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    🌐युनुस ने एक ही साल में शेख हसीना के 15 सालो के मेहनत पर पानी फेरा ,बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर संकट ?

    🌐युनुस ने एक ही साल में शेख हसीना के 15 सालो के मेहनत पर पानी फेरा ,बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर संकट ?


    📅 20 जुलाई 2024 | नई दिल्ली
    ✍️ By We News 24 Team


    🔰 ढाका/नई दिल्ली : — प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व में बीते 15 वर्षों को बांग्लादेश के लिए आर्थिक प्रगति के स्वर्णिम युग के रूप में देखा गया। इस दौरान देश ने रेडीमेड गारमेंट्स निर्यात, प्रवासी धन प्रेषण (Remittance), गरीबी उन्मूलन, मानव संसाधन विकास, और बुनियादी ढांचे के निर्माण जैसे क्षेत्रों में अभूतपूर्व तरक्की दर्ज की।

    इन क्षेत्रों में सफलता के दम पर बांग्लादेश को अक्सर दक्षिण एशिया की 'टाइगर इकोनॉमी' की उपाधि दी गई। विशेष रूप से महिला श्रमिकों की भागीदारी, ग्रामीण वित्तीय नेटवर्क और डिजिटल भुगतान जैसी पहलों ने वैश्विक मंच पर उसकी नई पहचान बनाई।


    लेकिन अब नई वैश्विक और राष्ट्रीय रिपोर्टें इस आर्थिक सफलता की परतों को खंगालते हुए गहरे वित्तीय संकट और प्रणालीगत असंतुलन की चेतावनी दे रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सतह पर दिख रही आर्थिक मजबूती के नीचे कई ऐसे संकेत छिपे हैं जो स्थायित्व और समावेशन के लिए खतरा बन सकते हैं  



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    📊 विश्व बैंक और राजस्व बोर्ड की रिपोर्ट: आर्थिक बुनियाद में दरारें

    हाल ही में जारी विश्व बैंक की 'ग्लोबल फिनडेक्स 2025' रिपोर्ट और बांग्लादेश राष्ट्रीय राजस्व बोर्ड (NBR) के ताज़ा आंकड़े यह स्पष्ट संकेत दे रहे हैं कि बांग्लादेश की वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) और राजस्व संग्रह (Revenue Collection) प्रणाली अब गंभीर दबाव में है।


    🔻 बैंकिंग पहुंच में भारी गिरावट

    साल 2021 में जहां 53% वयस्क आबादी के पास बैंक या मोबाइल मनी खाता था, वह आंकड़ा 2024 में गिरकर 43% पर आ गया है — यानी तीन वर्षों में 10% की गिरावट।


    तुलना करें तो:

    भारत की वित्तीय समावेशन दर 89% है

    श्रीलंका 80% से ऊपर


    📉 मोबाइल फाइनेंशियल सर्विसेज (MFS) में भी गिरावट

    मोबाइल मनी उपयोगकर्ता: 29% → घटकर 20%

    बैंक खाताधारक: 24% → घटकर 23%


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    💰 टैक्स सिस्टम में भी सुस्ती

    NBR रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश में टैक्स टू जीडीपी अनुपात स्थिर बना हुआ है — जो विकासशील अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय है।

    आंतरिक राजस्व संग्रह में भी गिरावट दर्ज की गई है, खासकर SME और निर्यात क्षेत्र से अपेक्षित टैक्स नहीं आ रहा। विशेषज्ञों का मानना है कि "यदि बांग्लादेश अपने आर्थिक विकास को टिकाऊ बनाना चाहता है, तो उसे समावेशी वित्तीय ढांचा और पारदर्शी टैक्स सिस्टम दोबारा खड़ा करना होगा।"


    ⚠️ अर्थव्यवस्था की स्थिति और रणनीतिक चुनौतियां

    बांग्लादेश की वर्तमान आर्थिक स्थिति केवल आंकड़ों की गिरावट तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की आंतरिक शासन प्रणाली और वैश्विक कूटनीतिक रणनीतियों से भी जुड़ी हुई है।


    🔒 कानून व्यवस्था पर दबाव

    हाल के महीनों में बांग्लादेश में राजनीतिक दमन, विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी, और मीडिया पर नियंत्रण की घटनाओं में वृद्धि हुई है।

    इससे न केवल निवेशकों का विश्वास कमजोर हुआ है, बल्कि स्थानीय उद्यमिता और व्यापार गतिविधियों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।


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    🌏 कूटनीतिक संतुलन विफल होता हुआ?

