वक्फ संशोधन कानून: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 15 मई तक टली, CJI संजीव खन्ना ने कही ये बात
📢 We News 24 / वी न्यूज 24
📲 वी न्यूज 24 को फॉलो करें और हर खबर से रहें अपडेट!
👉 ताज़ा खबरें, ग्राउंड रिपोर्टिंग, और निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए जुड़ें हमारे साथ।
रिपोर्टिंग :काजल कुमारी
नई दिल्ली, 5 मई 2025: केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई एक बार फिर टल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 15 मई 2025 को न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए निर्धारित किया है।
CJI संजीव खन्ना की अहम टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कहा, "इस मामले में उचित सुनवाई जरूरी है। हर पक्ष की बात को ध्यान से सुनना होगा। मैं ऐसी याचिकाओं पर जल्दबाजी में आदेश पारित नहीं करना चाहता।" CJI खन्ना 13 मई 2025 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं, और इसी वजह से उन्होंने इस मामले को नई पीठ के समक्ष स्थानांतरित करने का फैसला किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे इस मामले में कोई आदेश सुरक्षित नहीं रखना चाहते, ताकि नई पीठ इस पर स्वतंत्र रूप से विचार कर सके।
ये भी पढ़े-पहलगाम आतंकी हमला: कश्मीर के पर्यटन उद्योग पर गहरा संकट, गुलमर्ग-सोनमर्ग में सन्नाटा
वक्फ संशोधन कानून पर क्यों है विवाद?
वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को केंद्र सरकार ने 8 अप्रैल 2025 से लागू किया था। यह कानून वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और नियमन में बदलाव लाता है, जिसमें गैर-मुस्लिम सदस्यों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने और 'वक्फ बाय यूजर' प्रावधान को हटाने जैसे मुद्दे शामिल हैं। इस कानून को लेकर कई विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है। AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, AAP विधायक अमानतुल्लाह खान, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, और कई अन्य याचिकाकर्ताओं ने इसे संविधान के खिलाफ बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
ये भी पढ़े-रोहिंग्या शरणार्थी और शिक्षा: भारत एक धर्मशाला है या एक संप्रभु राष्ट्र?
याचिकाकर्ताओं की मुख्य दलीलें:
यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 25, और 26 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक स्वतंत्रता और समानता की गारंटी देते हैं।
वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना धार्मिक संस्था के चरित्र को प्रभावित करता है।
'वक्फ बाय यूजर' प्रावधान को हटाने से पुरानी वक्फ संपत्तियों पर असर पड़ेगा।
केंद्र सरकार का पक्ष
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में इस कानून को संवैधानिक और जरूरी बताया है। सरकार का कहना है कि यह संशोधन वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में दलील दी कि वक्फ एक धार्मिक संस्था नहीं, बल्कि एक वैधानिक निकाय है, और इसमें गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने में कोई संवैधानिक रोक नहीं है।
सरकार की मुख्य दलीलें:
वक्फ बोर्ड में अधिकतम दो गैर-मुस्लिम सदस्य होंगे, जिससे धार्मिक चरित्र प्रभावित नहीं होगा।
'वक्फ बाय यूजर' को हटाने से पंजीकृत वक्फ संपत्तियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
यह कानून संसद और संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की विस्तृत चर्चा के बाद पारित हुआ है।
ये भी पढ़े-भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15: सामाजिक समानता का प्रहरी, भेदभाव के विरुद्ध ढाल
सुप्रीम कोर्ट की अब तक की कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई अप्रैल 2025 से चल रही है। कोर्ट ने पहले केंद्र सरकार को 7 दिन में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था और यह भी कहा था कि तब तक वक्फ बोर्ड या केंद्रीय वक्फ परिषद में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी। कोर्ट ने 'वक्फ बाय यूजर' संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने पर भी रोक लगाई थी। अब तक 70 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं, लेकिन कोर्ट ने केवल 5 याचिकाओं पर सुनवाई करने का फैसला किया है।
क्या होगा 15 मई को?
15 मई को होने वाली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट इस कानून की संवैधानिक वैधता पर गहन विचार करेगा। याचिकाकर्ताओं और केंद्र सरकार दोनों के तर्कों को सुनने के बाद कोर्ट यह तय करेगा कि क्या इस कानून पर अंतरिम रोक लगानी चाहिए या इसे पूरी तरह लागू करने की अनुमति देनी चाहिए। यह मामला धार्मिक स्वतंत्रता, अल्पसंख्यक अधिकारों, और संपत्ति प्रबंधन से जुड़ा होने के कारण बेहद संवेदनशील है।
ये भी पढ़े-भारतीय संविधान का अनुच्छेद 13: जब कानून संविधान से टकराता है | विश्लेषणात्मक न्यूज़ ब्लॉग
लोगों की नजरें सुप्रीम कोर्ट पर
वक्फ संशोधन कानून को लेकर देशभर में तीखी बहस छिड़ी हुई है। जहां एक तरफ विपक्ष इसे अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों पर हमला बता रहा है, वहीं केंद्र सरकार इसे पारदर्शिता और सुशासन की दिशा में एक कदम करार दे रही है। सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला न केवल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को प्रभावित करेगा, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों के मसले पर भी एक बड़ा उदाहरण स्थापित करेगा।
संबंधित खबरें:
वक्फ संशोधन कानून: 7 राज्यों ने किया समर्थन, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका
असदुद्दीन ओवैसी बोले- 'वक्फ एक्ट असंवैधानिक, हमारी लड़ाई जारी रहेगी'
आपके विचार इस मुद्दे पर क्या हैं? नीचे कमेंट करें और इस खबर को शेयर करें!
कोई टिप्पणी नहीं
कोमेंट करनेके लिए धन्यवाद