भारत से भर रहा है अमेरिका का खजाना : ट्रंप के दावों के बीच रूस से तेल खरीद जारी, व्यापार संतुलन की कोशिश
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» रिपोर्टिंग सूत्र / कविता चोधरी
नई दिल्ली, 03 अगस्त 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया दावे ने सुर्खियां बटोरीं, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत रूस से तेल आयात रोकने पर विचार कर रहा है। ट्रंप ने इसे सही कदम बताया था, लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया कि वह रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखेगा। इस बीच, एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में भारत ने अमेरिका से ऊर्जा आयात में भारी वृद्धि की है, जिसे दोनों देशों के बीच व्यापार संतुलन (ट्रेड बैलेंस) को बेहतर बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। यह कदम ट्रंप प्रशासन की भारत से रूसी तेल आयात कम करने की मांग के जवाब में भी अहम माना जा रहा है।
ट्रंप का दावा और भारत का जवाब
30 जुलाई 2025 को डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ की घोषणा की थी, जिसे बाद में 7 अगस्त तक स्थगित कर दिया गया। ट्रंप ने दावा किया कि भारत ने रूस से तेल आयात बंद कर दिया है, जो रूस-यूक्रेन युद्ध में मॉस्को को आर्थिक मदद देता है। हालांकि, भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "हमारी ऊर्जा खरीद वैश्विक उपलब्धता और रणनीतिक हितों पर आधारित है।" भारत ने रूस से तेल आयात जारी रखने की पुष्टि की, जो उसकी कुल तेल आपूर्ति का 35% है।
अमेरिका से ऊर्जा आयात में भारी उछाल
हालांकि, भारत ने अमेरिका से कच्चे तेल, तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी), और तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) के आयात में उल्लेखनीय वृद्धि की है। समाचार एजेंसी एएनआई के सूत्रों के अनुसार, ट्रंप के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद से भारत की ऊर्जा खरीद रणनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है।
आंकड़ों में वृद्धि
- कच्चा तेल: जनवरी-जून 2025 के बीच अमेरिका से कच्चे तेल का आयात 51% बढ़ा, जो पिछले साल की तुलना में 0.18 मिलियन बैरल प्रति दिन से बढ़कर 0.271 मिलियन बैरल प्रति दिन हो गया। अप्रैल-जून 2025 की तिमाही में यह वृद्धि 114% रही, और आयात मूल्य 1.73 अरब डॉलर से बढ़कर 3.7 अरब डॉलर हो गया। जुलाई 2025 में यह जून की तुलना में 23% और बढ़ा। अमेरिका का हिस्सा भारत के कुल तेल आयात में 3% से बढ़कर 8% हो गया।
- एलएनजी: वित्त वर्ष 2024-25 में अमेरिका से एलएनजी आयात 1.41 अरब डॉलर से बढ़कर 2.46 अरब डॉलर हो गया, जो 100% की वृद्धि दर्शाता है।
- एलपीजी: भारत ने अमेरिका से एलपीजी आयात में भी तेजी दिखाई, और 2026 तक 10% एलपीजी आयात अमेरिका से करने की योजना है। यह कदम मध्य पूर्व पर निर्भरता कम करने और व्यापार संतुलन को बेहतर बनाने की दिशा में है।
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व्यापार संतुलन और रणनीतिक साझेदारी
फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की वाशिंगटन में मुलाकात के बाद दोनों देशों ने ऊर्जा सहयोग बढ़ाने का वादा किया था। भारत ने अमेरिकी ऊर्जा आयात को 15 अरब डॉलर से 25 अरब डॉलर तक बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई। दोनों देश 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखते हैं, जो वर्तमान में 191 अरब डॉलर है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "भारत और अमेरिका के बीच व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी साझा हितों, लोकतांत्रिक मूल्यों और मजबूत जन-जन संपर्कों पर आधारित है। ऊर्जा सहयोग इस रिश्ते का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।"
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रूस से आयात पर भारत का रुख
भारत ने रूस से तेल आयात जारी रखने का फैसला आर्थिक और रणनीतिक कारणों से लिया है। रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है, और 2022 में यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने रियायती दरों पर रूसी तेल खरीदकर वैश्विक तेल बाजार को स्थिर करने में योगदान दिया। G7 द्वारा लगाई गई 60 डॉलर प्रति बैरल की मूल्य सीमा के तहत भारत का रूसी तेल आयात पूरी तरह वैध है।
सूत्रों के अनुसार, यदि भारत ने रूसी तेल नहीं खरीदा होता, तो ओपेक की उत्पादन कटौती के कारण तेल की कीमतें 137 डॉलर प्रति बैरल से भी अधिक हो सकती थीं, जिससे वैश्विक महंगाई बढ़ती। भारत की यह रणनीति न केवल उसकी ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक बाजार की स्थिरता के लिए भी लाभकारी रही है।
भविष्य की योजनाएं
भारत और अमेरिका के बीच दीर्घकालिक एलएनजी अनुबंधों पर चर्चा चल रही है, जिनका मूल्य दसियों अरब डॉलर हो सकता है। भारतीय कंपनियां जैसे GAIL और भारत पेट्रोलियम अमेरिकी एलएनजी परियोजनाओं में हिस्सेदारी और दीर्घकालिक आपूर्ति समझौतों पर विचार कर रही हैं। यह कदम भारत की ऊर्जा आपूर्ति को विविध करने और मध्य पूर्व जैसे अस्थिर बाजारों पर निर्भरता कम करने की रणनीति का हिस्सा है।
प्रशांत वशिष्ठ, आईसीआरए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, ने कहा, "अमेरिकी एलएनजी, जो हेनरी हब बेंचमार्क पर आधारित है, अन्य स्रोतों की तुलना में प्रतिस्पर्धी कीमतों पर उपलब्ध है। अमेरिका में नई एलएनजी परियोजनाएं शुरू होने से भारतीय कंपनियां दीर्घकालिक अनुबंधों की ओर आकर्षित हो रही हैं।"
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अंतिम बात
भारत का अमेरिका से ऊर्जा आयात में वृद्धि न केवल द्विपक्षीय व्यापार को संतुलित करने की दिशा में एक कदम है, बल्कि उसकी ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने का भी प्रतीक है। ट्रंप के रूसी तेल आयात पर दबाव के बावजूद, भारत ने अपनी स्वतंत्र ऊर्जा नीति को बनाए रखा है। रूस से आयात जारी रखते हुए अमेरिका से बढ़ते ऊर्जा आयात भारत की आत्मनिर्भर भारत और वैश्विक ऊर्जा बाजार में संतुलन की रणनीति को दर्शाते हैं। यह कदम दोनों देशों के बीच आर्थिक और कूटनीतिक रिश्तों को और गहरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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