TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने लोकसभा में मुख्य व्हिप पद से दिया इस्तीफा, महुआ मोइत्रा से विवाद के बीच लिया फैसला
TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने पार्टी मुख्य व्हिप पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने महुआ मोइत्रा से विवाद के बीच ये फैसला किया है।
📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » रिपोर्टिंग सूत्र / सुजीत कुमार विश्वास /प्रकाशित: 04 अगस्त 2025, 19:30 IST
कोलकाता:- तृणमूल कांग्रेस (TMC) के वरिष्ठ सांसद कल्याण बनर्जी ने लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक (चिफ व्हिप) पद से इस्तीफा दे दिया है। यह फैसला पार्टी सांसद महुआ मोइत्रा के साथ उनके चल रहे विवाद और पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी की ओर से संसदीय समन्वय में कमी के आरोपों के बाद लिया गया है। इस घटना ने पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी में आंतरिक मतभेदों को एक बार फिर उजागर कर दिया है, जिससे 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले TMC की एकजुटता पर सवाल उठ रहे हैं।
कल्याण बनर्जी का इस्तीफा: क्या है वजह?
कल्याण बनर्जी ने सोमवार, 4 अगस्त 2025 को एक समाचार चैनल से बातचीत में अपने इस्तीफे की घोषणा की। उन्होंने कहा, "मैंने लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा दे दिया है, क्योंकि 'दीदी' (पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी) ने वर्चुअल बैठक के दौरान कहा था कि पार्टी सांसदों के बीच समन्वय की कमी है। इसलिए दोष मुझ पर है। इसलिए, मैंने पद छोड़ने का फैसला किया है।"
यह इस्तीफा ममता बनर्जी की अध्यक्षता में आयोजित एक वर्चुअल बैठक के बाद आया, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के TMC सांसद शामिल थे। बैठक में ममता ने पार्टी के संसदीय प्रदर्शन और सांसदों के बीच समन्वय की कमी पर नाराजगी जताई थी। कल्याण बनर्जी, जो श्रीरामपुर से चार बार के सांसद और एक प्रसिद्ध वकील हैं, ने इस आलोचना को व्यक्तिगत रूप से लिया और पद छोड़ने का फैसला किया।
महुआ मोइत्रा और कल्याण बनर्जी के बीच विवाद
कल्याण बनर्जी और TMC की कृष्णानगर सांसद महुआ मोइत्रा के बीच तनाव कोई नई बात नहीं है। सूत्रों के अनुसार, दोनों के बीच कई मुद्दों पर पहले भी मतभेद सामने आए हैं। इस बार विवाद का मुख्य कारण लोकसभा में बोलने के समय (फ्लोर टाइम) के आवंटन को लेकर रहा। महुआ मोइत्रा, जो अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए जानी जाती हैं, ने कथित तौर पर शिकायत की थी कि उन्हें संसद में पर्याप्त बोलने का समय नहीं दिया गया। चूंकि कल्याण बनर्जी मुख्य सचेतक के रूप में सांसदों के बीच फ्लोर टाइम का प्रबंधन करते हैं, महुआ की यह नाराजगी सीधे उन पर केंद्रित थी।
हाल ही में एक पॉडकास्ट में महुआ मोइत्रा ने कल्याण बनर्जी के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया, जिसमें उन्होंने बनर्जी की तुलना "सुअर" से की। उन्होंने कहा, "आप सुअर के साथ कुश्ती नहीं लड़ सकते, क्योंकि सुअर को यह पसंद होता है और आप गंदे हो जाते हैं।" इस बयान ने न केवल बनर्जी को आहत किया, बल्कि पार्टी के भीतर तनाव को और बढ़ा दिया। बनर्जी ने जवाब में X पर एक पोस्ट में कहा, "महुआ मोइत्रा द्वारा हाल ही में एक पॉडकास्ट में की गई टिप्पणियां, जिसमें एक सहयोगी सांसद की तुलना 'सुअर' से की गई, न केवल दुर्भाग्यपूर्ण हैं, बल्कि यह सभ्य व्यवहार के मूल नियमों की अवहेलना को दर्शाता है।"
इसके अलावा, अप्रैल 2025 में निर्वाचन आयोग (EC) के कार्यालय में एक घटना ने दोनों के बीच तनाव को और हवा दी। TMC की एक याचिका पर हस्ताक्षरकर्ताओं की सूची से महुआ का नाम गायब था, जिसके बाद उन्होंने कल्याण बनर्जी पर इसे जानबूझकर हटाने का आरोप लगाया। इस दौरान दोनों के बीच तीखी नोकझोंक हुई, और महुआ ने कथित तौर पर सुरक्षा कर्मियों से बनर्जी को हटाने की मांग की थी।
