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    🏗️ मेहरौली में सात साल पुरानी बुकिंग, फिर भी पांचवीं मंज़िल! दो हफ्तों की लड़ाई के बाद MCD को झुकना पड़ा

    मेहरौली में सात साल पुरानी बुकिंग, फिर भी पांचवीं मंज़िल! दो हफ्तों की लड़ाई के बाद MCD को झुकना पड़ा


    ✍️ We News 24 | विशेष रिपोर्ट | वरिष्ठ पत्रकार दीपक कुमार

    नई दिल्ली :- दिल्ली के मेहरौली वार्ड संख्या 6 में रहने वाले लोगों ने आखिरकार दो हफ्तों की लंबी लड़ाई के बाद एमसीडी और सिस्टम को झुकने पर मजबूर कर दिया। हम बात कर रहे हैं प्रॉपर्टी संख्या T-69 886 E, जिसका लोकेशन: Latitude 28.515518 / Longitude 77.176908 है। यहाँ जबरन डाली जा रही 5वीं मंज़िल ने स्थानीय लोगों के लिए जान-माल का संकट खड़ा कर दिया था।


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    🧾 सात साल पुरानी बुकिंग, फिर भी नई मंज़िल?

    इस इमारत को पहली बार 01 मई 2018 को बुक किया गया था (Booking No. 196 | UC |B 2nd | SZ)।
    अब 16 जुलाई 2025 को एक बार फिर नया बुकिंग नंबर जारी हुआ है: 442 | UC |B-2nd | SZ

    लेकिन सवाल ये है कि जब पहले से बुकिंग मौजूद थी, तो फिर एमसीडी ने अब नया बुकिंग क्यों किया? और अगर यह अवैध है, तो काम क्यों चलने दिया गया?





    🧱 "छत गिर गई, फ्लैट में दरार आ गई" — निवासियों की आपबीती

    इस बिल्डिंग में रहने वाले अरविंद यादव और अन्य निवासियों का कहना है:

    बिल्डर ने अपनी सारी यूनिटें बेच दी हैं, अब उसका कोई फ्लैट नहीं है। फिर भी वो जबरन 5वीं मंज़िल डाल रहा है, जिससे हमारी छतों में दरारें आ गईं, प्लास्टर टूटकर नीचे गिरा।”

    • लोगों ने कई बार 112 पर कॉल किया, पुलिस ने काम रुकवाया — मगर कुछ घंटों या दिनों बाद काम फिर शुरू हो जाता था।
    • तो क्या बिल्डर को पुलिस संरक्षण मिला हुआ है? यही सवाल आज स्थानीय लोग उठा रहे हैं।


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    🚓 "इतनी हिम्मत कहाँ से आती है?" — जनता का सवाल पुलिस से

    जब दर्जनों कॉल्स के बावजूद भी बिल्डर पाँचवीं मंज़िल का लेंटर डालने में सफल हो गया, तो साफ है कि कहीं न कहीं सिस्टम की मिलीभगत है।

    क्या पुलिस ने आंखें मूंद रखीं?
    क्या एमसीडी के अधिकारी “बुकिंग” को बचाव का हथियार बनाकर खुद को सुरक्षित कर रहे हैं?



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    ⚠️ मेहरौली में सैकड़ों बुकिंग वाली इमारतें खड़ी हो चुकीं!

    स्थानीय लोगों का कहना है:

    • मेहरौली में सैकड़ों इमारतें MCD द्वारा बुक की जा चुकी हैं, फिर भी वो बन गईं।”

    • “बिजली-पानी का कनेक्शन भी लग गया।”

    • “MCD बस बीच में थोड़ा लेंटर तोड़कर दिखावे की कार्रवाई करती है — जिसे बाद में फिर से बना दिया जाता है।”

    यह दिखावे की कार्रवाई (token action) केवल कागज़ पर कार्रवाई दिखाने के लिए होती है, असल में भ्रष्ट अफसर लाखों रुपये लेकर नज़रें फेर लेते हैं।





    🔎 दिल्ली में विधि-व्यवस्था और भ्रष्टाचार का गठजोड़?

    यह केस सिर्फ एक बिल्डिंग का नहीं है — यह पूरे सिस्टम की पोल खोलता है।
    जहाँ MCD की बुकिंग, पुलिस की चुप्पी और बिल्डर की दबंगई — तीनों मिलकर आम जनता को कुचलते हैं।




    🧭 जनता की लड़ाई अभी बाकी है

    इस केस में एमसीडी को आखिरकार कार्रवाई करनी पड़ी — लेकिन यह जनता के संघर्ष की वजह से हुआ, सिस्टम की नीयत से नहीं।

    We News 24 मांग करता है कि:

    1. इस प्रॉपर्टी की पूरी निर्माण और बुकिंग जांच करवाई जाए।

    2. सभी ज़िम्मेदार अधिकारियों और पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई हो।

    3. बिल्डर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए, जिसने खतरे के बावजूद निर्माण कराया।


    📰 We News 24 | वरिष्ठ पत्रकार दीपक कुमार की ज़मीनी रिपोर्टिंग

    “जब सिस्टम चुप हो जाए, तो पत्रकारिता को बोलना पड़ता है — यही लोकतंत्र की नींव है।”
    – दीपक कुमार




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