नेपाल में बहुविवाह को सशर्त कानूनी मान्यता देने की तैयारी के साथ विवादों का दौर शुरू
प्रकाशित: 03 अगस्त 2025, 12:58 PM IST
📝 We News 24
» रिपोर्टिंग सूत्र / काठमांडू संवाददाता
काठमांडू:- नेपाल सरकार ने मुलुकी अपराध संहिता 2075 (2018) के तहत 1 भाद्र 2075 (17 अगस्त 2018) से पूरी तरह प्रतिबंधित बहुविवाह को सशर्त कानूनी मान्यता देने की दिशा में कदम उठाया है। कानून, न्याय और संसदीय मामलों के मंत्रालय ने मुलुकी अपराध संहिता की धारा 175 में संशोधन के लिए एक विधेयक का मसौदा तैयार किया है। इस मसौदे ने समाज में तीव्र बहस छेड़ दी है, जहां एक ओर इसे महिला अधिकारों की रक्षा के लिए उठाया गया कदम बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसे सामाजिक न्याय और लैंगिक समानता के लिए खतरा माना जा रहा है।
प्रस्तावित संशोधन के प्रमुख बिंदु
मसौदे के अनुसार, यदि कोई विवाहित पुरुष किसी अन्य महिला के साथ संबंध स्थापित करता है और उससे गर्भ ठहरता है या बच्चा जन्म लेता है, तो उस संबंध को वैवाहिक मान्यता दी जाएगी। मंत्रालय के सचिव पाराश्वर ढुंगाना ने कहा, "विवाह करने का अधिकार स्वतंत्र है। यदि पहला विवाह असफल रहा और पुरुष ने किसी अन्य महिला के साथ संबंध स्थापित कर बच्चा पैदा किया, तो उस संबंध को कानूनी मान्यता न देने से दूसरी महिला का जीवन संकट में पड़ सकता है। इसलिए, सशर्त रूप से दूसरी शादी को कानूनी वैधता देने की तैयारी की जा रही है।"
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मसौदे में निम्नलिखित संशोधन प्रस्तावित हैं:
शब्दावली में बदलाव: वर्तमान कानून में 'विवाहित पुरुष' की जगह 'किसी भी विवाहित व्यक्ति' शब्द का उपयोग किया गया है, जिससे महिलाओं को भी बहुविवाह में शामिल होने से रोकने का प्रावधान किया गया है।
उपधारा 2 हटाई गई: वर्तमान कानून की उपधारा 2, जिसमें 'कोई पुरुष विवाहित है यह जानते हुए विवाह नहीं करना चाहिए' का उल्लेख है, को मसौदे से हटा दिया गया है।
सशर्त वैधता: यदि धोखे से विवाह किया गया हो, तो वह विवाह स्वतः रद्द होगा। लेकिन यदि संबंध से गर्भ ठहरता है या बच्चा जन्म लेता है, तो वैवाहिक संबंध को मान्यता दी जाएगी।
अंश बंटवारे का प्रावधान: अंश बंटवारे के बाद दूसरा विवाह करने की अनुमति को यथावत रखा गया है।
वर्तमान कानून का प्रावधान
वर्तमान मुलुकी अपराध संहिता की धारा 175 के तहत, यदि कोई विवाहित व्यक्ति दूसरा विवाह करता है, तो उसे एक से पांच साल तक की कैद और 10,000 से 50,000 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। हालांकि, यदि ऐसे संबंध से बच्चा जन्म लेता है, तो बच्चे को माता-पिता से अधिकार तो मिलते हैं, लेकिन पुरुष और महिला के बीच वैवाहिक संबंध स्थापित नहीं होता।
कानूनविदों और विशेषज्ञों की आपत्ति
प्रस्तावित संशोधन ने कानूनविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच तीखी प्रतिक्रिया उत्पन्न की है। नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने इस प्रस्ताव को 'महाप्रतिगमन' करार देते हुए चेतावनी दी है कि यह समाज में बहुविवाह का 'प्रकोप' लौटा सकता है। उन्होंने कहा, "यह व्यवस्था पुरुषों को जितनी चाहें पत्नियां रखने की छूट देती है और पितृसत्तात्मक सोच को बढ़ावा देती है। यह सभ्य समाज के लिए न केवल प्रतिगमन है, बल्कि एक बड़ा खतरा है।"
इसी तरह, पूर्व कानून मंत्री माधव प्रसाद पौडेल ने इस प्रस्ताव को लैंगिक असमानता को बढ़ाने वाला बताया। उन्होंने कहा, "दुनिया के अधिकांश सभ्य देशों में बहुविवाह पर प्रतिबंध है। नेपाल ने 2075 में बहुविवाह पर पूर्ण प्रतिबंध लगाकर एक मजबूत संदेश दिया था। इस संशोधन से उस उपलब्धि को ठेस पहुंचेगी, जो शर्मनाक होगा।"
सामाजिक और लैंगिक प्रभाव
एक तरफ सरकार इस संशोधन को दूसरी महिला और उसके बच्चे के अधिकारों की रक्षा के रूप में प्रस्तुत कर रही है, वहीं आलोचकों का मानना है कि यह लैंगिक समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को कमजोर करेगा। उनका तर्क है कि यह प्रस्ताव पुरुषों को बहुविवाह के लिए प्रोत्साहित कर सकता है, जिससे महिलाओं की स्थिति और कमजोर होगी।
अंतिम बात
नेपाल में बहुविवाह को सशर्त वैधता देने का प्रस्ताव एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा बन गया है। जहां सरकार इसे सामाजिक सुरक्षा और महिला अधिकारों के दृष्टिकोण से उचित ठहरा रही है, वहीं कानूनविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि यह समाज को पीछे ले जाएगा। इस मुद्दे पर व्यापक जन-चर्चा और विचार-विमर्श की आवश्यकता है ताकि सामाजिक न्याय और लैंगिक समानता के सिद्धांतों को बनाए रखा जा सके।
आपकी राय: इस संशोधन के बारे में आप क्या सोचते हैं? क्या यह वास्तव में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करेगा या सामाजिक असमानता को बढ़ाएगा? अपनी राय कमेंट में साझा करें।
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