झारखंड के दिग्गज नेता शिबू सोरेन का 81 वर्ष की आयु में निधन, CM हेमंत बोले- 'आज मैं शून्य हो गया'
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📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » रिपोर्टिंग सूत्र / सूरज महतो / प्रकाशित: 04 अगस्त 2025, 10:13 IST
रांची:- झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक शिबू सोरेन का सोमवार, 4 अगस्त 2025 को दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया। 81 वर्षीय शिबू सोरेन लंबे समय से गुर्दे की बीमारी और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। उनके निधन की पुष्टि उनके बेटे और झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने की, जिन्होंने भावुक होकर कहा, "आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूँ।" यह खबर झारखंड की राजनीति और समाज के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि शिबू सोरेन को 'दिशोम गुरु' के रूप में जाना जाता था, जिन्होंने अलग झारखंड राज्य के गठन में ऐतिहासिक भूमिका निभाई थी।
शिबू सोरेन: झारखंड आंदोलन के नायक
शिबू सोरेन, जिन्हें प्यार से 'गुरुजी' कहा जाता था, ने 1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना की थी। उनका जन्म 11 जनवरी 1944 को रामगढ़ (तब बिहार, अब झारखंड) के पास एक छोटे से गांव में एक संथाल आदिवासी परिवार में हुआ था। अपने पिता की हत्या के बाद उन्होंने कम उम्र में ही पढ़ाई छोड़ दी और आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष शुरू किया। JMM के माध्यम से उन्होंने झारखंड को बिहार से अलग कर एक स्वतंत्र राज्य बनाने का सपना देखा, जो 15 नवंबर 2000 को साकार हुआ।
शिबू सोरेन ने तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया:
2005: 10 दिन (2 मार्च से 12 मार्च)
2008-2009: एक साल से कम
2009-2010: छह महीने
वह सात बार दुमका से लोकसभा सांसद रहे और 2020 में राज्यसभा के लिए चुने गए। इसके अलावा, उन्होंने केंद्र सरकार में कोयला और खान मंत्री के रूप में भी कार्य किया। हालांकि, उनके करियर में कई विवाद भी रहे, जिनमें 1994 में उनके निजी सचिव शशिनाथ झा की हत्या का मामला शामिल था, जिसमें उन्हें बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने बरी कर दिया था।
लंबे समय से थे बीमार
शिबू सोरेन पिछले कई वर्षों से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। जून 2024 में उन्हें गुर्दे की बीमारी और सांस लेने में तकलीफ के कारण दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती किया गया था। 2 अगस्त 2025 को उनकी स्थिति गंभीर हो गई, और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। सूत्रों के अनुसार, एक महीने पहले उन्हें स्ट्रोक भी हुआ था। उनके निधन की खबर की पुष्टि अस्पताल ने की, जहां बताया गया कि उनकी मृत्यु सुबह 8:56 बजे हुई।
हेमंत सोरेन का भावुक संदेश
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पिता के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, "आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूँ।" उनके इस संदेश ने न केवल JMM कार्यकर्ताओं, बल्कि पूरे झारखंड के लोगों को भावुक कर दिया। हेमंत ने अपने पिता को न केवल एक नेता, बल्कि एक मार्गदर्शक और प्रेरणा स्रोत के रूप में याद किया।
झारखंड की राजनीति पर प्रभाव
शिबू सोरेन का निधन झारखंड की राजनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने आदिवासी समुदाय के अधिकारों और झारखंड की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में JMM ने न केवल झारखंड में, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई। उनकी मृत्यु के बाद JMM के भविष्य और झारखंड की राजनीति पर इसका असर देखा जाएगा, खासकर तब जब हेमंत सोरेन पहले से ही कई राजनीतिक और कानूनी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
नेताओं और जनता की प्रतिक्रिया
शिबू सोरेन के निधन पर देश भर के नेताओं और JMM कार्यकर्ताओं ने शोक व्यक्त किया है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास, जो हाल ही में BJP में शामिल हुए, ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा, "दिशोम गुरुजी का निधन झारखंड के लिए एक बड़ी क्षति है। मैं उनके लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करता था।" JMM कार्यकर्ताओं ने उनके निवास पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए।
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आंदोलन: 1970 के दशक में शिबू सोरेन ने आदिवासी भूमि को गैर-आदिवासियों से वापस लेने के लिए आंदोलन शुरू किया। JMM ने आदिवासियों और मूलवासियों के हितों को प्राथमिकता दी।
राजनीतिक करियर: सात बार लोकसभा सांसद, तीन बार मुख्यमंत्री, और तीन बार केंद्रीय मंत्री रहे।
सामाजिक प्रभाव: संथाल समुदाय और अन्य आदिवासी समूहों के बीच उनकी लोकप्रियता ने उन्हें एक जन-नेता बनाया।
अंतिम विचार
शिबू सोरेन का निधन न केवल JMM के लिए, बल्कि पूरे झारखंड के लिए एक युग का अंत है। उनके संघर्ष, नेतृत्व, और आदिवासी समुदाय के प्रति समर्पण ने उन्हें 'दिशोम गुरु' की उपाधि दी। यह समय है कि उनकी विरासत को सम्मान देते हुए झारखंड उनके सपनों को साकार करने की दिशा में आगे बढ़े। उनके परिवार, खासकर हेमंत सोरेन, के सामने अब JMM को एकजुट रखने और उनके अधूरे कार्यों को पूरा करने की बड़ी जिम्मेदारी है।
आपकी राय: शिबू सोरेन के योगदान को आप कैसे देखते हैं? क्या उनकी विरासत झारखंड की राजनीति को नई दिशा देगी? अपनी राय कमेंट में साझा करें।
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