे तख्तापलट से जोड़ रहे हैं। ओली की चीन-नजदीकी और सेंसरशिप नीतियां विवाद में हैं। सरकार को संवाद और सुधार की जरूरत है।


    📝We News 24 :डिजिटल डेस्क »

    रिपोर्टर : बिक्रम बस्नेत


    काठमांडू, 9 सितंबर 2025: नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के खिलाफ युवाओं और छात्रों का प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी है। काठमांडू की सड़कों पर जेन-जेड प्रदर्शनकारी भ्रष्टाचार, सोशल मीडिया बैन और सरकार की "आतंकी" नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतरे हैं। उनकी मुख्य मांग है कि ओली सरकार तत्काल इस्तीफा दे और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जाए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार ने छात्रों पर गोली चलवाकर आतंकवादी जैसा व्यवहार किया है। सोमवार को हुए हिंसक प्रदर्शनों में 21 लोगों की मौत के बाद काठमांडू, बुटवल और भैरहवा में कर्फ्यू लागू है। मंगलवार को संसद भवन और आसपास के इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं ताकि स्थिति नियंत्रित रहे।



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    प्रदर्शनकारियों की आवाज: "हमें ऐसी सरकार नहीं चाहिए"

    WE NEWS 24  से बातचीत में प्रदर्शनकारियों ने अपने गुस्से और मांगों को स्पष्ट किया:


    भ्रष्टाचार के खिलाफ आक्रोश: एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "इस देश में भ्रष्टाचार बंद होना चाहिए। अन्य देशों की तरह हमें भी कानूनी आजादी चाहिए। तभी नेपाल तरक्की करेगा। छात्रों को मारना गलत है, किसी को यह हक नहीं।"

    सरकार को "आतंकी" करार: युवाओं ने ओली सरकार पर छात्रों और प्रदर्शनकारियों पर गोली चलवाने का आरोप लगाया। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "यह सरकार आतंकी की तरह काम कर रही है। हम ऐसी सरकार नहीं चाहते। हम सत्ता और व्यवस्था बदलने के लिए सड़कों पर हैं।"

    सोशल मीडिया बैन पर गुस्सा: एक अन्य प्रदर्शनकारी ने बताया, "सोशल मीडिया इसलिए बैन किया गया क्योंकि हम सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहे थे। सरकार हमें रोकना चाहती है, लेकिन अब हम रुकने वाले नहीं।"

    प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार ने उन्हें सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया। अगर उनकी मांगें पहले मानी जातीं, तो यह स्थिति नहीं आती। उनका मानना है कि जब देश का नेता ही भ्रष्ट है, तो विकास असंभव है।


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    सोशल मीडिया बैन: विरोध का कारण

    4 सितंबर 2025 को नेपाल सरकार ने फेसबुक, व्हाट्सएप, एक्स, यूट्यूब सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसे प्रदर्शनकारी अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मानते हैं। सरकार का तर्क था कि ये प्लेटफॉर्म्स फर्जी आईडी, साइबर अपराध और सामाजिक अशांति फैलाने का माध्यम बन रहे थे। हालांकि, युवाओं का कहना है कि यह बैन सरकार की आलोचना को दबाने की कोशिश थी

    बांग्लादेश और श्रीलंका से तुलना

    ये प्रदर्शन बांग्लादेश (2024) में शेख हसीना के खिलाफ हुए आंदोलन और श्रीलंका (2022) में सरकार विरोधी प्रदर्शनों की याद दिलाते हैं। बांग्लादेश में जेन-जेड और छात्रों ने तख्तापलट कर शेख हसीना को सत्ता से हटा दिया था। नेपाल में भी प्रदर्शनकारी संसद भवन तक पहुंच गए, जिसे पुलिस ने आंसू गैस और रबर गोलियों से रोका। भारत के जियो-पॉलिटिकल विशेषज्ञ सुशांत शरीन ने इसे क्षेत्रीय अस्थिरता का हिस्सा बताया, जिसमें इंडोनेशिया और म्यांमार जैसे देश भी शामिल हैं।


    सरकार और पुलिस का रुख

    काठमांडू में मंगलवार सुबह से संसद भवन और आसपास के रास्तों पर सेना और पुलिस की भारी तैनाती की गई है। सोमवार को हिंसा में 21 मौतों के बाद सरकार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। काठमांडू जिला कार्यालय के प्रवक्ता मुक्तिराम रिजाल ने बताया कि कर्फ्यू रात 10 बजे तक लागू रहेगा, और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस, रबर गोलियां और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया जा रहा है।


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    चीन कनेक्शन और सेंसरशिप का डर

    प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की चीन के साथ नजदीकी नीतियां विवाद का केंद्र रही हैं। कई लोग सोशल मीडिया बैन को चीन की तर्ज पर सेंसरशिप लागू करने की कोशिश मानते हैं। ओली सरकार पर भ्रष्टाचार को नजरअंदाज करने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने का आरोप है। यह आंदोलन नेपाल में लोकतंत्र और स्वतंत्रता के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।


    शांति और संवाद की जरूरत

    नेपाल में जेन-जेड का यह आंदोलन न केवल सोशल मीडिया बैन के खिलाफ है, बल्कि भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सरकार की तानाशाही के खिलाफ भी है। सरकार को चाहिए कि:


    • प्रदर्शनकारियों के साथ तत्काल संवाद शुरू करे।
    • सोशल मीडिया बैन पर स्पष्ट नीति बनाए।
    • भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस कदम उठाए।
    • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को संरक्षित करे।

    अगर स्थिति अनियंत्रित रही, तो नेपाल में बांग्लादेश जैसे हालात बन सकते हैं, जिसके क्षेत्रीय और वैश्विक परिणाम होंगे।


    आपकी राय: नेपाल के युवाओं का यह गुस्सा जायज है या यह अस्थिरता की ओर ले जाएगा? ओली सरकार को क्या करना चाहिए? अपनी राय कमेंट में साझा करें।



     

     

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