Header Ads

ad728
  • Latest Stories

    राजद का बिहार में पूरी तरह फेल हो गया 'MY' फैक्टर, उत्तर प्रदेश में अखिलेश का पीडीए खतरे में

    राजद का बिहार में पूरी तरह फेल हो गया 'MY' फैक्टर,  उत्तर प्रदेश में अखिलेश का पीडीए खतरे में


    We News 24 :डिजिटल डेस्क » वरिष्ठ संवाददाता ,दीपक कुमार


    नई दिल्ली, 16 नवंबर, 2025 उत्तर प्रदेश और बिहार विधानसभा चुनावों के बीच कोई सीधा संबंध न होने के बावजूद, बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ऐतिहासिक जीत ने यूपी के 'मिशन 2027' की तैयारी कर रहे दलों को एक स्पष्ट संदेश दिया है। एनडीए ने 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में 202 सीटें जीतकर तीन-चौथाई बहुमत हासिल किया, जबकि महागठबंधन को मात्र 35 सीटें मिलीं। दोनों राज्यों में राजनीतिक गतिशीलता में समानताएँ—जैसे जाति-आधारित गठबंधन, विपक्ष की 'जंगल राज' की छवि और सत्तारूढ़ दल की कल्याणकारी योजनाएँ—ने बिहार के नतीजों को यूपी का आईना बना दिया है। आइए गहराई से जानें कि ये नतीजे यूपी की 403 सीटों वाले चुनावी मैदान को कैसे प्रभावित करेंगे।


    ये भी पढ़े- बिहार की 'मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना': जीविका दीदियों को कितना पैसा मिला, कहां से आया और टैक्सपेयर का पैसा है या नहीं?


    जातिगत रणनीतियाँ और एसआईआर की असफलता: विपक्ष का पीडीए खतरे में

    बिहार में, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की मुस्लिम-यादव (एमवाई) रणनीति और कांग्रेस की सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता (एसआईआर)-केंद्रित अपील पूरी तरह विफल रही। राजद को केवल 25 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को छह सीटें मिलीं। तेजस्वी यादव ने अपनी राघोपुर सीट बरकरार रखी, लेकिन गठबंधन टूट गया। उत्तर प्रदेश में, समाजवादी पार्टी (सपा) का पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) फॉर्मूला, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में सफल रहा था, अब खतरे में है। अखिलेश यादव ने बिहार के नतीजों पर कहा, "हर चुनाव एक सबक सिखाता है—चाहे जीत हो या हार। हम 2027 के उत्तर प्रदेश के लिए तैयार हैं।" हालाँकि, विशेषज्ञों का मानना ​​है कि भाजपा की कल्याणकारी योजनाओं—जैसे 'मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना', जो बिहार में महिलाओं को ₹10,000 प्रदान करती है—ने पीडीए को कमजोर कर दिया। उत्तर प्रदेश में भी, प्रधानमंत्री आवास, उज्ज्वला और डीबीटी जैसी योजनाएँ लाभार्थियों की संतृप्ति पर ध्यान केंद्रित करेंगी, जिससे अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) भाजपा की ओर आकर्षित होगा।



    ये भी पढ़े- बिहार चुनाव 2025: 'जीविका दीदी' के 10,000 रुपये के दम पर NDA की प्रचंड जीत, चुनाव आयोग की चुप्पी पर उठे सवाल



    'जंगल राज' बनाम 'बुलडोजर बाबा': एनडीए का कथानक सफल, विपक्ष ने पीडीए पर सवाल उठाए

    बिहार में, एनडीए ने राजद के खिलाफ 'जंगल राज' के कथानक को ज़ोरदार तरीके से प्रचारित किया, जो उत्तर प्रदेश में सपा पर लगे 'अपराध और भ्रष्टाचार' के आरोपों से मेल खाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे 'महिला-युवा' (एमवाई) फॉर्मूला बताया, जिसने पुरानी जातिवादी राजनीति को जड़ से उखाड़ फेंका। उत्तर प्रदेश में, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की 'बुलडोजर बाबा' छवि प्रबल है, जो 'सख्त कानून-व्यवस्था' का प्रतीक बन गई है। भाजपा ने बिहार से सीखा है कि भ्रष्टाचार के आरोप विपक्ष पर ही भारी पड़ते हैं—नीतीश के 'सुशासन बाबू' चेहरे और मोदी जादू ने सत्ता विरोधी भावना को मिथक बना दिया। सपा की पीडीए रणनीति को कड़ी परीक्षा का सामना करना पड़ेगा क्योंकि भाजपा उच्च जातियों, दलितों और पिछड़े वर्गों पर अपनी पकड़ मजबूत कर रही है।


    ये भी पढ़े -सीतामढ़ी विधानसभा चुनाव 2025: छठे राउंड में RJD के सुनील कुमार कुशवाहा 1100 वोटों से आगे, NDA के सुनील पिंटू पीछे; निर्दलीय चंदेश्वर प्रसाद रेस से बाहर



    कांग्रेस की दुर्दशा: सपा पर भरोसा, लेकिन गठबंधन की चुनौतियाँ

    बिहार में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा—सिर्फ़ 6 सीटें। उत्तर प्रदेश में सबकी निगाहें सपा-कांग्रेस गठबंधन पर टिकी होंगी। अखिलेश यादव ने 2024 में इसका फ़ायदा उठाया, लेकिन बिहार से सबक: गठबंधन की एक कमज़ोर कड़ी (जैसे कांग्रेस) पूरे गठबंधन को डुबो सकती है। एनडीए की जीत गठबंधन समन्वय के कारण हुई—भाजपा (89), जद(यू) (85), लोजपा (रा.वि.) (19), आदि। उत्तर प्रदेश में, भाजपा को सुभासपा, अपना दल (एस) और रालोद जैसे सहयोगियों के साथ तालमेल बिठाना होगा, जहाँ हाल ही में विवाद हुए हैं।



    निष्कर्ष: कल्याण बनाम जाति, स्थिरता बनाम अराजकता—उत्तर प्रदेश 2027 के लिए एक रोडमैप

    बिहार के नतीजे बताते हैं कि कल्याणकारी योजनाएँ (जैसे 10,000 रुपये की योजना) और महिलाओं व युवाओं पर ध्यान केंद्रित करना जातिगत समीकरणों से ऊपर है। उत्तर प्रदेश में, भाजपा 'बिहार मॉडल' अपनाएगी—बूथ-स्तरीय कल्याण और 'स्थिरता बनाम अराजकता' का नारा। सपा को पीडीए को मज़बूत करना होगा, लेकिन अखिलेश की चेतावनी साफ़ है: "10,000 रुपये कब तक चलेंगे? सम्मानजनक जीवन कब मिलेगा?" ये सबक मिशन 2027 में निर्णायक साबित होंगे—क्या पीडीए बचेगा, या 'एमवाई' का फॉर्मूला बदलेगा?

    बिहारी न्यूज़ विशेष: यह विश्लेषण चुनाव आयोग के आंकड़ों और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है। उत्तर प्रदेश 2027 की तैयारियों पर और अपडेट के लिए बने रहें।



    कोई टिप्पणी नहीं

    कोमेंट करनेके लिए धन्यवाद

    Post Top Ad

    ad728

    Post Bottom Ad

    ad728