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    दिल्ली नाबालिग बच्ची को देह व्यापार के दलदल से मुक्त कराने में द्वारका पुलिस और एवीए की बड़ी सफलता

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     मेरी एक सहेली ने मुझे बहलाकर इस जाल में फंसाया। उसने कहा था कि वह मुझे एक ऐसे व्यक्ति से मिलवाएगी जो मेरी सारी आर्थिक समस्याएं हल कर देगा। मुझे नहीं पता था कि यह एक धोखा है।


    📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » प्रकाशित: 05 अगस्त 2025, 20:00 IST

    रिपोर्टिंग सूत्र एवीए / लेखक वरिष्ठ पत्रकार , दीपक कुमार   


    नई दिल्ली, दिल्ली पुलिस की द्वारका रेंज ने एसोसिएशन फॉर वालंटरी एक्शन (एवीए) की सूचना पर एक 16 वर्षीय नाबालिग बच्ची को देह व्यापार के घिनौने जाल से मुक्त कराया। इस बच्ची को जबरन इस अमानवीय धंधे में धकेला गया था, जहां उसे हर रात 8 से 10 ग्राहकों को मजबूरन सेवा देनी पड़ती थी। इस मामले में एक आरोपी, इब्राहिम, को गिरफ्तार किया गया है, और ट्रैफिकिंग गिरोह से जुड़े अन्य संदिग्धों की तलाश में जांच तेज कर दी गई है। यह कार्रवाई मानव तस्करी के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है, जो समाज में व्याप्त इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान खींचती है।



    पीड़िता की दिल दहला देने वाली आपबीती

    पीड़ित बच्ची ने अपनी आपबीती साझा करते हुए बताया कि उसे करीब एक साल पहले इस दलदल में धकेला गया था। दर्द की शिकायत करने पर उसे महज दर्द निवारक गोलियां थमा दी जाती थीं और फिर ग्राहकों के पास भेज दिया जाता था। उसे प्रतिदिन 500 रुपये देने का वादा किया गया था, लेकिन यह राशि भी उसे अनियमित रूप से और मांगने पर ही मिलती थी। जब उसने इस काम से मुक्ति की गुहार लगाई, तो गिरोह के सदस्यों ने चुपके से रिकॉर्ड किए गए उसके वीडियो दिखाकर उसे ब्लैकमेल किया और धमकी दी कि इसे सार्वजनिक कर दिया जाएगा।



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    बताया, “मेरी एक सहेली ने मुझे बहलाकर इस जाल में फंसाया। उसने कहा था कि वह मुझे एक ऐसे व्यक्ति से मिलवाएगी जो मेरी सारी आर्थिक समस्याएं हल कर देगा। मुझे नहीं पता था कि यह एक धोखा है। जब मुझे हकीकत का पता चला, तो मैंने भागने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने मेरे वीडियो को वायरल करने की धमकी दी।”

    बच्ची की मां का निधन एक साल पहले हो गया था, और वह अपने शराबी पिता के साथ रहती थी। अपने पिता से इस क्रूर सच्चाई को छिपाने के लिए उसने उन्हें बताया था कि वह एक कॉल सेंटर में रात की शिफ्ट में काम करती है। उसने कहा, “पापा को कुछ नहीं पता। मैं हर दिन शाम 5 बजे घर से निकलती थी और सुबह 5-6 बजे लौटती थी। मुझे कोई छुट्टी नहीं मिलती थी।”



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    एवीए और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई: एक प्रेरणादायक उदाहरण

    एसोसिएशन फॉर वालंटरी एक्शन (एवीए) के वरिष्ठ निदेशक मनीष शर्मा ने बताया कि उनकी टीम ने इस गिरोह तक पहुंचने के लिए ग्राहक बनकर महीने भर से अधिक समय तक काम किया। “हमने ऑनलाइन पेमेंट के जरिए उनका भरोसा जीता। लेकिन जैसे ही पेमेंट किया, उन्होंने अपना ठिकाना बदल लिया। आखिरकार, हमें द्वारका और फिर मोहन गार्डन के एक फ्लैट में बुलाया गया,” शर्मा ने बताया।

    एवीए ने तुरंत पश्चिमी द्वारका रेंज के डीसीपी अंकित कुमार सिंह को सूचना दी, जिन्होंने तत्काल अपनी टीम को सक्रिय किया। मोहन गार्डन थाने की पुलिस के सहयोग से एक सुनियोजित छापेमारी की गई, जिसमें आरोपी इब्राहिम को गिरफ्तार किया गया। मौके से शराब की खाली बोतलें, दर्द निवारक दवाइयां, एंटीबायोटिक्स, और यौन संक्रमण के इलाज में उपयोग होने वाली दवाइयां बरामद की गईं। यह कार्रवाई पुलिस और गैर-सरकारी संगठनों के बीच समन्वय का एक शानदार उदाहरण है।


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    जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन: बाल अधिकारों की रक्षा के लिए संकल्पित

    एवीए, जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) का सहयोगी संगठन है, जो देश के 418 जिलों में 250 से अधिक संगठनों के साथ मिलकर बाल अधिकारों की रक्षा के लिए काम करता है। मनीष शर्मा ने दिल्ली पुलिस की त्वरित कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा, “दिल्ली के मुहल्लों और कॉलोनियों में इस तरह के सेक्स रैकेट का चलना बेहद चिंताजनक है। कोविड के बाद से हमने कई घरों और मसाज पार्लरों में ऐसे रैकेट देखे हैं। इनके वित्तीय लेन-देन की गहन जांच से हम इस शोषण की श्रृंखला को तोड़ सकते हैं।”

    ट्रैफिकिंग का काला सच और समाधान की जरूरत

    ज्यादातर पीड़ित बच्चे बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, और पूर्वोत्तर राज्यों से हैं, जिन्हें बहला-फुसलाकर या धमकाकर महानगरों में लाया जाता है और देह व्यापार में धकेल दिया जाता है। शर्मा ने जोर देकर कहा कि इन गिरोहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और उनके वित्तीय लेन-देन की जांच इस समस्या की जड़ तक पहुंचने में मदद कर सकती है।


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    हमारी राय

    यह घटना समाज में व्याप्त मानव तस्करी की भयावहता को उजागर करती है। नाबालिग बच्चों को इस तरह के अमानवीय शोषण का शिकार बनाना न केवल एक अपराध है, बल्कि यह हमारे सामाजिक ढांचे पर एक गंभीर सवाल उठाता है। एवीए और दिल्ली पुलिस की इस संयुक्त कार्रवाई से न केवल एक बच्ची को नया जीवन मिला, बल्कि यह अन्य संगठनों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए एक प्रेरणा है कि समन्वित प्रयासों से इस तरह के अपराधों पर अंकुश लगाया जा सकता है। हमारा मानना है कि समाज को जागरूक करने, सख्त कानूनी कार्रवाई करने, और वित्तीय लेन-देन की जांच को प्राथमिकता देकर इस समस्या को जड़ से खत्म किया जा सकता है।



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