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    तुर्किए में दिल्ली दहलाने की साजिश ,फरीदाबाद-सहारनपुर जैश मॉड्यूल: तुर्की में हैंडलर से मुलाकात


    तुर्किए में दिल्ली दहलाने की साजिश ,फरीदाबाद-सहारनपुर जैश मॉड्यूल: तुर्की में हैंडलर से मुलाकात


    We News 24 :डिजिटल डेस्क » संवाददाता ,काजल कुमारी


    नई दिल्ली, 13 नवंबर, 2025 :- दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए कार विस्फोट की जाँच से जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के फरीदाबाद-सहारनपुर मॉड्यूल से जुड़ी अहम जानकारियाँ सामने आ रही हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने पुष्टि की है कि मॉड्यूल के मुख्य आरोपी, डॉ. मुज़म्मिल शकील (फरीदाबाद) और डॉ. उमर उन नबी (लाल किला विस्फोट में मारे गए), अपने पाकिस्तानी हैंडलरों से संवाद करने के लिए "सेशन" नामक एक एन्क्रिप्टेड मैसेंजर ऐप का इस्तेमाल करते थे।


     यह ऐप बिना मोबाइल नंबर के काम करता है और चैट मेटाडेटा संग्रहीत नहीं करता है, जिससे ट्रेसिंग मुश्किल हो जाती है। इसके अलावा, 2022 में तुर्की की यात्रा के दौरान हैंडलर्स और दो टेलीग्राम ग्रुप्स के साथ मीटिंग्स के ज़रिए जैश-ए-मोहम्मद को कट्टरपंथी बनाने की एक साज़िश का पर्दाफ़ाश हुआ है। इस विस्फोट में 10 लोग मारे गए और 21 घायल हुए।



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    सेशन ऐप: हैंडलर्स से जुड़ने का एक सुरक्षित तरीका

    पूछताछ के दौरान, डॉ. मुज़म्मिल ने कबूल किया कि जैश-ए-मोहम्मद के साथ उसका शुरुआती संपर्क "अबू उक्का" (या अबू उकासा) नाम के एक हैंडलर से हुआ था, जो एक वर्चुअल तुर्की नंबर (+90) का इस्तेमाल करता था। शुरुआत में, बातचीत व्हाट्सएप पर होती थी, लेकिन बाद में हैंडलर ने उसे लीक से बचने के लिए सेशन ऐप पर स्विच करने के लिए कहा। सेशन एक ओपन-सोर्स, गोपनीयता-केंद्रित ऐप है जो ऑनियन रूटिंग (टोर की तरह) का इस्तेमाल करता है और सर्वर पर कोई डेटा स्टोर नहीं करता है। एजेंसियां ​​अब ऐप के लॉग और वर्चुअल नंबरों को ट्रैक करने की कोशिश कर रही हैं।



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    तुर्की यात्रा: आकाओं के साथ गुप्त बैठकों का खुलासा

    डॉ. मुज़म्मिल और डॉ. उमर 2022 में तुर्की गए थे, ज़ाहिर तौर पर एक मेडिकल कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के बहाने, लेकिन असल में वे जैश-ए-मोहम्मद के आकाओं से मिलने गए थे। पूछताछ के दौरान, मुज़म्मिल ने खुलासा किया कि पाकिस्तान या जैश-ए-मोहम्मद से सीधे संपर्क से बचने और भारतीय एजेंसियों के संदेह से बचने के लिए तुर्की को चुना गया था। यात्रा के दौरान, वे अबू उकासा सहित आकाओं से मिले, जहाँ उन्होंने "स्लीपर सेल" बनाने, भर्ती करने और रसद पर चर्चा की। यात्रा के बाद, मुज़म्मिल फरीदाबाद के अल-फ़लाह मेडिकल कॉलेज में शामिल हो गए, जबकि डॉ. अदील अहमद राथर को सहारनपुर भेज दिया गया। एजेंसियाँ अब तुर्की के अधिकारियों से सहयोग मांग रही हैं।


    टेलीग्राम समूह: कट्टरपंथ का केंद्र

    यह मॉड्यूल दो एन्क्रिप्टेड टेलीग्राम समूहों से जुड़ा था—"उमर बिन खत्ताब" (पाकिस्तानी जैश-ए-मोहम्मद ऑपरेटिव उमर बिन खत्ताब द्वारा संचालित) और "फ़रज़ंदान-ए-दारुल उलूम" (देवबंद से जुड़ा)। इन समूहों में 400 से ज़्यादा एन्क्रिप्टेड संदेशों का आदान-प्रदान किया गया, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मौलाना मसूद अज़हर के जिहाद समर्थक बयान, पत्र और पोस्ट साझा किए गए। कश्मीरी मौलवी इरफ़ान अहमद ने इन समूहों के ज़रिए डॉक्टरों को कट्टरपंथी बनाया। ये समूह एके-47 राइफलों, आईईडी सामग्री और दिल्ली-एनसीआर में हमलों की योजनाओं पर चर्चा करते थे।


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    मॉड्यूल का नेटवर्क: सफेदपोश आतंकवादी

    यह 9-10 सदस्यों वाला हाइब्रिड मॉड्यूल (डॉक्टर, मौलवी और ओवरग्राउंड वर्कर) दो साल से सक्रिय था। प्रमुख सदस्य:

    डॉ. उमर उन नबी: लाल किला विस्फोट में शामिल ड्राइवर, पुलवामा (जम्मू-कश्मीर) से।

    डॉ. मुज़म्मिल शकील: अल-फ़लाह विश्वविद्यालय, फरीदाबाद में संकाय; 2,900 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट, एके-47 और आईईडी सामग्री बरामद।

    डॉ. आदिल अहमद राथर: सहारनपुर, काज़ीगुंड (जम्मू-कश्मीर) से।

    डॉ. शाहीन सईद: लखनऊ, मुज़म्मिल की प्रेमिका; जैश-ए-मोहम्मद की महिला शाखा से जुड़ी।


    मौलवी इरफ़ान अहमद: कश्मीरी मौलवी, कट्टरपंथ का केंद्र।

    इस मॉड्यूल ने दिल्ली, गुरुग्राम और फरीदाबाद को निशाना बनाकर 200 आईईडी तैयार करने की साज़िश रची थी। जाँच की शुरुआत कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टरों से हुई, जो श्रीनगर के नौगाम में लगाए गए थे। जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश पुलिस और एनआईए संयुक्त जाँच कर रही हैं।


    जाँच ​​की दिशा: अंतर्राष्ट्रीय पहलू

    एजेंसियाँ अब तुर्की यात्रा, सेशन ऐप ट्रैफ़िक और टेलीग्राम ग्रुप एडमिन के वीज़ा रिकॉर्ड पर नज़र रख रही हैं। लाल किले के आसपास मोबाइल टावरों से डॉ. उमर के संबंधों की जाँच की जा रही है। यह मॉड्यूल जैश-ए-मोहम्मद की "सफेदपोश" रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है, जहाँ शिक्षित पेशेवरों का इस्तेमाल किया जाता है।


    यह खुलासा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी बजाता है। एजेंसियाँ स्लीपर सेल को नाकाम करने के लिए सतर्क हैं।


    भारत माता की जय! 

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