बिहार के तिन जिलो में मतदान का बहिष्कार : विकास की मांग पर ग्रामीणों का 'रोड नहीं तो वोट नहीं'
We News 24 :डिजिटल डेस्क » अपडेटेड: 6 नवंबर 2025, दोपहर 12:50 बजे (IST)
पटना | बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में आज गुरुवार को 121 सीटों पर सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान हुआ। 3.75 करोड़ वोटरों ने 1,314 उम्मीदवारों की किस्मत तय की, लेकिन प्रक्रिया सुचारू न रही। 18 जिलों में 45,341 बूथों पर 4.5 लाख सुरक्षाकर्मियों के बावजूद बहिष्कार, बूथ कैप्चरिंग, EVM खराबी और दिव्यांग वोटरों की अनदेखी जैसी घटनाओं ने चुनाव आयोग (ECI) की नाकामी उजागर कर दी। शाम 6 बजे तक 55% वोटिंग होने का अनुमान है, लेकिन कई जगहों पर वोटरों को घंटों इंतजार करना पड़ा। विपक्ष ने इसे 'वोट चोरी' का हथियार बताया, जबकि ECI ने 'स्थानीय समस्या' करार दिया।
यह चरण NDA (BJP+JD(U)) और महागठबंधन (RJD+कांग्रेस) के बीच कांटों भरा रहा। तेजस्वी यादव ने राघोपुर में वोट डाला, लेकिन EVM खराबी पर ट्वीट कर ECI को ललकारा। एक बुजुर्ग वोटर, सीता देवी, नालंदा से लौटते हुए कहती हैं, "नाम लिस्ट में था, लेकिन सुविधा न होने से वोट डाल ही नहीं पाई। क्या यही लोकतंत्र है?" आइए, घटनाओं का जमीनी जायजा लें—जहां बहिष्कार ने सियासत को हिला दिया, और दिव्यांगों की पीड़ा ने ECI की पोल खोल दी।
बहिष्कार की लहर: विकास की मांग पर ग्रामीणों का 'रोड नहीं तो वोट नहीं'
कई गांवों में मतदाताओं ने स्थायी मुद्दों पर बहिष्कार का रुख अपनाया, जो विकास की कमी का आईना है।
फतुहा (पटना जिला): जमीन विवाद के चलते एक भी वोट नहीं पड़ा। ग्रामीणों ने कहा, "सरकार ने वादा किया था, लेकिन सड़क-नाला न होने से बहिष्कार।" स्थानीय प्रशासन ने समझाने की कोशिश की, लेकिन नाकाम।
कुशेश्वरस्थान (दरभंगा): पूर्वी प्रखंड के सुघराईन गांव में 'रोड नहीं तो वोट नहीं' का नारा गूंजा। CO गोपाल पासवान, BDO प्रभा शंकर मिश्रा और BPM अन्नू कुमारी समझाने पहुंचे, पुलिस ने फ्लैग मार्च किया, लेकिन ग्रामीण नहीं माने। वोटिंग शून्य रही।
गायघाट (मुजफ्फरपुर): बूथ नंबर 161, 162 और 170 पर पुल-सड़क निर्माण की मांग पर बहिष्कार। ग्रामीणों ने कहा, "20 साल से वादे, अब वोट नहीं।" प्रशासन की अपील नाकाम।
ये बहिष्कार विकास के वादों पर सवाल खड़े करते हैं। ECI ने 320 मॉडल बूथ बनाए, लेकिन ग्रामीण इलाकों में बुनियादी सुविधाओं की कमी उजागर हुई।
बूथ कैप्चरिंग की घटनाएं: नक्सल-प्रभावित इलाकों में तनाव
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बूथ कैप्चरिंग की 5-6 रिपोर्ट्स आईं। मुंगेर के भीमबांध में 20 साल बाद वोटिंग हुई, लेकिन बूथ 45 पर कथित कैप्चरिंग से हंगामा। CRPF ने कंट्रोल किया, लेकिन वोटरों ने ECI पर लापरवाही का आरोप लगाया। लखीसराय और खगड़िया में भी ऐसी शिकायतें। CEO विनोद गुंजियाल ने कहा, "तुरंत कार्रवाई, कोई बड़ी घटना नहीं।"
EVM खराबी का कोलाहल: 10+ बूथ प्रभावित, घंटों इंतजार
सुबह शुरू होते ही EVM-VVPAT खराबी ने वोटिंग रोकी। दारभंगा, लखीसराय, बरह, आरा, अगवानपुर, सहरसा में देरी। दानापुर (बूथ 196) में 30 मिनट, बख्तियारपुर (316) में 45 मिनट, मनेर (379) में 1 घंटा रुकावट। राघोपुर (तेजस्वी की सीट) पर भी समस्या। गुंजियाल ने कहा, "तत्काल बदली गईं। बहुत कम रिपोर्ट्स।"
नालंदा में दिव्यांगों की उपेक्षा: रैंप न, कुर्सी न—'वोट का हक छीना'
नालंदा जिले के कई बूथों पर दिव्यांग वोटरों को सुविधाएं न मिलने से परेशानी हुई। RPwD एक्ट 2016 के तहत अनिवार्य रैंप, व्हीलचेयर और सहायक स्टाफ का अभाव। एक दिव्यांग वोटर, रामेश्वर पासवान, ने कहा, "बूथ तक पहुंच ही नहीं पाया। BLO ने कहा 'खुद आओ'। यह अपमान है।" ECI ने 17 सुधारों में दिव्यांग सुविधाएं शामिल कीं, लेकिन ग्राउंड पर नाकामी। नालंदा DM कुंदन कुमार ने मॉडल बूथ दिखाया, लेकिन सामान्य बूथों पर लापरवाही।
| घटना प्रकार | प्रभावित स्थान/सीट | विवरण/देरी |
|---|---|---|
| बहिष्कार | फतुहा (पटना), सुघराईन (दरभंगा), गायघाट (मुजफ्फरपुर) | जमीन/रोड विवाद; 0% वोटिंग |
| बूथ कैप्चरिंग | मुंगेर (भीमबांध), लखीसराय | नक्सल इलाका; CRPF कंट्रोल |
| EVM खराबी | दानापुर, बख्तियारपुर, राघोपुर, सहरसा | 20-60 मिनट देरी; 10+ बूथ |
| दिव्यांग समस्या | नालंदा (कई बूथ) | रैंप/कुर्सी अभाव; RPwD उल्लंघन |
ECI का बचाव, विपक्ष का हमला: 'लोकतंत्र पर सवाल'
गुंजियाल ने अपील की, "अधिक वोट डालें। शांतिपूर्ण है।" लेकिन RJD ने कहा, "EVM और SIR से वोट चोरी।" प्रियंका गांधी ने 'NDA की साजिश' बताया। 14 नवंबर को नतीजे।
यह दिन बिहार के लोकतंत्र का आईना था—जहां वोट का उत्साह था, तो खामियां भी। वोटरों, आपकी आवाज महत्वपूर्ण!
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