Header Ads

ad728
  • Latest Stories

    हिंदू त्योहारों के दौरान हिंसा : भारत में सांप्रदायिक तनाव का नया खतरा? भारत सरकार के लिए कानून बनाने की जरूरत

    हिंदू त्योहारों के दौरान हिंसा : भारत में सांप्रदायिक तनाव का नया खतरा? भारत सरकार के लिए कानून बनाने की जरूरत


     सारांश: भारत में हिंदू त्योहारों जैसे गणेश चतुर्थी, रामनवमी, और दुर्गा पूजा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं। मांड्या (2025) में गणपति विसर्जन के दौरान पथराव और झड़प, बहराइच (2024) में दुर्गा पूजा विसर्जन के दौरान हत्या, और शिवमोग्गा में तनाव इसका उदाहरण हैं। CSSS की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, सांप्रदायिक दंगों में 84% वृद्धि हुई। कारणों में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण, सुरक्षा चूक, और सोशल मीडिया की भूमिका शामिल हैं। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि बिना सख्त कानून और नीतियों के यह देश में अशांति बढ़ा सकता है। समाधान में कठोर कानून, बेहतर सुरक्षा, और सामुदायिक संवाद जरूरी हैं।


    📝We News 24 :डिजिटल डेस्क »

    लेखक   :वरिष्ठ पत्रकार दीपक कुमार 


    नई दिल्ली  8 सितंबर 2025: कर्नाटक के मांड्या जिले में गणपति विसर्जन के दौरान हुई हिंसा ने एक बार फिर भारत में सांप्रदायिक तनाव को उजागर किया है। शोभा यात्रा पर कथित तौर पर एक मस्जिद से पत्थर फेंके जाने के बाद दो समुदायों के बीच झड़प और हिंसा भड़क उठी, जिसके जवाब में शोभा यात्रा के युवकों ने मस्जिद पर पलटवार किया। इस घटना ने कई लोगों को घायल कर दिया और इलाके में तनाव फैल गया। पुलिस ने धारा 144 लागू कर अतिरिक्त बल तैनात किया है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) और हिंदू संगठनों ने इसकी कड़ी निंदा करते हुए पुलिस पर सुरक्षा में चूक का आरोप लगाया है। यह घटना भारत में हिंदू-मुस्लिम तनाव के बढ़ते खतरे की ओर इशारा करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते भारत सरकार ने सख्त कानून और नीतियां नहीं बनाईं, तो ऐसी घटनाएं देश में बड़े पैमाने पर अशांति का कारण बन सकती हैं।


    ये भी पढ़े-गणपति विसर्जन के दौरान मस्जिद से फेंके गए पत्थर , धारा 144 लागू


    मांड्या में क्या हुआ?

    शनिवार रात मांड्या के नागमंगला कस्बे में गणपति विसर्जन की शोभा यात्रा के दौरान मस्जिद के पास से कथित तौर पर पत्थर फेंके गए। इससे नाराज युवकों ने मस्जिद पर हमला कर दिया, जिससे दोनों समुदायों के बीच हिंसक झड़प हुई। कई लोग घायल हुए, जिन्हें नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया। पुलिस ने तुरंत हस्तक्षेप कर स्थिति को नियंत्रित किया और धारा 144 लागू कर दी, जिसके तहत चार या अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक है। अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है, और 52 लोगों को हिरासत में लिया गया है।

    BJP और हिंदू संगठनों ने इस घटना को सांप्रदायिक हिंसा का सुनियोजित प्रयास करार दिया है। उन्होंने पुलिस पर शोभा यात्रा की सुरक्षा में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं क्षेत्र के सांप्रदायिक सौहार्द को नष्ट कर रही हैं और यह एक बड़े खतरे का संकेत है।



    पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं

    मांड्या में यह कोई नई बात नहीं है। पिछले साल 2024 में भी नागमंगला में गणेश विसर्जन के दौरान दो समुदायों के बीच पथराव और आगजनी हुई थी, जिसमें दुकानों और वाहनों को नुकसान पहुंचा था। तब भी पुलिस ने धारा 144 लागू की थी और कई लोगों को गिरफ्तार किया था। इसी तरह, शिवमोग्गा के जन्नत नगर, सागर में इस साल गणेश विसर्जन के दौरान एक वायरल वीडियो में दो बच्चों को गणेश प्रतिमा के पास कथित तौर पर थूकते देखा गया, जिससे तनाव फैल गया। बच्चों की मां ने माफी मांगी, और स्थानीय मुस्लिम नेताओं ने गणेश प्रतिमा पर माला चढ़ाकर तनाव कम करने की कोशिश की।




    ये भी पढ़े -नेपाल की जीवित देवी 'कुमारी': पवित्रता का प्रतीक, धरती पर पैर रखने की मनाही!


