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    सच में बिहार बन रहल बा रोजगार का नया हब? नीतीश का “एक करोड़ नौकरी-रोजगार” वाला मेगा प्लान, सच या सिर्फ़ जुमला?

     

    सच में बिहार बन रहल बा रोजगार का नया हब? नीतीश का “एक करोड़ नौकरी-रोजगार” वाला मेगा प्लान, सच या सिर्फ़ जुमला?

    We News 24 : डिजिटल डेस्क » BIHAR

    रिपोर्ट : राहुल सिंह, वी न्यूज 24

    पटना | 8 दिसंबर 2025 :- भईया अभी तो  बिहार में तो माहौल ही बदल गईल बा ! नीतीश बाबू ने फिर से कुर्सी संभाली और सीधे धमाका कर दिया – “पाँच साल में एक करोड़ नौकरी और रोजगार!” सुनकर तो कोचिंग वाले लौंडे-लौंडियों की आँखें चमक उठीं। रेलवे, बिहार SSC, पुलिस, शिक्षक भर्ती, प्रशासनिक सेवा… हर तरफ़ वैकेंसी की बारिश होने वाली है, ऐसा दावा है।

    लेकिन सवाल ये है – ये सिर्फ़ वोट के लिए बड़ा-बड़ा बोलना तो नहीं? या सच में बिहार अब रोजगार का हब बनने वाला है?


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    महिला रोजगार योजना ने तो गदर मचा रखा है

    जी हाँ, ग्राउंड पे जो दिख रहा है वो कमाल का है। जीविका दीदियाँ तो अब लाखों में कमाने लगी हैं। पंचायतों में दुकान, मुर्गी पालन, मसाला पीसने की मशीन, ब्यूटी पार्लर – सब कुछ चल रहा है। एक आँकड़ा बता दें – अभी तक 3 करोड़ 60 लाख परिवारों को स्वरोजगार से जोड़ा जा चुका है। गाँव की औरतें जो पहले घर में ही बैठी रहती थीं, आज बैंक में खुद का अकाउंट खोलकर बिजनेस कर रही हैं। ये कोई छोटी बात नहीं है भाई!



    युवाओं का जोश हाई, तैयारी डबल स्पीड में

    पटना के कोचिंग सेंटर्स में हमने कई लड़के-लड़कियों से बात की।

    अनन्या प्रिया (सिविल सेवा की तैयारी कर रही छात्रा) ने कहा – “दीदी, सालों से लगे हैं, अब लग रहा है सपना पूरा होगा। एक करोड़ का आँकड़ा सुनकर तो रात में नींद नहीं आ रही।”

    आदित्य नाम के एक लड़के ने हँसते हुए कहा – “भाई पहले तो सोचते थे दिल्ली, बेंगलुरु भागना पड़ेगा। अब लग रहा है बिहार में ही कुछ बड़ा होने वाला है।”



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    अब तक का स्कोरकार्ड क्या कहता है?


    2005 से पहले बिहार का नाम सुनते ही लोग नाक सिकोड़ते थे – पलायन, बेरोजगारी, गुंडाराज।

    आज पटना में मेट्रो दौड़ रही है, एयरपोर्ट चमक रहा है, हाईवे बन रहे हैं।

    निवेशक आ रहे हैं, इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बन रहा है, IT पार्क की बात हो रही है।


    अब सरकार कह रही है – सिर्फ़ सरकारी नौकरी नहीं, प्राइवेट सेक्टर में भी लाखों जॉब्स आएँगी। स्टार्टअप को सब्सिडी, लोन आसान, स्किल डेवलपमेंट सेंटर्स हर जिले में। मतलब नौकरी लेने के साथ-साथ नौकरी देने वाला बनने का भी मौका।


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    पर सवाल अभी भी बाकी है…

    कई पुराने वादे तो अब तक अधर में लटके हैं। 19 लाख वाली पुरानी घोषणा का क्या हुआ? नई भर्तियाँ कब तक निकलेंगी? नियमित भर्ती कैलेंडर कब आएगा? ये सवाल युवा पूछ रहे हैं।

    फिर भी जो हवा चल रही है, उसमें एक बात साफ़ है – बिहार अब सिर्फ़ “गरीब राज्य” का टैग नहीं ढोना चाहता। नीतीश-मोदी की जोड़ी अगर इस बार वादा पूरा कर ले गई, तो सच में बिहार उत्तर भारत का सबसे बड़ा रोजगार हब बन सकता है।

    अब देखना ये है कि कागज की नौकरियाँ ज़मीन पर कब उतरती हैं।

    वी न्यूज 24 की टीम लगातार नजर बनाए हुए है। आप भी बताइए कमेंट में – आपको लगता है ये प्लान कामयाब होगा या फिर पुराना रिकॉर्ड ही दोहराया जाएगा?


    राहुल सिंह के साथ,

    वी न्यूज 24, पटना 

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