मोदी सरकारके बड़े फैसले,अब भारत में होगी जाति आधारित जनगणना, हाई स्पीड कॉरिडोर को मिली मंजूरी
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दीपक कुमार , 30 अप्रैल 2025
नई दिल्ली | जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की अहम बैठक हुई। इस पहली बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए, जिनका उद्देश्य देश के आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के साथ-साथ सामाजिक संतुलन को बनाए रखना है।
कैबिनेट बैठक की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि सरकार ने शिलांग से सिलचर तक एक हाई स्पीड कॉरिडोर हाईवे को मंजूरी दे दी है। यह कॉरिडोर पूर्वोत्तर भारत की कनेक्टिविटी को एक नया आयाम देगा। परियोजना की अनुमानित लागत 22,864 करोड़ रुपये है, और इससे न केवल यात्रा का समय घटेगा, बल्कि आर्थिक गतिविधियों को भी गति मिलेगी।
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गन्ना किसानों को मिला राहत का तोहफा
केंद्र सरकार ने गन्ना किसानों के लिए भी राहत भरी खबर दी है। चीनी सीजन 2025-26 के लिए गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) बढ़ाकर 355 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। यह वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर चीनी मिलें गन्ना खरीदेंगी। वैष्णव ने जानकारी दी कि 2023-24 में किसानों को 1.11 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार किसानों के हितों को लेकर गंभीर है।
जनगणना के साथ होगी जाति जनगणना
इस बैठक में एक और ऐतिहासिक फैसला लिया गया। आगामी जनगणना में जाति आधारित आंकड़ों को भी शामिल किया जाएगा। अश्विनी वैष्णव ने बताया कि राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने जाति जनगणना को औपचारिक रूप से मंजूरी दे दी है।
उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों, खासकर कांग्रेस की सरकारों, ने इस मुद्दे को टालते हुए कभी ठोस कदम नहीं उठाए। "2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने इस विषय पर मंत्रियों के समूह को विचार करने को कहा था, लेकिन नतीजा शून्य रहा।" वैष्णव ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने जाति जनगणना को केवल एक राजनीतिक औजार की तरह इस्तेमाल किया, जिससे समाज में भ्रम और संदेह की स्थिति बनी।
केंद्र सरकार का मानना है कि केवल सर्वेक्षण कराने से सामाजिक ताना-बाना कमजोर पड़ सकता है, और इसलिए इसे आधिकारिक जनगणना के जरिए ही पारदर्शिता और विश्वसनीयता के साथ किया जाना चाहिए।
मोदी कैबिनेट की यह बैठक कई मायनों में अहम रही। एक ओर बुनियादी ढांचे के विकास की दिशा में ठोस कदम उठाया गया, वहीं सामाजिक संतुलन और किसान हितों को भी प्राथमिकता दी गई। जाति जनगणना जैसे संवेदनशील मुद्दे पर लिया गया फैसला आने वाले दिनों में राजनीतिक और सामाजिक विमर्श का केंद्र बन सकता है।
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