पार्टी के अन्य सांसदों के साथ भी विवाद
महुआ मोइत्रा के अलावा, कल्याण बनर्जी का पूर्व क्रिकेटर और TMC सांसद कीर्ति आजाद के साथ भी सार्वजनिक विवाद रहा है। अप्रैल 2025 में TMC के आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप में दोनों के बीच तीखी बहस हुई, जिसके स्क्रीनशॉट BJP के IT सेल प्रमुख अमित मालवीय ने X पर साझा किए। इस घटना ने पार्टी के लिए शर्मिंदगी का कारण बना। बनर्जी ने कीर्ति आजाद पर पार्टी के आंतरिक मामले लीक करने का आरोप लगाया और उन्हें "आंतरिक राजनीति का कप्तान" कहा।
इसके अतिरिक्त, वरिष्ठ TMC सांसद सौगत रॉय ने भी कल्याण बनर्जी के व्यवहार की आलोचना की और उनकी बर्खास्तगी की मांग की। उन्होंने कहा, "महुआ मोइत्रा को रोते हुए देखा गया और उन्होंने कई सांसदों से कल्याण के असभ्य व्यवहार की शिकायत की। कल्याण का यह व्यवहार कई बार हमारी नजर में आया है।"
TMC में आंतरिक कलह और ममता बनर्जी की भूमिका
यह विवाद TMC के लिए एक महत्वपूर्ण समय पर सामने आया है, जब पश्चिम बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। ममता बनर्जी ने पहले ही घोषणा कर दी है कि उनकी पार्टी 2026 में अकेले चुनाव लड़ेगी। ऐसे में पार्टी के वरिष्ठ सांसदों के बीच यह सार्वजनिक विवाद TMC की एकजुटता को कमजोर कर सकता है। ममता ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए सांसदों को सार्वजनिक बयानबाजी से बचने की हिदायत दी है। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने महुआ मोइत्रा को भी चेतावनी दी थी कि आगे ऐसी हरकतों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई, यहां तक कि निलंबन भी हो सकता है।
हालांकि, कल्याण बनर्जी के करीबी सूत्रों का कहना है कि उन्होंने खुद इस्तीफा दिया और उन्हें हटाया नहीं गया। उन्होंने यह भी कहा कि TMC के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने उनसे इस्तीफा रोकने का अनुरोध किया था। इसके बावजूद, बनर्जी ने अपना फैसला नहीं बदला। उधर, TMC ने अभिषेक बनर्जी को लोकसभा में पार्टी का नया नेता नियुक्त किया है, जो सुदीप बंद्योपाध्याय की जगह लेंगे, जिन्हें स्वास्थ्य कारणों से यह जिम्मेदारी छोड़नी पड़ी। साथ ही, काकली घोष दस्तीदार को नया मुख्य सचेतक बनाया गया है।
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कल्याण बनर्जी: TMC का एक दिग्गज चेहरा
कल्याण बनर्जी 1998 से TMC के साथ हैं और ममता बनर्जी के करीबी सहयोगी रहे हैं। वह न केवल एक सांसद हैं, बल्कि एक वरिष्ठ वकील भी हैं, जिन्होंने पार्टी के लिए कई कानूनी लड़ाइयां लड़ी हैं। हालांकि, उनके विवादास्पद बयान और व्यवहार ने उन्हें कई बार सुर्खियों में ला दिया। 2023 में उन्होंने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ का मजाक उड़ाया था, और 2024 में जेपीसी की बैठक में एक ग्लास बोतल तोड़ने का आरोप भी उन पर लगा था।
अंतिम विचार
कल्याण बनर्जी का इस्तीफा और महुआ मोइत्रा के साथ उनका विवाद TMC के लिए एक आंतरिक संकट का संकेत है। यह घटना न केवल पार्टी के भीतर अनुशासन की कमी को दर्शाती है, बल्कि ममता बनर्जी के सामने एकता बनाए रखने की चुनौती भी पेश करती है। 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले TMC को इस तरह के सार्वजनिक विवादों से बचना होगा, ताकि वह अपनी छवि को मजबूत रख सके। कल्याण बनर्जी और महुआ मोइत्रा जैसे दिग्गज नेताओं के बीच यह तनाव पार्टी की रणनीति और एकजुटता पर सवाल उठाता है।
आपकी राय: TMC में इस आंतरिक कलह का 2026 के चुनावों पर क्या असर पड़ेगा? क्या ममता बनर्जी इस संकट को नियंत्रित कर पाएंगी? अपनी राय कमेंट में साझा करें।
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