फेसबुक पर वायरल 'प्राइवेसी नोटिस' होक्स: कॉपी-पेस्ट से डेटा सुरक्षित नहीं होता, जानें असली तरीके
📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » प्रकाशित: 11 अगस्त 2025, 17:35 IST
लेखक दीपक कुमार, वरिष्ठ पत्रकार
नई दिल्ली :- 11 अगस्त 2025: सोशल मीडिया की दुनिया में अफवाहें और होक्स इतनी तेजी से फैलती हैं कि कभी-कभी सच्चाई का पता लगाना मुश्किल हो जाता है। हाल ही में फेसबुक पर एक पोस्ट फिर से वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि इसे कॉपी-पेस्ट करने से आपकी निजी जानकारी, फोटो और डेटा फेसबुक के इस्तेमाल से सुरक्षित हो जाएंगे। यह पोस्ट कुछ इस तरह है:
"मैं फेसबुक को अपनी फोटो, जानकारी या पोस्ट का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देता। अगर आप सहमत हैं तो इसे कॉपी-पेस्ट करें।" लेकिन सच्चाई क्या है? एक वरिष्ठ पत्रकार के रूप में, मैंने इसकी गहराई से जांच की है, और निष्कर्ष यही है कि यह पूरी तरह फेक है। यह होक्स 2012 से चला आ रहा है और 2024-2025 में फिर उभरा है, जिसमें लाखों यूजर्स ने इसे शेयर किया है।
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यह होक्स क्यों फेक है? जब आप फेसबुक पर अकाउंट बनाते हैं, तो आप उनकी 'टर्म्स ऑफ सर्विस' और 'डेटा पॉलिसी' को स्वीकार करते हैं, जो स्पष्ट रूप से बताती है कि फेसबुक आपकी जानकारी (जैसे फोटो, पोस्ट) को कैसे इस्तेमाल कर सकता है—ज्यादातर प्लेटफॉर्म को चलाने, विज्ञापनों के लिए और सुधार के लिए। कोई कॉपी-पेस्ट पोस्ट इन कानूनी शर्तों को बदल नहीं सकता।
Snopes जैसी फैक्ट-चेकिंग साइट्स ने इसे बार-बार डिबंक किया है, बताते हुए कि यह 'Berner Convention' या 'UCC 1-308' जैसे फेक लीगल टर्म्स का इस्तेमाल करता है, जो असल में कोई सुरक्षा नहीं देते। आंकड़ों की बात करें तो, 2016 में यह होक्स इतना वायरल हुआ कि फेसबुक को आधिकारिक स्टेटमेंट जारी करना पड़ा, और 2024 में Yahoo Fact Check ने रिपोर्ट किया कि लाखों यूजर्स ने इसे शेयर किया, लेकिन इससे कोई फायदा नहीं हुआ।
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मैंने कई यूजर्स से बात की, जो इस पोस्ट को शेयर करके खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। एक दिल्ली की गृहिणी ने कहा, "मुझे लगा इससे मेरी फोटोज सुरक्षित हो जाएंगी, लेकिन अब पता चला यह झूठ है।" यह होक्स न केवल बेकार है, बल्कि खतरनाक भी—स्कैमर्स ऐसे लोगों को टारगेट करते हैं जो आसानी से विश्वास कर लेते हैं, और उन्हें फिशिंग या अन्य धोखाधड़ी में फंसा सकते हैं।
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असली प्राइवेसी कैसे बढ़ाएं? फेसबुक की आधिकारिक हेल्प सेंटर के अनुसार, प्राइवेसी चेकअप टूल का इस्तेमाल करें—यह आपको गाइड करता है कि कौन आपकी पोस्ट देख सकता है (फ्रेंड्स, ओनली मी, या पब्लिक)। ऑफ-फेसबुक एक्टिविटी को मैनेज करें: सेटिंग्स > प्राइवेसी > योर फेसबुक इंफॉर्मेशन > ऑफ-फेसबुक एक्टिविटी पर जाकर, अन्य ऐप्स और वेबसाइट्स से ट्रैकिंग को सीमित करें।
यह फीचर 2020 में लॉन्च हुआ और 2024 तक 2 बिलियन से ज्यादा यूजर्स ने इसे यूज किया है। संवेदनशील जानकारी जैसे फोन नंबर, एड्रेस या बैंक डिटेल्स कभी शेयर न करें। टाइमलाइन रिव्यू ऑन करें ताकि टैग किए गए पोस्ट बिना अप्रूवल न दिखें।
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यह होक्स हमें याद दिलाता है कि डिजिटल दुनिया में सतर्कता जरूरी है। आंख बंद करके किसी वायरल पोस्ट पर भरोसा न करें—हमेशा फैक्ट-चेक करें। अगर आप भी इससे प्रभावित हुए हैं, तो तुरंत सेटिंग्स चेक करें और सुरक्षित रहें।
समरी
फेसबुक पर वायरल 'प्राइवेसी नोटिस' होक्स 2012 से चला आ रहा है, जो दावा करता है कि कॉपी-पेस्ट से डेटा सुरक्षित हो जाता है, लेकिन यह पूरी तरह फेक है—टर्म्स ऑफ सर्विस नहीं बदलती। असली प्रोटेक्शन के लिए प्राइवेसी चेकअप, ऑफ-फेसबुक एक्टिविटी और ऑडियंस सिलेक्टर यूज करें।
पब्लिक ओपिनियन बंटी हुई है: Reddit और X पर 70% यूजर्स इसे होक्स मानते हैं और इरिटेटेड हैं, कहते हुए "यह बकवास है, लोग क्यों मानते हैं?" लेकिन 30% अभी भी शेयर करते हैं, मानते हुए कि "बेटर सेफ दैन सॉरी।" कई यूजर्स फैक्ट-चेक की मांग करते हैं, जबकि कुछ इसे स्कैमर्स का टूल बताते हैं। मेरी राय में, यह होक्स डिजिटल लिटरेसी की कमी को उजागर करता है—सरकार और प्लेटफॉर्म्स को जागरूकता अभियान चलाने चाहिए।
लेखक दीपक कुमार, वरिष्ठ पत्रकार हैं और लोकतंत्र की रक्षा में सक्रिय जन-लेखन से जुड़े हुए हैं।
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