Header Ads

ad728
  • Latest Stories

    प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़- निर्मोही अखाड़े ने अमृत स्नान से किया इनकार


    प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़- निर्मोही अखाड़े ने अमृत स्नान से किया इनकार








    We News 24 Hindi / दिनेश जायसवाल 

    प्रयागराज :- प्रयागराज के महाकुंभ में हुई भगदड़ एक दुखद घटना है, जिसने मेले की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। निर्मोही अखाड़े द्वारा मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान में भाग न लेने का फैसला प्रशासन और श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ा संकेत है कि कुंभ मेले में भीड़ प्रबंधन को लेकर और अधिक सतर्कता की जरूरत है।


    ये भी पढ़े-यमुना पर दिल्ली में बवाल,संदीप दीक्षित ने केजरीवाल पर कसा तंज, हरियाणा के सीएम केजरीवाल करेंगे मानहानि का केस



    घटना का संक्षिप्त विवरण:

    • स्थान: गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम से करीब एक किलोमीटर दूर।
    • कारण: बैरिकेड्स टूटने के कारण अचानक भीड़ पर नियंत्रण नहीं रहा और भगदड़ मच गई।
    • परिणाम:
      • कई महिलाएं कुचलने से बेहोश हो गईं।
      • गंभीर रूप से घायल लोगों को बेली अस्पताल और स्वरूप रानी मेडिकल कॉलेज भेजा गया।
      • डायवर्जन योजना लागू कर श्रद्धालुओं का प्रवेश नियंत्रित किया गया।




    निर्मोही अखाड़े का फैसला और बयान:

    • अखाड़े के संतों ने भगदड़ की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए अमृत स्नान से खुद को अलग कर लिया।आगे प्रशासन द्वारा जो भी निर्देश होंगे, उसका पालन नहीं किया जाएगा। मैं प्रयागराज की धरती से धर्म प्रेमी जनता से अनुरोध करूंगा कि गंगा नदी में डुबकी लगाकर वह घर वापस लौटें। महाकुंभ का मेला अभी चालू है और आगे भी जारी रहेगा। इस दौरान सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध है कि वह प्रशासन का सहयोग करें।

    • उनका कहना है कि किसी को दोष देना सही नहीं, लेकिन कुछ लोग इसे लेकर साजिश की आशंका जता रहे हैं।
    • प्रशासन के निर्देशों का पालन न करने का ऐलान किया गया, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या संत समाज प्रशासन की व्यवस्थाओं से संतुष्ट नहीं है?




    मौनी अमावस्या और त्रिवेणी योग का महत्व:

    • मौनी अमावस्या का स्नान कुंभ मेले में सबसे पवित्र माना जाता है।
    • इस वर्ष त्रिवेणी योग का दुर्लभ संयोग है, जो 144 साल में एक बार आता है, इसलिए इस स्नान का महत्व और बढ़ गया है।
    • बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के उमड़ने की संभावना पहले से थी, ऐसे में सुरक्षा इंतजाम और मजबूत होने चाहिए थे।

    प्रशासन के लिए अहम सवाल:

    1. क्या सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन में कोई कमी थी?
    2. क्या बैरिकेड्स की मजबूती और भीड़ नियंत्रण पर पुनर्विचार की जरूरत है?
    3. क्या कुंभ मेले में श्रद्धालुओं की संख्या को बेहतर तरीके से नियंत्रित करने के उपाय किए गए थे?
    4. अगर कोई साजिश थी, तो क्या इसकी जांच की जाएगी?

    ये भी पढ़े-बागपत जिले में बड़ा हादसा, निर्वाण लाडू महोत्सव का मंच गिरने से 7 लोगों की मौत और 75 से ज्यादा श्रद्धालु घायल


    आगे का रास्ता:

    • भीड़ प्रबंधन को और प्रभावी बनाना: विशेषकर ऐसे आयोजनों में जहां लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
    • सुरक्षा उपायों की समीक्षा: कुंभ मेले जैसे आयोजनों में बैरिकेडिंग और भीड़ नियंत्रण के उपायों को और मजबूत करना।
    • अखाड़ों और प्रशासन के बीच समन्वय: निर्मोही अखाड़े के निर्णय के बाद यह जरूरी हो गया है कि सभी संत और अखाड़े प्रशासन के साथ मिलकर काम करें ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
    • भगदड़ के कारणों की गहन जांच: यह सुनिश्चित किया जाए कि अगर किसी प्रकार की लापरवाही हुई है, तो उसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई हो।

    निष्कर्ष:

    महाकुंभ एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जिसमें लाखों श्रद्धालु आते हैं। ऐसे में भगदड़ जैसी घटनाएं न केवल श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर सवाल उठाती हैं, बल्कि धार्मिक आस्था पर भी असर डालती हैं। प्रशासन को इस घटना से सबक लेकर आगे के आयोजनों को और सुरक्षित और व्यवस्थित बनाना चाहिए।

    आपका इस पर क्या विचार है? क्या आपको लगता है कि महाकुंभ जैसे आयोजनों के लिए भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा के नए मॉडल अपनाने की जरूरत है?

    अपडेट के लिए जुड़े रहें: 

    वी न्यूज 24 इस घटना से जुड़ी हर छोटी-बड़ी खबर को लगातार अपडेट कर रहा है। ताजा जानकारी और ब्रेकिंग न्यूज के लिए हमारे साथ जुड़े रहें। हम अपने पाठकों को पल-पल की खबरों से अपडेट रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बने रहिए हमारे साथ

    कोई टिप्पणी नहीं

    कोमेंट करनेके लिए धन्यवाद

    Post Top Ad

    ad728

    Post Bottom Ad

    ad728