अमरनाथ यात्रा 2025 समय से हफ्ता पहले स्थगित, 4 लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
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» रिपोर्टिंग सूत्र / अंजली कुमारी
श्रीनगर, 03 अगस्त 2025: वार्षिक अमरनाथ यात्रा 2025, जो 9 अगस्त को रक्षाबंधन के अवसर पर समाप्त होने वाली थी, को भारी बारिश और मार्गों की खराब स्थिति के कारण 3 अगस्त से स्थगित कर दिया गया है। यह यात्रा अपने निर्धारित समापन से एक सप्ताह पहले ही बंद कर दी गई है। कश्मीर के संभागीय आयुक्त विजय कुमार बिधूड़ी ने बताया कि हाल की भारी बारिश ने बालटाल और पहलगाम मार्गों को असुरक्षित बना दिया है, जिसके लिए तत्काल मरम्मत कार्य आवश्यक है।
बारिश और क्षतिग्रस्त मार्गों ने रोकी यात्रा
30 जुलाई 2025 से शुरू हुई भारी बारिश ने अमरनाथ यात्रा के दोनों प्रमुख मार्गों—बालटाल और पहलगाम—को बुरी तरह प्रभावित किया। बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (BRO) ने मार्गों की मरम्मत के लिए भारी मशीनरी और कर्मचारियों की तैनाती की है, लेकिन मरम्मत कार्य के दौरान यात्रा को जारी रखना संभव नहीं है। बिधूड़ी ने कहा, "हाल की बारिश ने मार्गों को असुरक्षित बना दिया है। मरम्मत कार्य के लिए मशीनरी और कर्मचारियों की तैनाती के कारण 3 अगस्त से दोनों मार्गों पर यात्रा स्थगित रहेगी।"
30 जुलाई को यात्रा को दोनों मार्गों पर अस्थायी रूप से रोका गया था, और 31 जुलाई को जम्मू के भगवती नगर आधार शिविर से कोई भी नया काफिला बालटाल या पहलगाम की ओर नहीं भेजा गया। हालांकि, बालटाल मार्ग से 31 जुलाई को यात्रा आंशिक रूप से शुरू हुई थी, लेकिन अब इसे पूरी तरह बंद कर दिया गया है। पंजतरणी में रुके हुए तीर्थयात्रियों को BRO और माउंटेन रेस्क्यू टीमें की निगरानी में बालटाल की ओर वापस लाया गया।
4 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के अनुसार, इस वर्ष 3 जुलाई से शुरू हुई 38-दिवसीय यात्रा के दौरान 4.10 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने 3,888 मीटर ऊंचाई पर स्थित पवित्र गुफा मंदिर में बर्फ के शिवलिंग के दर्शन किए। हालांकि, पिछले सप्ताह मौसम की खराबी के कारण तीर्थयात्रियों की संख्या में कमी देखी गई। अधिकारियों ने बताया कि 17 जुलाई को एक भूस्खलन में एक महिला तीर्थयात्री की मृत्यु हो गई थी, और तीन अन्य घायल हुए थे, जिसके बाद यात्रा को एक दिन के लिए स्थगित किया गया था।
अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था
इस वर्ष यात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को अभूतपूर्व स्तर पर बढ़ाया गया था। 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम के बैसारन घास के मैदान में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 नागरिकों की मृत्यु हुई थी, के बाद 180 अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों (CAPF) की कंपनियों को तैनात किया गया। सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी और स्थानीय पुलिस ने मिलकर तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की। सभी तीर्थयात्रियों को जम्मू से बालटाल और पहलगाम आधार शिविरों तक कड़ी सुरक्षा के बीच काफिलों में ले जाया गया, और श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर काफिले के दौरान नागरिक आवाजाही को रोका गया।
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कश्मीर की समन्वयात्मक संस्कृति का प्रतीक
अमरनाथ यात्रा की शुरुआत 1850 के दशक में एक मुस्लिम चरवाहे बोटा मलिक द्वारा गुफा की खोज से हुई थी, और इसे कश्मीर की समन्वयात्मक संस्कृति का प्रतीक माना जाता है। 2005 तक मलिक परिवार यात्रा का आयोजन करता था, जिसके बाद श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने यह जिम्मेदारी संभाली। हालांकि, स्थानीय निवासियों का कहना है कि कड़ी सुरक्षा व्यवस्थाओं के कारण तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों के बीच संपर्क कम हो गया है। अब केवल टट्टू संचालक और पालकी ढोने वाले ही तीर्थयात्रियों के साथ सीधे संपर्क में रहते हैं।
तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और सुविधा
श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने तीर्थयात्रियों को सलाह दी थी कि वे RFID कार्ड पहनें, जो उनकी सुरक्षा और ट्रैकिंग के लिए अनिवार्य है। इसके अलावा, तीर्थयात्रियों को वूलन कपड़े, रेनकोट, छाता और वाटरप्रूफ जूते साथ रखने की सलाह दी गई थी, क्योंकि यात्रा क्षेत्र में मौसम अप्रत्याशित रहता है और तापमान 5 डिग्री सेल्सियस से नीचे गिर सकता है।
अंतिम बात
अमरनाथ यात्रा 2025 को भारी बारिश और मार्गों की खराब स्थिति के कारण समय से पहले समाप्त करना पड़ा, लेकिन 4 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने इस वर्ष पवित्र गुफा के दर्शन किए। यह यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि कश्मीर की सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत का भी प्रतीक है। कड़ी सुरक्षा और प्रशासन की तत्परता ने तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की, लेकिन मौसम की चुनौतियों ने एक बार फिर इस कठिन तीर्थयात्रा की प्रकृति को उजागर किया। प्रशासन ने सभी पंजीकृत तीर्थयात्रियों को स्थिति से अवगत कराने और आवश्यक सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है।
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