    सांप्रदायिक तनाव का बढ़ता खतरा

    यह घटना भारत में हिंदू-मुस्लिम तनाव को और गहरा करने का संकेत देती है। हिंदू त्योहारों जैसे गणेश चतुर्थी, रामनवमी, हनुमान जयंती, और दुर्गा पूजा के दौरान हिंसा की घटनाएं देश के विभिन्न हिस्सों में सामने आई हैं। कुछ प्रमुख उदाहरण


    हिंदू त्योहारों पर हिंसा: हालिया घटनाएं

    पहलगाम हमला (मई 2025): जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले में हिंदुओं को निशाना बनाया गया, जिसे सांप्रदायिक तनाव भड़काने की साजिश बताया गया।

    महाकुंभ 2025: प्रयागराज में महाकुंभ के लिए जा रहे तीर्थयात्रियों की ट्रेन पर महाराष्ट्र के जलगांव में पथराव हुआ, जिससे यात्रियों में दहशत फैल गई।

    संभल हिंसा (2024): संभल की शाही जामा मस्जिद को लेकर विवाद में चार लोग मारे गए।

    बहराइच, उत्तर प्रदेश (अक्टूबर 2024): दुर्गा पूजा विसर्जन के दौरान जुलूस पर पथराव और गोलीबारी हुई, जिसमें 22 वर्षीय गोपाल मिश्रा की मौत हो गई। इस घटना ने क्षेत्र में तनाव बढ़ा दिया।

    रामनवमी 2023: पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, और गुजरात में रामनवमी जुलूसों के दौरान पथराव और हिंसा की घटनाएं हुईं, जिसमें कई लोग घायल हुए।

    रमजान 2022 हिंसा: दिल्ली और अन्य राज्यों में रामनवमी और हनुमान जयंती जुलूसों के दौरान हिंसा भड़की, जिसमें मुस्लिम समुदाय पर पथराव का आरोप लगा।

    इनके अलावा, नेपाल के जनकपुरधाम में गणेश विसर्जन जुलूस पर पथराव की खबरें भी सामने आई हैं, जिससे हिंदू समुदाय में आक्रोश है।

    ये घटनाएं दर्शाती हैं कि धार्मिक आयोजनों और जुलूसों के दौरान तनाव बढ़ रहा है। कुछ विशेषज्ञ इसे सुनियोजित सांप्रदायिक उकसावे का हिस्सा मानते हैं, जबकि अन्य इसे सामाजिक और राजनीतिक ध्रुवीकरण का परिणाम बताते हैं।

    कानून की आवश्यकता: समय की मांग

    विशेषज्ञों और स्थानीय नेताओं का कहना है कि भारत सरकार को इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कानून बनाने की जरूरत है। कुछ सुझाव हैं:


    ये भी पढ़े-उज्जैन: पुलिस गाड़ी नदी में गिरने से थाना प्रभारी की मौत, 2 पुलिसकर्मियों की तलाश जारी


    सांप्रदायिक हिंसा पर सख्त कानून: पथराव, आगजनी और हिंसक हमलों के लिए कठोर दंड का प्रावधान।

    जुलूसों की सुरक्षा: धार्मिक जुलूसों के लिए बेहतर सुरक्षा व्यवस्था और रूट प्लानिंग।

    सोशल मीडिया पर नियंत्रण: नफरत फैलाने वाले वीडियो और भड़काऊ सामग्री पर तत्काल रोक।

    सामुदायिक संवाद: स्थानीय स्तर पर हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच संवाद और विश्वास निर्माण के लिए पहल।


    BJP नेताओं ने मांग की है कि मांड्या जैसे मामलों में दोषियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई हो और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए केंद्रीय स्तर पर नीतियां बनाई जाएं। दूसरी ओर, कुछ संगठनों का कहना है कि ऐसी घटनाएं अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल हो रही हैं, जिससे ध्रुवीकरण बढ़ रहा है।

     

    शांति और एकता की जरूरत

    मांड्या की घटना ने भारत में सांप्रदायिक तनाव के बढ़ते खतरे को उजागर किया है। अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो ऐसी घटनाएं देश में बड़े पैमाने पर अशांति का कारण बन सकती हैं। पुलिस और प्रशासन को निष्पक्ष जांच और सख्त कार्रवाई करनी होगी। साथ ही, सभी समुदायों को शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए मिलकर काम करना होगा। सरकार को सांप्रदायिक हिंसा रोकने के लिए सख्त कानून और नीतियां लागू करने की जरूरत है, ताकि भारत की गंगा-जमुनी तहजीब को बचाया जा सके।


    सरकार और समाज की भूमिका

    2024-2025 में सांप्रदायिक हिंसा में वृद्धि के बावजूद, सरकार ने सख्त कानून बनाने में देरी की है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि जुलूसों के लिए सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल, नफरत फैलाने वाले कंटेंट पर तत्काल कार्रवाई और सामुदायिक संवाद को बढ़ावा दिया जाए। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान ने भी इन घटनाओं की निंदा की है।

    हालांकि, कई जगहों पर स्थानीय नेता शांति बहाल करने में सफल रहे, जैसे शिवमोग्गा में मुस्लिम नेताओं ने गणेश पूजा में भाग लेकर तनाव कम किया। समाज को त्योहारों को एकता का प्रतीक बनाना चाहिए, न कि हिंसा का माध्यम।

    आपकी राय: मांड्या की घटना को आप किस तरह देखते हैं? क्या यह सांप्रदायिक तनाव का नया खतरा है? क्या सरकार को सख्त कानून बनाने चाहिए?  हिंदू त्योहारों के दौरान हिंसा को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए? क्या यह राजनीतिक साजिश है या सामाजिक समस्या? अपनी राय कमेंट में साझा करें।





    कोई टिप्पणी नहीं

    कोमेंट करनेके लिए धन्यवाद

    Post Top Ad

    ad728

    Post Bottom Ad

    ad728