"नेपाल में नौकरियों पर गिरी गाज: सीके राउत के दबाव में जनमत मंत्री ने हटाए अस्थायी कर्मचारी"
🧨 सत्ता बदली, सपने उजड़े: सैकड़ों अस्थायी कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया
✍️ रिपोर्ट: We News 24 | स्थानीय संवाददाता जनकपुरधाम, नेपाल |
दिनांक: साउन १५ गते (1 अगस्त 2025)
⚖️ "राजनीति के नाम पर नौकरियों की बलि!"
यह निर्णय जनमत पार्टी के दबाव में लिया गया बताया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो जनमत पार्टी अध्यक्ष सीके राउत लंबे समय से उन कर्मचारियों को हटाने की मांग कर रहे थे, जिन्हें जनता समाजवादी पार्टी (जसपा) और माओवादी पार्टी के समय में नियुक्त किया गया था।
अब जनमत के मंत्री बसन्त कुशवाहा ने आखिरकार इस दबाव के आगे झुकते हुए, अपने ही मंत्रालय में काम कर रहे सभी अस्थायी और करार कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया।
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📃 क्या है आधिकारिक आदेश?
उद्योग मंत्रालय के शाखा अधिकृत उपेन्द्र कुमार महतो के हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया:
"मंत्रालय के मातहत कार्यरत दैनिक ज्यालादारी एवं अस्थायी प्रकृति के कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर हटाने का निर्णय मंत्रीस्तर से हो चुका है।"
पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया कि आवश्यकता पड़ने पर ही पुनः नियुक्ति होगी, वो भी संबंधित कार्यालय की सिफारिश पर।
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❗ "सिर्फ 'सफाई अभियान' या राजनीतिक बदले की भावना?"
जनमत पार्टी के एक नेता ने स्वीकार किया कि:
"यह शुरुआत है। जल्द ही अन्य मंत्रालयों में भी जसपा काल के कर्मचारी हटाए जाएंगे और जनमत समर्थित लोग नियुक्त होंगे।"
पिछली सरकारों में रिश्वत, राजनीतिक नजदीकियों और सौदों के ज़रिए जो नियुक्तियाँ हुई थीं, वे अब राजनीति की चक्की में पिस रही हैं।
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👥 मानव चेहरा: जो हटाए गए, उनका क्या?
इन अस्थायी कर्मचारियों में से अधिकांश गरीब, मध्यमवर्गीय परिवारों से आते थे। वे वर्षों से न्यूनतम वेतन पर काम कर रहे थे, फिर भी सेवा भावना से डटे रहे।
अब, बिना किसी चेतावनी के "तुम्हारी ज़रूरत नहीं रही" कह कर निकाला जाना, सिर्फ बेरोजगारी नहीं बल्कि आत्मसम्मान का भी अपमान है।
एक महिला कर्मचारी बताती हैं:
"मेरे पति नहीं हैं, बच्चों की पढ़ाई और घर का खर्च अकेले उठाती हूं। सरकार बदल गई, तो क्या इंसान की ज़रूरत खत्म हो जाती है?"
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🧩 क्या यह वैधानिक है?
यह सवाल गंभीर है कि क्या किसी सरकार को बिना पारदर्शी प्रक्रिया और पुनर्नियुक्ति के विकल्प के, इतने कर्मचारियों को हटाने का हक है?
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क्या सभी नियुक्तियाँ अवैध थीं?
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क्या जनता को इसका जवाब मिलेगा?
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क्या यह ‘सुधार’ है या राजनीतिक बदला?
📣 We News 24 की अपील:
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मधेश प्रदेश सरकार हटाए गए कर्मचारियों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करे।
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सभी नियुक्तियों की निष्पक्ष समीक्षा कर पुनर्नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी बनाए।
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सामाजिक न्याय की बात करने वाली सरकार को हकीकत में गरीबों की सुध लेनी चाहिए।
🔚 निष्कर्ष: राजनीति आती-जाती है, पर इंसान का पेट हर दिन रोटी मांगता है।
या फिर राजनीति एक बार फिर गरीबों पर रहम दिखाएगी?
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