Header Ads

ad728
  • Latest Stories

    115 वां मुल्तान ज्योत महोत्सव: हरिद्वार में मां गंगा के तट पर भक्ति और एकता का उत्सव

    .com/img/a/


    प्रकाशित: 03 अगस्त 2025, 19:50 IST  

    📝 We News 24

    » रिपोर्टिंग सूत्र / दीपक कुमार 

    हरिद्वार, 03 अगस्त 2025: महरौली मुल्तान समाज कल्याण संघ के तत्वावधान में हरिद्वार के पावन तट पर 115वां मुल्तान ज्योत महोत्सव 3 अगस्त, रविवार को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर देशभर से एकत्रित मुल्तानी समाज के हजारों श्रद्धालुओं ने मां गंगा में ज्योत विसर्जन और दूध की होली के साथ अपनी आस्था और भक्ति का प्रदर्शन किया। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि मुल्तानी समाज की सांस्कृतिक एकता और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक भी है।

    मुल्तान ज्योत महोत्सव की प्राचीन कथा

    मुल्तान ज्योत महोत्सव की शुरुआत सन 1911 में भगत रूपचंद जी ने की थी, जो मुल्तान (तत्कालीन भारत, वर्तमान पाकिस्तान) से अपने काफिले के साथ हरिद्वार तक पैदल यात्रा कर ज्योत लेकर आए थे। यह परंपरा तब से निरंतर चली आ रही है, जो मुल्तानी समाज की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का आधार बनी। भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद मुल्तानी समाज के लोग भारत में बस गए, और उन्होंने इस परंपरा को हरिद्वार में एक वार्षिक महोत्सव के रूप में जीवंत रखा।

    यह महोत्सव भगत रूपचंद जी के उस संकल्प का प्रतीक है, जिसमें मां गंगा के प्रति श्रद्धा, सामाजिक एकता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश निहित है। मान्यता है कि गंगा में ज्योत प्रवाहित करने से आत्मा का शुद्धिकरण होता है और समाज में एकता और भाईचारे की भावना मजबूत होती है।



    ये भी पढ़े-हरिद्वार में 3 अगस्त को मेहरौली मुल्तान समाज कल्याण महासंस्था के तत्वावधान में धूमधाम से मनेगा 115वां मुल्तान ज्योत महोत्सव


    प्रेम कुमार प्रेमी का योगदान

    मुल्तान ज्योत महोत्सव को दिल्ली के महरौली में नई पहचान देने का श्रेय स्वर्गीय प्रेम कुमार प्रेमी को जाता है। उन्होंने सन 2001 में भगत रूपचंद जी से प्रेरणा लेकर महरौली में इस महोत्सव की शुरुआत की। उनके नेतृत्व में यह आयोजन हर साल भव्यता के साथ मनाया जाता रहा। इस वर्ष 24 वां ज्योत महोत्सव (हरिद्वार में) 3 अगस्त को धूमधाम से आयोजित हुआ। प्रेम कुमार प्रेमी की मेहनत और समर्पण ने इस परंपरा को न केवल जीवित रखा, बल्कि इसे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उनके निधन के बाद भी मुल्तानी समाज उनके दिखाए मार्ग पर चलकर इस उत्सव को और भव्य बनाने में जुटा है। और आगे भी ये ज्योत निरंतर जलता रहेगा 


    ये भी पढ़े-प्रेमी कुमार प्रेमी जी की जलती मुल्तान ज्योत: एक परंपरा, एक संघर्ष, एक समाज की आत्मा"


    115वें मुल्तान ज्योत महोत्सव का आयोजन

    इस वर्ष का महोत्सव 3 अगस्त, रविवार को हरिद्वार में बड़े उत्साह के साथ शुरू हुआ। आयोजन की प्रमुख गतिविधियां इस प्रकार रहीं:

