पटना पुलिस की बड़ी कार्रवाई: संजय सिंह गैंग के चार अपराधी AK-47 हथियारों के साथ गिरफ्तार
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खबर की सार :-पुलिस ने संजय सिंह गैंग के चार अपराधियों को AK-47 समेत हथियारों के साथ गिरफ्तार किया। बिहटा में नाविकों से रंगदारी और बालू खनन के खिलाफ कार्रवाई, लेकिन देरी और हथियारों से भ्रष्टाचार का संदेह। फरार अपराधियों की तलाश जारी।
📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » प्रकाशित: 24 अगस्त 2025,21:15 IST
पटना, 25 अगस्त 2025, शाम 06:58 IST – पटना पुलिस ने अवैध बालू खनन और रंगदारी वसूली में लिप्त कुख्यात संजय सिंह गैंग पर बड़ी कार्रवाई करते हुए चार अपराधियों को हथियारों के जखीरे के साथ गिरफ्तार किया है। 24 अगस्त को बिहटा थाना क्षेत्र के अमनाबाद सोन नदी इलाके में नाविकों से दहशत फैलाकर रंगदारी वसूलने की सूचना पर छापेमारी के दौरान यह सफलता मिली। इस दौरान अपराधियों ने पुलिस पर फायरिंग की, जिसके जवाब में आत्मरक्षा में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने चार आरोपियों को धर दबोचा। लेकिन क्या इस कार्रवाई के पीछे भ्रष्टाचार की साया है? स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं।
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घटना का विवरण
पटना पुलिस को सूचना मिली कि संजय सिंह गैंग के सदस्य नाविकों से रंगदारी वसूलने और अवैध बालू खनन में लिप्त हैं। छापेमारी के दौरान अपराधियों ने पुलिस टीम पर फायरिंग शुरू कर दी। नगर पुलिस अधीक्षक (पश्चिमी) के नेतृत्व में जवाबी कार्रवाई में चार अपराधी पकड़े गए:
संजय राय (25 वर्ष, पिता सुख राम राय, थाना डोरीगंज, छपरा)
सोनू कुमार सिंह (38 वर्ष, पिता स्व. राजनंद सिंह, थाना पालीगंज, पटना)
अजित कुमार (20 वर्ष, पिता स्व. राजेश्वर राय, थाना चकिया, छपरा)
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यश कुमार (19 वर्ष, पिता विकास प्रसाद, थाना नगर, भोजपुर)
इनके पास से एक AK-47, एक 315 बोर राइफल, और 160 जिंदा कारतूस (जिसमें 7.62 एमएम के 53, 315 बोर के 103, और 12 बोर के 04 शामिल हैं) के साथ दो मोबाइल बरामद हुए। बिहटा थाना में कांड संख्या 672/25 दर्ज कर आरोपियों को हिरासत में लिया गया है। छापेमारी दल में दानापुर और खगौल थाने के अधिकारी व सिपाही शामिल थे। पुलिस फरार अपराधियों की तलाश में लगातार छापेमारी कर रही है।
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स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
अमनाबाद सोन नदी इलाके के निवासी रमेश पासवान ने कहा, “लंबे समय से बालू माफिया यहां दहशत फैला रहे थे। नाविकों से रंगदारी वसूली की शिकायतें थीं, लेकिन कार्रवाई क्यों इतनी देर से हुई? क्या पहले से जानकारी थी और कुछ लोग इसमें शामिल थे?” कई लोग इस बात पर सवाल उठा रहे हैं कि इतने खतरनाक हथियारों (AK-47) के बावजूद गैंग इतने दिनों तक कैसे सक्रिय रहा। क्या पुलिस की लापरवाही या भ्रष्टाचार का हाथ है?
फरार अपराधी: कई अपराधी अभी भी फरार हैं, जो पुलिस की प्रभावशीलता पर सवाल उठाता है। स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि इस मामले की स्वतंत्र जांच हो, ताकि भ्रष्टाचार या मिलीभगत के आरोपों की सच्चाई सामने आए।
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पुलिस का रुख
पुलिस का कहना है कि यह एक बड़ी सफलता है और फरार अपराधियों को जल्द पकड़ा जाएगा। दानापुर थाना के सह-थानाध्यक्ष प्रशांत कुमार भारद्वाज ने बताया कि छापेमारी में शामिल टीम ने अपनी जान जोखिम में डालकर कार्रवाई की। लेकिन देरी और हथियारों की मौजूदगी पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया।
जनहित में क्या करें?
यह कार्रवाई अपराध पर लगाम लगाने की दिशा में कदम है, लेकिन पारदर्शिता जरूरी है। अगर आपको लगता है कि इस मामले में कुछ गड़बड़ी है, तो RTI दाखिल कर जानकारी माँगें या स्थानीय प्रशासन से शिकायत करें। बिहार में अपराध और भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सख्त कदम उठाए जाने की मांग तेज हो रही है।
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