बिहार की 'मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना': जीविका दीदियों को कितना पैसा मिला, कहां से आया और टैक्सपेयर का पैसा है या नहीं?
We News 24 :डिजिटल डेस्क » संवाददाता ,अमिताभ मिश्रा
पटना, 15 नवंबर, 2025 (बिहार समाचार डेस्क): माना जा रहा है कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की प्रचंड जीत में 'जीविका दीदी' कार्ड की अहम भूमिका रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की 'मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना' (जो जीविका योजना से जुड़ी थी) के तहत, लाखों महिलाओं के खातों में ₹10,000-₹10,000 की राशि पहुँची, जिसने महिला मतदाताओं को आकर्षित किया। लेकिन सवाल उठ रहे हैं: कितना पैसा दिया गया? यह पैसा कहाँ से आया? और क्या यह करदाताओं का पैसा है? हमने पूरी जाँच की है; आइए सच्चाई जानें।
जीविका दीदियों को कितना पैसा दिया गया?
इस योजना के तहत, प्रत्येक पात्र जीविका दीदी (स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं) को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से ₹10,000 की पहली किस्त प्रदान की गई। यह राशि छोटे व्यवसाय शुरू करने के लिए 'बीज निधि' के रूप में है।
कुल लाभार्थी: लगभग 1.25 करोड़ महिलाएं (कुछ स्रोतों में 1.4 करोड़ तक का उल्लेख है, लेकिन हस्तांतरण केवल 1.25 करोड़ महिलाओं पर केंद्रित था)। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों की 1.11 करोड़ से अधिक महिलाएं और शहरी क्षेत्रों की 3,00,000-3,40,000 महिलाएं शामिल हैं।
कुल राशि: लगभग ₹12,500 करोड़। ये हस्तांतरण चरणों में किए गए:
26 सितंबर, 2025: प्रधानमंत्री मोदी ने 75 लाख महिलाओं को ₹7,500 करोड़ वितरित किए।
3 अक्टूबर, 2025: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 25 लाख महिलाओं को ₹2,500 करोड़ वितरित किए।
7 अक्टूबर, 2025: 21 लाख महिलाओं को ₹2,100 करोड़।
अक्टूबर के अंत: शेष चरणों की शेष धनराशि।
सफल व्यवसायों के लिए अतिरिक्त सहायता: छह महीने बाद समीक्षा के आधार पर, ₹15,000 से ₹2 लाख तक की अगली किस्त (असुरक्षित ऋण) उपलब्ध हो सकती है। कुल बजट अनुमान: ₹15,000-20,000 करोड़।
यह धन कहाँ से आया? केंद्र, राज्य या दोनों से?
मुख्य स्रोत: धनराशि केंद्र और बिहार सरकार के बजट से आती है। इस योजना का स्वामित्व बिहार सरकार के पास है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इसे शुरू किया और केंद्र से सहायता का दावा किया। यह केंद्र सरकार की राष्ट्रीय योजना के एक भाग, 'लखपति दीदी' अभियान से जुड़ा है।
विवरण:
केंद्र सरकार: शुरुआती ₹7,500 करोड़ का एक बड़ा हिस्सा केंद्र सरकार के कल्याणकारी बजट (महिला सशक्तिकरण योजनाओं के तहत) से आता है।
बिहार सरकार: शेष राशि राज्य के ग्रामीण विकास विभाग के बजट से आती है। जीविका (बिहार ग्रामीण आजीविका संवर्धन सोसाइटी - BRLPS) एक नोडल एजेंसी है, जिसकी शुरुआत विश्व बैंक से हुई थी, लेकिन अब यह सरकारी धन पर चलती है।
योजना का उद्देश्य: ग्रामीण और शहरी महिलाओं को स्वरोज़गार के लिए सशक्त बनाना। पात्रता: 18-60 वर्ष की आयु, बिहार निवासी, जीविका SHG सदस्य, परिवार में कोई करदाता या सरकारी कर्मचारी न हो।
X (ट्विटर) पर चर्चा: @DrRanjanNishant जैसे उपयोगकर्ता कहते हैं कि यह नीतीश के 2005-10 के काम का नतीजा है, लेकिन @whyybhav जैसे लोग तंज कसते हैं, "चुनाव के बीच में 10,000 रुपये देने की क्या ज़रूरत थी? यह वोट के लिए था।"
क्या यह करदाताओं का पैसा है?
हाँ, बिल्कुल: सरकारी योजनाओं का सारा पैसा करदाताओं से आता है। केंद्र सरकार का हिस्सा आयकर, जीएसटी, कॉर्पोरेट टैक्स आदि से आता है; राज्य का हिस्सा राज्य जीएसटी, वैट, उत्पाद शुल्क और केंद्र के हिस्से से आता है। इसमें कोई निजी फंडिंग नहीं है।
लेकिन सरकार का तर्क है: यह एक "कल्याणकारी निवेश" है जो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर लंबे समय में अर्थव्यवस्था को मज़बूत करेगा। विपक्ष (राजद) का आरोप है: यह "वोट खरीदने" का एक तरीका था क्योंकि ये हस्तांतरण चुनाव से ठीक पहले हुए थे।
सच्चाई: यह योजना आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के दौरान लागू की गई थी, लेकिन चुनाव आयोग ने इसे "पूर्व नियोजित योजना" माना। कोई बड़ा उल्लंघन साबित नहीं हुआ।
सशक्तिकरण या चुनावी चाल?
1.25 करोड़ महिलाओं को कुल ₹12,500 करोड़ आवंटित किए गए, जिनमें से ₹10,000 केंद्रीय और राज्य कर निधि से प्राप्त हुए। यह पैसा करदाताओं का है, लेकिन इसका उद्देश्य महिलाओं को "लखपति दीदी" बनाना बताया जा रहा है। यह चुनावों के दौरान तो उपयोगी रहा, लेकिन असली परीक्षा भविष्य में आपके व्यवसाय की सफलता होगी। यदि आप लाभार्थी हैं, तो जीविका पोर्टल पर अपनी स्थिति देखें।
बिहारी समाचार विशेष: यह रिपोर्ट आधिकारिक सूत्रों और एक जाँच पर आधारित है। अधिक जानकारी के लिए ग्रामीण विकास विभाग से संपर्क करें।
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