    बांग्लादेश सरकार ने हाल ही में चीन और पाकिस्तान के साथ आर्थिक और रक्षा सहयोग को मजबूत करने की कोशिशें तेज़ की हैं।

    लेकिन इन प्रयासों से न तो व्यापारिक लाभ मिला है और न ही वैश्विक मंच पर स्थिर कूटनीतिक समर्थन।

    भारत और पश्चिमी देशों के साथ दूरी बढ़ने से बांग्लादेश की रणनीतिक संतुलन नीति कमजोर होती दिख रही है।


    💹 विकास दर धीमी, निवेश घटा

    विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) में गिरावट

    निर्यात क्षेत्र — खासकर गारमेंट सेक्टर — पर वैश्विक मंदी का असर

    विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव और बांग्लादेश टका (BDT) की अस्थिरता

    विशेषज्ञों के अनुसार, यदि बांग्लादेश अपनी आर्थिक रणनीति और अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों की दिशा नहीं बदलता, तो आने वाले वर्षों में यह संकट और भी गंभीर हो सकता है।


    📉 अवसाद का संकेत: चमकती अर्थव्यवस्था के पीछे छिपा संकट

    बांग्लादेश के आर्थिक आँकड़े सतह पर भले ही स्थिरता और विकास का संकेत देते हों, लेकिन हालिया रिपोर्टों में उभरते ट्रेंड स्पष्ट कर रहे हैं कि देश एक धीमे आर्थिक अवसाद (economic depression) की ओर बढ़ रहा है।


    ⚠️ वित्तीय समावेशन में गिरावट = सामाजिक असमानता में वृद्धि

    बैंक और मोबाइल मनी खातों की गिरती संख्या यह संकेत देती है कि आर्थिक गतिविधियों से निचले तबके को बाहर किया जा रहा है।

    जब आम नागरिकों की बचत, क्रेडिट और डिजिटल लेनदेन से भागीदारी कम होती है, तो देश की समग्र विकास क्षमता घटती है।


    💸 राजस्व संग्रह में रुकावट = सरकार की नीतियों में बाधा

    जब सरकार पर्याप्त टैक्स नहीं जुटा पाती, तो वह स्वास्थ्य, शिक्षा, और आधारभूत ढांचे में निवेश नहीं कर पाती।

    इससे गरीबी हटाने, रोजगार सृजन और सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों पर सीधा असर पड़ता है।


    🌐 वैश्विक संदर्भ में पिछड़ता बांग्लादेश

    जहां पड़ोसी देश भारत, श्रीलंका और वियतनाम वित्तीय समावेशन और डिजिटल इकोनॉमी में नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहे हैं, वहीं बांग्लादेश 2016 के स्तर तक पीछे खिसकता दिख रहा है।

    विशेषज्ञ इसे Post-Development Trap कह रहे हैं — यानी एक ऐसा देश जिसने उन्नति तो की, लेकिन अब टिकाऊ मॉडल की कमी से जूझ रहा है।


    "अगर सरकार ने फौरन सुधारात्मक कदम नहीं उठाए, तो बांग्लादेश एक ऐसी आर्थिक स्थिति में फंस सकता है, जहां से उबरने में दशक लग सकते हैं।"

    — अर्थशास्त्री डॉ. फरीदुल इस्लाम, ढाका यूनिवर्सिटी


    ✅ यह अनुभाग रिपोर्ट के अंतिम निष्कर्ष की ओर संकेत करता है और आगे के सुधारात्मक सुझावों की भूमिका भी तैयार करता है।

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