    • 2 अगस्त, शनिवार: रात्रि 10 बजे सैकड़ों श्रद्धालु एसी बसों से दिल्ली के महरौली से हरिद्वार के लिए रवाना हुए।
    • 3 अगस्त, रविवार:
    • सुबह 7 बजे श्रद्धालु मंडी गोविंद धर्मशाला, पुराना ऋषिकेश रोड, हरिद्वार पहुंचे।
    • इसके बाद मां गंगा में डुबकी लगाकर दूध की होली खेली गई, जो इस महोत्सव की विशेष परंपरा है।
    • सभी श्रद्धालुओं के लिए भोजन की व्यवस्था की गई।
    • दोपहर 2 बजे से प्रसिद्ध भजन गायकों द्वारा भजन-कीर्तन और पूजा-अर्चना का आयोजन हुआ।
    • शाम 5:30 बजे बैंड-बाजों और झांकियों के साथ भव्य शोभा यात्रा निकाली गई, जो हर की पैड़ी पर पहुंची।
    • रात्रि में पूरे विधि-विधान के साथ ज्योत की पूजा-अर्चना की गई और मां गंगा में ज्योत विसर्जित की गई।

              • 3 अगस्त को मुख्य समारोह के तहत मुल्तानी समाज के लोग ढोल-नगाड़ों और गुलाल की होली के साथ हर की पैड़ी पहुंचे। पिचकारियों से दूध की होली खेली गई, और देर रात तक ज्योत को गंगा में प्रवाहित किया गया। यह दृश्य न केवल आध्यात्मिक था, बल्कि सामाजिक एकता का भी प्रतीक बना।



              ये भी पढ़े-दिल्ली में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान के करीब, उत्तर भारत में बाढ़ का खतरा बढ़ा


              मुल्तान ज्योत महोत्सव का महत्व

              मुल्तान ज्योत महोत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। यह उत्सव निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण है:

              1. आध्यात्मिक शुद्धिकरण: गंगा में ज्योत विसर्जन और दूध की होली खेलने की परंपरा आत्मा के शुद्धिकरण और मां गंगा के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है।

              2. सामाजिक एकता: यह आयोजन मुल्तानी समाज को एक मंच पर लाता है, जहां हरिद्वार, दिल्ली, ज्वालापुर, देहरादून, सहारनपुर और अन्य क्षेत्रों के लोग एकत्रित होते हैं।

              3. पर्यावरण संरक्षण: यह महोत्सव गंगा को स्वच्छ और निर्मल रखने का संदेश देता है, जो पर्यावरण जागरूकता का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

              4. सांस्कृतिक विरासत: यह उत्सव मुल्तानी समाज की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखता है और नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ता है।

              हरिद्वार: आध्यात्मिकता का केंद्र

              हरिद्वार, मां गंगा के तट पर बसा यह पावन शहर, मुल्तान ज्योत महोत्सव जैसे आयोजनों के लिए आदर्श स्थल है। हर की पैड़ी पर आयोजित होने वाली दूध की होली और ज्योत विसर्जन का दृश्य श्रद्धालुओं के लिए अविस्मरणीय होता है। यह शहर न केवल आध्यात्मिकता का केंद्र है, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का भी प्रतीक है।

              निष्कर्ष

              115वां मुल्तान ज्योत महोत्सव मुल्तानी समाज की आस्था, एकता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है। भगत रूपचंद जी द्वारा शुरू की गई यह परंपरा आज भी उतने ही उत्साह के साथ मनाई जाती है। स्वर्गीय प्रेम कुमार प्रेमी के योगदान ने इस आयोजन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। हरिद्वार के गंगा तट पर यह महोत्सव न केवल धार्मिक उत्साह को बढ़ावा देता है, बल्कि सामाजिक सद्भाव और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देता है। यह आयोजन हर साल श्रद्धालुओं के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बनकर उभरता है। 



              🔴 लेटेस्ट अपडेट्स के लिए जुड़े रहें We News 24 के साथ!

              📲 Follow us on:
              🔹 Twitter (X):https://x.com/Waors2
              🔹 Flipboard: WeNews24 on Flipboard
              🔹 Tumblr: We News 24 on Tumblr

              📡 सच्ची, निर्भीक और जनहित की पत्रकारिता — बस We News 24 पर!

              कोई टिप्पणी नहीं

              कोमेंट करनेके लिए धन्यवाद

              Post Top Ad

              ad728

              Post Bottom Ad

              ad728